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भंवरी देवी की मौत पर सवाल ही सवाल

सहायक नर्स और दाई भंवरी देवी के गायब होने और संभावित हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की चार्जशीट से कई नाटकीय तथ्य निकल रहे हैं. इसने जुलाई के पहले सप्ताह में इस साजिश की ऐन शुरुआत से ही सूचनाओं को दबाने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका को केंद्र में ला दिया है.

मदेरणा को गिरफ्तार कर ले जाती सीबीआइ
मदेरणा को गिरफ्तार कर ले जाती सीबीआइ
अपडेटेड 14 दिसंबर , 2011

सहायक नर्स और दाई भंवरी देवी के गायब होने और संभावित हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की चार्जशीट से कई नाटकीय तथ्य निकल रहे हैं. इसने जुलाई के पहले सप्ताह में इस साजिश की ऐन शुरुआत से ही सूचनाओं को दबाने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका को केंद्र में ला दिया है.

23 जुलाई को जब क्षेत्रीय चैनल ईटीवी ने एक मंत्री को ब्लैकमेल किए जाने की खबर दिखाई तो इसके फौरन बाद मुख्य अभियुक्त और तत्कालीन लोक स्वास्थ्य मंत्री महिपाल मदेरणा ने मुख्यमंत्री को एक वीसीडी की मौजूदगी के बारे में बता दिया था. गहलोत ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. 2 दिसंबर को जोधपुर के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीबीआइ मामले) के समक्ष दायर की गई चार्जशीट में कहा गया है कि खबर के प्रसारण ने भंवरी देवी के खात्मे की साजिश को हवा दे दी.

14 दिसंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

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मदेरणा ने सितंबर में इंडिया टुडे को बताया था कि मामले की जांच करने की बजाए, ''गहलोत ने मुझे कांग्रेस विधायक मलखान सिंह बिश्नोई से बात करने की सलाह दी.'' बिश्नोई के भी भंवरी देवी से गहरे संबंध थे. बिश्नोई के भाई परस राम, जो चार्जशीट में अभियुक्त नहीं था, को मदेरणा के साथ 2 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. उसे एक बार पहले 2000 में जोधपुर में दवाइयों का एक अवैध कारखाना चलाने के लिए पकड़ा गया था.

बिश्नोई बंधुओं की बहन इंदिरा ने भी आरोप लगाया है कि भंवरी देवी लगभग साल भर पहले गहलोत से मिली थी और उसने उन्हें एक सीडी की जानकारी दी थी. साल भर पहले इंडिया टुडे  को एक सीडी के बारे में सतर्क करने वाले एक सूत्र ने भी बताया कि उस वक्त गहलोत ने मदेरणा को बुलाया था और सतर्क रहने की सलाह दी थी. इसके बावजूद 8 सितंबर को गहलोत ने ''सीडी होने और मदेरणा से भंवरी देवी के संबंधों की बात'' को अफवाह करार दिया था. यह सब इस तथ्य के बावजूद था कि 1 सितंबर को भंवरी देवी के गायब होने के तुरंत बाद बिलाड़ा और जोधपुर में पुलिस ने मदेरणा की सीडी में मौजूद महिला के तौर पर भंवरी देवी को पहचान लिया था.

30 नवंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

यही कारण है कि राज्‍य में व्यापक तौर पर यह माना जा रहा है कि अगर गहलोत ने पुलिस या खुफिया शाखा को अपने मंत्री और विधायक से संबंधित ऐसे संवेदनशील मामले के बारे में जुलाई में ही आगाह कर दिया होता तो पुलिस आसानी से सीडी की महिला के भंवरी देवी होने को ताड़ जाती. ऐसा होता तो भंवरी देवी भी बच जाती और उसकी संभावित हत्या के नतीजों से कांग्रेस भी बच जाती. सीबीआइ ने भी कहा है कि उसने ''अपने सौंदर्य और अपने जादू से उच्च पदों पर मौजूद लोगों को अपना मीत बना लिया था.''

दिसंबर 2008 के विधानसभा चुनाव में जब उसने बिलाड़ा से कांग्रेस के टिकट के लिए अर्जी दी तो वह एक सकारात्मक रिपोर्ट की खातिर खुफिया ब्यूरो के एक शीर्ष अफसर से भी मिल चुकी थी. या तो राज्‍य के खुफिया विभाग ने जबरदस्त लापरवाही करते हुए उच्च पदों पर बैठे लोगों को कभी उसके बारे में बताया नहीं था, या फिर कुछ लोगों की प्रतिष्ठा बचाने के लिए किसी स्तर पर सूचनाओं को दबाया गया था.

चार्जशीट कहती है कि सारी साजिश 4 से 8 अगस्त के बीच जोधपुर के सर्किट हाउस में रची गई थी, जहां अपने गृह जिले के दौरे के वक्त गहलोत ठहरा करते हैं. चार्जशीट के मुताबिक, मदेरणा के विभाग में ठेकव्दार सोहन लाल बिश्नोई, बिश्नोई बंधुओं के चचेरे भाई, एक हिस्ट्रीशीटर शहाबुद्दीन और मदेरणा परिवार के एक राजनैतिक मददगार सहीराम बिश्नोई ने साजिश रची थी.

