भारत और इंग्लैंड के बीच जून 1932 में लॉर्ड्स में पहले टेस्ट के दौरान जब इंग्लैंड ने एक दिन पहले खेल खत्म कर दिया तब लंदन से प्रकाशित होने वाले द टाइम्स के मुताबिक, स्टैंड में चंद भारतीय दर्शक ही मौजूद थे. पोरबंदर के महाराजा नटवरसिंहजी भावसिंहजी के नेतृत्व में भारतीय टीम कमजोर थी.
इवनिंग स्टैंडर्ड ने व्यंग्य करते हुए उसे ऐसी टीम बताया था जिसके ''15 खिलाड़ी 18 भाषाएं बोलते हैं.''
पर यह सब इतिहास की बातें हैं. लॉर्ड्स में 21 जुलाई को जब भारत और इंग्लैंड के बीच 100वां टेस्ट होगा तब 28,000 दर्शक क्षमता वाले स्टेडियम में-लॉर्ड्स के रिकॉर्ड के मुताबिक-22,500 भारतीय दर्शक अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाएंगे, जो अप्रैल में विश्व कप और कैरिबियन में सीरीज जीतने के बाद से ही उत्साहित हैं.
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की टीम के सदस्य इस सीरीज की तैयारी कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि यह कांटे का संघर्ष होगा. इससे इंग्लैंड को अगस्त 2010 में पाकिस्तान के खिलाफ मैच के बाद फिर से झंझ्ट मुक्त सीरीज खेलने का अवसर मिलेगा.
पिछले साल वह सीरीज मैच-फिक्सिंग विवाद की भेंट चढ़ गई थी. तीन पाकिस्तानी खिलाड़ियों-मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ और सलमान बट्ट को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आइसीसी) ने पांच साल के लिए निलंबित कर दिया था.
मैदान से इतर दोनों पक्षों ने संपन्न इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के साथ अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (यूडीआरएस) के समय को लेकर माथापच्ची की.
हाल में हांगकांग में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आइसीसी) की बैठक में भारत और इंग्लैंड के क्रिकेट अधिकारियों के बीच तनाव साफ दिखा, जब बीसीसीआइ अधिकारियों ने आइसीसी के टॉप स्लॉट से जुड़े नियमों में संशोधन करके आइपीएल खेलने वाले विदेशी खिलाड़ियों के लिए समय निकालने की मांग की. इंग्लैंड ऐंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के सदस्यों को लगा कि इससे भारत को ही फायदा होगा.
2007 में भारत का पिछला इंग्लैंड दौरा नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज में जेली बीन (बीन के आकार की छोटी रंगबिरंगी कन्फेक्शनरी) घटना की वजह से बदमजा हो गया था. जहीर खान ने कहा था कि नजदीक के फील्डरों ने उनका ध्यान बंटाने के लिए क्रीज पर जान-बूझ्कर जेली बीन फैला दी थी. और, एस. श्रीसंत ने खराब गेंदबाजी के बाद बल्लेबाजी के समय चश्मा पहन लिया तो उन्हें 'हैरी पॉटर' करार दिया गया था. श्रीसंत ने विरोध किया तो अंग्रेज खिलाड़ियों ने कहा कि वे पॉटर फिल्मों में हैरी पॉटर की भूमिका वाले डैनियल रैडक्लिफ की जयकार कर रहे हैं, जो उस रोज लॉर्ड्स के विशेष बूथ में बैठकर मैच देख रहे थे.
सामाजिक इतिहासकार आशीष नंदी कहते हैं कि 100वें टेस्ट के प्रति सनक से, विशेषकर जिस तरह से भारतीयों ने 85 फीसदी सीटें बुक कराई है, लगता है कि भारत का क्रिकेट की दुनिया पर किस कदर नियंत्रण है. इससे पहले क्रिकेट कभी इतना अमीर नहीं रहा या उसे खेला या देखा नहीं गया.