23 नवंबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

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1 सितंबर को सहीराम ने जयपुर में मदेरणा के घर में बैठकर ही हत्या के लिए दिशानिर्देश दिए. बाकी लोगों ने भंवरी की हत्या की, शव को एक स्कॉर्पियो में एक अज्ञात व्यक्ति को सौंप दिया और सर्किट हाउस लौट आए. जिस ढंग से अभियुक्तों ने राजभवन और मुख्यमंत्री निवास के पास स्थित मदेरणा के सरकारी आवास और जोधपुर के सर्किट हाउस का सुरक्षित ठिकानों के तौर पर इस्तेमाल किया, वह राज्‍य की पुलिस, मुख्यमंत्री की सुरक्षा और खुफिया विभाग की अक्षमता की लंबी कहानी कहता है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडिया टुडे से कहा, ''गहलोत ने हमें सीडी और उससे संबंधित ऊपर के लोगों के बारे में सतर्क किया होता, तो हम संदिग्ध लोगों पर आसानी से नजर रखे रहते. आखिर वे लोग कड़ी सुरक्षा वाले इलाकों से काम को अंजाम दे रहे थे.''

सीबीआइ ने आनन-फानन में चार्जशीट दायर कर दी ताकि अभियुक्त सोहन लाल को हिरासत में 90 दिन काटने के बाद जमानत न मिल जाए. 5 दिसंबर को उसने बिसनाराम पर 5 लाख रु. के इनाम की घोषणा कर दी, हालांकि उसका नाम चार्टशीट में नहीं है. वह जोधपुर जिले में सात हजार हेक्टेयर जमीन के धोखाधड़ी के सौदों के सिलसिले में पहले से ही फरार है और अप्रैल 2011 में उसके खिलाफ सख्त असामाजिक तत्व निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है.

उसे पुलिस और सरकार का संरक्षण न मिला होता तो क्या वह भंवरी देवी हत्याकांड में शामिल हो सकता था? भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया ने 27 नवंबर को जयपुर में आरोप लगाया था कि ''गहलोत का कोई नजदीकी है जो जमीन घोटालों और मामले की धीमी जांच के पीछे है.'' सरकार ने आरोप से इनकार किया. पर जलोरा गांव के बिश्नोई गिरोह के एक सदस्य बिसनाराम को भंवरी देवी का शव ठिकाने लगाने वाले के तौर पर सीबीआइ का संदिग्ध बनाना कांग्रेस सरकार के एक गहरे राजनैतिक, आपराधिक गठजोड़ को संरक्षण की ओर इशारा करता है.

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भंवरी देवी या उसके शव की तलाश में और सहीराम को पकड़ने के लिए सीबीआइ अभी तक कई छापे मार चुकी है पर नाकाम रही है. चार्जशीट कुछ अनुत्तरित सवाल छोड़ जाती है. सीबीआइ विश्वासपूर्वक नहीं कह सकती कि वह मारी जा चुकी है और इस कारण उसने हत्या का आरोप नहीं लगाया है. वह हिरासत में लिए गए तीनों अभियुक्तों में से एक से भी इकबालिया बयान नहीं ले सकी है. कोई उसे सड़क पर बोलेरो से मारने और फिर शाम को उसका शव स्कार्पियो में रखने का जोखिम क्यों लेगा?

चार्जशीट दायर करने के तुरंत बाद मदेरणा और परस राम को गिरफ्तार क्यों किया गया और बिसनाराम को फरार घोषित क्यों किया गया? क्या वह भंवरी देवी के पति अमर चंद को भी साजिश का हिस्सा मानती है? अमर ने भंवरी को अपनी कार न देकर बस से जाने दिया और फिर सोहन लाल को उसे लिफ्ट की पेशकश करने दी? बता दें कि अमर को जांच में सहयोग न देने के आरोप में सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया है.

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12 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे
 
5 अक्‍टूबर 2011: तस्‍वीरों में देखें इंडिया टुडे

सीबीआइ ने उन लोगों की जांच क्यों नहीं की, जो भंवरी के साथ मिलकर सीडी बनाने और फिर उसे प्रसारित करने/बेचने में शामिल रहे हो सकते हैं? क्या और भी सीडी मौजूद हैं? मदेरणा की भूमिका भंवरी को पैसे देने तक सीमित थी? क्या मध्यस्थों और मदेरणा के विरोधियों ने भंवरी को मारने का फैसला किया, ताकि मदेरणा और उनके परिवार को राजनैतिक तौर पर समाप्त किया जा सके? या क्या मदेरणा, बिश्नोई बंधुओं तथा किसी और ने भंवरी की हत्या के लिए सांठगांठ की? कोई नहीं जान सकव्गा कि भंवरी ने सारी सीडी कहां रख दी. यही कारण है कि प्रदेश भाजपा ने एक स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें भंवरी कांड के संबंध में गहलोत की भूमिका भी शामिल हो.

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