यह सब इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया की नहीं, भारत की वजह से है, जो इसके राजस्व और दर्शकों में जबरदस्त योगदान करके इस खेल को आकर्षक बना रहा है. नंदी और क्रिकेट इतिहासकार बोरिया मजूमदार की दलील है कि खासकर इंग्लैंड की नजर में क्रिकेट की दुनिया में भारत का पुनरुत्थान 1983 में विश्व कप की जीत से शुरू हुआ. भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स में भारतीय ड्रेसिंग रूम की बालकनी में खड़े होकर अपनी कमीज भीड़ की ओर लहराकर इसमें योगदान किया. 2002 में नैटवेस्ट सीरीज के दौरान की इस घटना के आक्रामक रवैए से एक नया, दृढ़ निश्चय वाला राष्ट्र नजर आया.
नंदी कहते हैं, ''मैदान में मौजूद कई लोगों को लगा कि भारत शायद क्रिकेट को तबाह कर रहा है. पर मुझे नहीं लगता कि यह कोई दलील हो सकती है. कपिल का विश्व कप प्रेरणादायक था. गांगुली के कमीज लहराने से वह रवैया और सख्त हो गया.''
नैटवेस्ट की जीत कोई अनायास सफलता नहीं थी और यह 2003 में उस समय स्पष्ट हो गया जब भारत दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप फाइनल में पहुंच गया.
मोहिंदर 'जिम्मी' अमरनाथ उन लोगों में से हैं जो लॉर्ड्स में 1983 के विश्व कप की जीत को कभी नहीं भुला सकते. वे कहते हैं, ''मुझे वह सब मिल गया जिसकी कोई क्रिकेटर जीवन में कामना करता है. विश्व कप विजय और मैन ऑफ द मैच का खिताब, दोनों लॉर्ड्स में. और क्या चाहिए? वह मेरे लिए ही नहीं, भारतीय क्रिकेट की भी सबसे निर्णायक घड़ी थी.''
मजूमदार का कहना है कि 1983 की जीत से भारत को इस खेल को नए सिरे से खेलने में मदद मिली. 2002 में गांगुली के रवैए ने स्टेडियम में मौजूद अंग्रेज क्रिकेट प्रशंसकों को जता दिया कि 'हमें परवाह नहीं है.' वे कहते हैं, ''वह भारतीय क्रिकेट के उत्थान की शुरुआत थी. उसके बाद उसने कभी मुड़कर नहीं देखा.'' और अब 100वें टेस्ट से जाहिर हो जाएगा कि क्रिकेट में भारत उतना ही महत्वपूर्ण है जितना युद्ध के बाद की वैश्विक राजनीति में अमेरिकाः जैसा कि 1961 से 1969 के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री रहे डीन रस्क ने अपने देश के बारे में कहा था, 'डोंगी में सवार मोटा लड़का.' इस खेल के बेहतरीन लेखकों में से समझे जाने वाले एक गिडियन हेग कहते हैं, ''जब तक भारत मजबूत टीम तैयार करता रहेगा टेस्ट क्रिकेट का भविष्य (अपेक्षाकृत अधिक) सुरक्षित रहेगा.''
इंग्लैंड के दिग्गज खिलाड़ी ग्राहम गूच हेग की राय से सहमत हैं. गूच ने 26-31 जुलाई 1990 के दौरान लॉर्ड्स में भारत के खिलाफ मैच में रिकॉर्ड 456 रन बनाए थे, जिसे क्रिकेट के इतिहास में आज भी बेहतरीन माना जाता है. अब कोच बन गए गूच का कहना है, ''मैं जेली बीन की कुछ और घटनाएं पसंद करूंगा.'' गूच ने टेलीफोन पर हुई बातचीत में इंडिया टुडे को बताया, ''मैं दो प्रमुख टीमों से कुछ गंभीर क्रिकेट खेलने की उम्मीद कर रहा हूं.''
दो दशक बाद भी गूच को उस मैच और उस कैच के बारे में अच्छी तरह याद है, जिसे विकेटकीपर किरण मोरे लपकने से चूक गए थे. वह गेंद युवा मीडियम पेसर संजीव शर्मा ने डाली थी. गूच बताते हैं, ''पारी अभी शुरू ही हुई थी, मैंने 36 रन बनाए थे.'' इंग्लैंड सीरीज जीत गया और संजीव को भारत के लिए खेलने का दोबारा कभी मौका नहीं मिला.
लॉर्ड्स में ज्यादा रन ठोकने वाले चंद भारतीय खिलाड़ियों में शामिल पूर्व भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर का मानना है कि गूच को 'जीवन' दान देना भारत के लिए आत्मघाती था. उन्होंने अपने हिस्से के दबाव की घड़ियां झेली हैं. वे 1979 में लॉर्ड्स के टेस्ट की दूसरी पारी के बारे में याद करते हैं, जब भारत 323 रन से पीछे था और टेस्ट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा था.
वे मैदान में उतरे और उन्होंने गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ भारत की किस्मत जगा दी. वेंगसरकर (103) और विश्वनाथ (113) ने तीसरे विकेट की साझेदारी में बॉब विलिस, फिल एडमंड्स, माइक हेंड्रिक और इयान बॉथम की आक्रमक गेंदबाजी के बीच 210 रन बनाए.
उस टेस्ट से शुरुआत करने वाले और अब राष्ट्रीय चयनकर्ता यशपाल शर्मा कहते हैं, ''उन्होंने लॉर्ड्स में हमें बचा लिया.'' वेंगसरकर ने 1982 में अपने दूसरे दौरे में एक और शतक (157) लगाया, हालांकि इंग्लैंड सात विकेट से जीत गया. दिलचस्प है कि 1986 में लॉर्ड्स में उनके लगातार तीसरे शतक से-किसी भारतीय का पहला-भारत को पांच विकेट से टेस्ट जीतने और 2-0 से सीरीज जीतने में मदद मिली.
इंग्लैंड में लंबे समय तक कमेंट्री के लिए अपना साजो-सामान पैक करने में व्यस्त सुनील गावसकर कहते हैं, ''वेस्ट इंडीज में भारतीय उत्साहित हैं, पर इंग्लैंड को स्पष्ट रूप से बढ़त मिलेगी. यह सामान्य मैच कुछ ऐतिहासिक व्यक्तियों की वजह से महत्वपूर्ण हो गया है.''
लॉर्ड्स टेस्ट से पहले ज्योतिषी भी मैदान में कूद गए हैं. बेजन दारूवाला ने भारत की जीत की भविष्यवाणी की है, लेकिन उन्होंने मैदान में तनाव की भी चेतावनी दी है. दारूवाला का कहना है, ''मुकाबला कड़ा, रोमांचकारी होगा.''
गावसकर 1971 की सीरीज, खासकर लॉर्ड्स में पहले टेस्ट के बारे में पूछे जाने पर बात करने से इनकार कर देते हैं. उस खराब याद को लिटिल मास्टर भूलना पसंद करेंगे. वे 36 रन पर आउट हो गए थे और इसके लिए अंततः उस कुत्ते को दोषी माना गया जो मैदान में घुस गया था.
इससे घबराए गावसकर जल्दी ही आउट हो गए. आखिरी दिन जब भारत जीतने के लिए 183 रन बनाने की कोशिश कर रहा था, इंग्लैंड के हरफनमौल खिलाड़ी जॉन स्नो की गेंद पर रन बनाते समय गावसकर उनसे टकराकर गिर गए थे. गावसकर विकेटकीपर फारूख इंजीनियर के कहने पर दौडे़ थे.
उस घटना से चयनकर्ताओं के चेयरमैन एलेक बेड्सर, टेस्ट और काउंटी क्रिकेट बोर्ड के सचिव तथा इंग्लैंड के कप्तान रे इलिंगवर्थ ने उस हरफनमौला को माफी मांगने का भी मौका नहीं दिया और उन्हें फटकारा. बाद में स्नो ने गावसकर से माफी मांग ली, लेकिन वह मैच बेनतीजा रहा क्योंकि जीत के लिए इंग्लैंड को दो विकेट की और भारत को 38 रनों की जरूरत थी.
अगले टेस्ट में स्नो को निकाल दिया गया. भारत ने 1-0 से सीरीज जीतकर इतिहास रच दिया. 1971 में भारतीय टीम के कप्तान अजीत वाडेकर कहते हैं, ''पहला टेस्ट ड्रॉ हो गया था, पर लॉर्ड्स के पवेलियन में सीढ़ियों पर मौजूद एमसीसी सदस्यों की प्रशंसा आज भी मेरे कानों में गूंजती है.'' उनके लिए 100वां टेस्ट दुनिया भर में क्रिकेट खेले जाने और नियंत्रित किए जाने में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है.
वाडेकर स्पष्ट रूप से स्वीकार करते हैं कि जहां 1971 की सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए आंख खोलने वाली थी, वहीं तीन साल बाद वह महत्वपूर्ण घटना फीकी पड़ गई और 1974 में इंग्लैंड ने माइक डेनेस के नेतृत्व में भारत को 2-0 से परास्त कर दिया.
प्रशंसकों के लिए लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट के दौरान भारत को (चौथी सुबह के पहले 40 मिनट के दौरान मात्र 17 ओवरों में ही) 42 रनों पर आउट होते देखना भयावह सपना था. ज्यॉफ अर्नाल्ड ने 8-1-19-4 और क्रिस ओल्ड ने 8-3-21-5 के आंकड़ों के साथ भारतीय बल्लेबाजी क्रम को ढहा दिया. भारत वह खेल एक पारी और 285 रनों से हार गया.
100 अंतरराष्ट्रीय शतकों से मात्र एक शतक दूर सचिन तेंडुलकर लॉर्ड्स में अपना रिकॉर्ड पूरा करने का इंतजार कर रहे होंगे. तेंडुलकर ने चार साल पहले 2007 में लंदन में संवाददाताओं को बताया था, ''लॉर्ड्स ऐसा मैदान है जहां सारे खिलाड़ी शतक बनाने का सपना देखते हैं. मैं कोई अपवाद नहीं हूं.'' वे एमसीसी के मानद आजीवन सदस्य हैं, जिसका मुख्यालय लॉर्ड्स में है.
रोमांच बढ़ता जा रहा है. और ऐसा लॉर्ड्स में ही नहीं हो रहा. भारत तीन अन्य टेस्ट, एक ट्वेंटी20 मैच और पांच एक-दिवसीय भी खेलेगा, जहां दर्शकों का 'जूम होगा. बीसीसीआइ के रत्नाकर शेट्टी का कहना है, ''यह सुपर सीरीज होगी.''
क्रिकेट नियंत्रित करने वाली संस्था आइसीसी, जिसका मुख्यालय दुबई में है, इस मौके से दुनिया भर के क्रिकेट प्रशंसकों को सर्वकालिक महानतम टेस्ट इलेवन चुनने के लिए कह रही है. इसके लिए मतदान 13 जुलाई को समाप्त हो गया. इससे आइसीसी पांच श्रेणियों-दो सलामी बल्लेबाज, तीन मध्यम क्रम के बल्लेबाज, एक विकेटकीपर, तीन तेज गेंदबाज और एक स्पिनर-में 60 खिलाड़ियों को चुनेगी. इसके बाद मैदान में नहीं, नेट पर मतदान, तर्क-वितर्क होगा. तब तक 21 जुलाई से लॉर्ड्स में शुरू होने वाले टेस्ट का मजा लीजिए.
दिलीप वेंगसरकर
पूर्व भारतीय कप्तान
लगातार तीन टेस्ट मैचों में शतक
''मैं लॉर्ड्स को उसके जादूई माहौल के लिए याद करता हूं जिससे खेल की असली भावना झ्लकती है. मैदान में उन शतकों को जड़ना मेरे लिए पूरी तरह मनोरंजन का अवसर था. लॉर्ड्स में हारने वाला भी खुशी महसूस करता है.''
ग्राहम गूच
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान
333 व 123, जुलाई 1990
''जब मैने संजीव शर्मा के आउटस्विंगर को खेला तो किरण मोरे ने मुझे जीवनदान दे दिया. पारी अभी शुरू ही हुई थी और मैंने 36 रन बनाए थे. अगर मोरे ने कैच कर लिया होता तो मैं कभी 333 रन नहीं बना पाता.''
सुनील मनोहर गावसकर
पूर्व भारतीय कप्तान
लॉर्ड्स में भिड़ंत
''1971 में जॉन स्नो से टकरा जाने की घटना के पीछे कुछ नहीं था. वे इसे लेकर काफी दुखी थे. वेस्ट इंडीज के खिलाफ जीत के बाद भारतीय उत्साहित हैं लेकिन इंग्लैंड को अपने देश में खेले जाने से बढ़त मिलेगी. यह सामान्य मैच है, जो कुछ ऐतिहासिक व्यक्तियों की वजह से महत्वपूर्ण हो गया है.''
अजीत वाडेकर
पूर्व भारतीय कप्तान
1971 का जादू
''भारत और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट ड्रॉ हो गया था, लेकिन लॉर्ड्स के पवेलियन में सीढ़ियों पर मौजूद एमसीसी सदस्यों की प्रशंसा आज भी मेरे कानों में गूंजती है. मेरे लिए लॉर्ड्स पूरी तरह जादू है.''
लॉर्ड्स के नाम पर
पोरबंदर के महाराजा ने पहले टेस्ट में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था (1932)
अंग्रेजी अखबारों ने अलग-अलग भाषा बोलने के लिए भारतीय खिलाड़ियों पर कटाक्ष किए थे. भारत के मोहम्मद निसार ने 93 रन देकर पांच विकेट लिए थे. इंग्लैंड जीत गया.
लाला अमरनाथ का मीडियम पेस (1946)
पहले टेस्ट में इस दिग्गज ने 118 रन देकर पांच विकेट लिए थे. इंग्लैंड जीत गया.
वीनू मनकड का दोहरा असर (1952)
196 रन देकर पांच विकेट और दो पारियों में पहले 72 रन और फिर 184 रन की वजह से मनकड आसानी से लॉर्ड्स में दूसरे टेस्ट के स्टार बन गए, हालांकि इंग्लैंड जीत गया.
कुत्ता जिसने सुनील गावसकर को आउट करा दिया (1971)
पहले टेस्ट की पहली पारी में उनके 36 रन पर आउट होने के लिए मैदान में घुस आए एक कुत्ते को दोषी माना गया, जिसे देखकर वे डर गए थे. मैच ड्रॉ रहा था.
दिलीप वेंगसरकर हैं लॉर्ड्स के लॉर्ड (1979-86)
'कर्नल' ने इस मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ तीन शतक ठोके. 1979 में 103 रन, 1982 में 157 रन और 1986 में 126 रन. अब भी रिकॉर्ड है.
कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने विश्व कप जीता (1983)
वेस्ट इंडीज के खिलाफ शानदार प्रदर्शन से उपेक्षित भारत को विश्व कप जीतने में मदद मिली.
नैटवेस्ट में सौरव गांगुली की चौंकाने वाली हरकत (2002)
भारतीय कप्तान ने भारतीय क्रिकेट का मर्दाना चेहरा पेश किया जब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए लॉर्ड्स के ड्रेसिंग रूम की बाल्कनी में अपनी कमीज उतारकर लहराई.