वर्ष 2020 माध्यमिक शिक्षा परिषद के लिए रिकार्ड बनाने वाला साल बना जब इसकी बोर्ड परीक्षाएं अब तक के इतिहास में सबसे कम समय में पूरी हुई थीं. 18 फरवरी को ये परीक्षाएं शुरू हुईं और 19 दिन बाद 7 मार्च को संपन्न हो गईं. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन में यूपी बोर्ड देश का इकलौता बोर्ड था जिसने अपनी परीक्षाएं पहले ही संपन्न करा ली थीं. यहां तक कि लॉकडाउन से पहले माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में 90 फीसद घरेलू परीक्षाएं भी संपन्न हो चुकी थीं.
लॉकडाउन की घोषणा होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके एक ऐसी योजना बनाने को कहा जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई इस बंदी के माहौल में भी जारी रहे. इसके बाद प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ बैठक कर लॉकडाउन के समय शिक्षा देने के तौर-तरीकों पर योजना बनानी शुरू की. हालांकि लॉकडाउन के पहले ही आराधना ने हर जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को उसके जिले में मौजूद सभी प्रधानाचार्योँ का एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाने का निर्दश दिया. सभी प्रधानाचार्योँ से भी उनके संस्थान में काम कर रहे शिक्षकों का भी एक व्हाट्सऐप ग्रुप तैयार कराया गया. सभी शिक्षकों को भी अपने छात्रों का एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाने को कहा गया. शासन और मुख्यालय पर बैठे अधिकारी डीआइओएस के ग्रुप से जुड़ गए थे.
ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था पर मंथन शुरू होने से पहले जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई विभाग ने अपने छात्रों को व्यस्त रखने के लिए 'ऑनलाइन कंपिटीशन' शुरू किया. कहानी, कविता लेखन, ड्राइंग जैसे एक्टिविटी के आनलाइन कंम्पटीशन की घोषणा 25 मार्च से कर दी. इसके लिए रोज एक विषय विभाग बताता था और बच्चे अपनी कहानी, कविता या ड्राइंग को व्हाट्पऐग्रुप के शिक्षक, यहां से प्रधानाचार्य, डीआइओएस और फिर मुख्यालय भेजते थे. इससे छात्रों को ऑनलाइन व्यवस्था के ढांचे से रूबरू होने का मौका मिला.
छात्र इस व्यवस्था से अभ्यस्त हुए. इसका लाभ उठाकर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते से देश में पहली बार “व्हाट्सऐप वर्चुअल क्लास” शुरू की थी. विभाग ने सभी डीआइओएस को छात्रों को पढ़ाने के लिए एक पाठ्यक्रम सौंपा. सभी प्रधानाचार्योँ से कहा गया कि वह एक स्कूल टाइमटेबल बनाकर उसे व्हाट्सऐप ग्रुप पर लोड कर दें. विभाग ने अपनी वेबसाइट upmsp.edu.in पर ई-बुक लोड कर दी. अब सभी शिक्षकों यह पता था कि टाइमटेबल के अनुसार उन्हें किस दिन क्या-क्या पढ़ाना है. शिक्षकों को व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए ही अपने छात्रों को होमवर्क देने को कहा गया.
छात्र ग्रुप पर ही अपनी समस्याएं संबंधित शिक्षक से पूछ सकते थे. छात्रों को घर पर किए गए होमवर्क को भी इसी व्हाट्सऐप ग्रुप पर लोड करना था. इन सभी ग्रुप के एडमिन का नाम और अन्य जरूरी जानकारियां विभाग के पास थीं. आराधना ने एक रोस्टर बनाकर मुख्यालय पर बैठे संयुक्त निदेशक और डीआइओएस स्तर के अधिकारियों को इन व्हाट्सऐप वर्चुअल क्लास की निगरानी करने की जिम्मेदारी सौंपी. शिक्षक क्लास शुरू करने से पहले संबंधित अधिकारी को अपने व्हाट्सऐप ग्रुप में ज्वाइन कराता है. अधिकारी ग्रुप वर्चुअल क्लास को मॉनीटर करता है. अगर शिक्षक गलत पढ़ा रहा है या गाइडलाइन के अनुसार नहीं पढ़ा रहा है तो अधिकारी तुंरत शिक्षक को निर्देश भी देता है.
देश में इस तरह शिक्षा का नेटवर्क किसी अन्य प्रदेश में मौजूद नहीं है. इतना बड़ा नेटवर्क बनाने के बावजूद भी माध्यमिक शिक्षा विभाग अपने आधे से कुछ ज्यादा छात्रों तक ही पहुंच पाया था. अब तक 2.94 लाख शिक्षक पूरे प्रदेश में 2.88 लाख व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए 64 लाख छात्रों से सीधे जुड़कर उन्हें व्हाट्सएप वर्चुअल क्लास के जरिए शिक्षा दे रहे हैं. माध्यमिक शिक्षा विभाग में कुल एक करोड़ दस लाख छात्र पढ़ रहे हैं जबकि व्हाट्सएप वर्चुअल क्लास से 64 लाख छात्र ही जुड़े थे.
एनरायड फोन, स्मार्ट फोन, इंटरनेट कनेक्टिविटी की एक पहुंच जरूर है लेकिन यह करीब साठ से सत्तर फीसद लोगों को ही आच्छादित कर पाते हैं. और अधिक छात्रों तक पहुंचने के लिए विभागीय अधिकारियों के बीच एक राय दूरदर्शन के जरिए क्लास शुरू करने की बनी लेकिन इसके लिए पर्याप्त बजट नहीं था. इसी दौरान मानव संसाधन मंत्रालय ने एक निर्णय लिया कि वह दूरदर्शन पर चलने वाले अपने चैनल में कुछ समय राज्यों को भी देंगे. इसकी घोषणा होते ही यूपी देश में पहला प्रदेश था जिसने मानव संसाधन मंत्रालय के चैनल में जगह पाने के लिए आवेदन किया.
मंत्रालय से यूपी को स्वयंप्रभा चैनल में समय चार घंटे का समय मिला. सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम को साढ़े चार बजे से साढ़े छह बजे तक. लेकिन अब चुनौती अच्छा शैक्षिक कंटेंट उपलब्ध कराने की थी. इसके बाद आराधाना शुक्ला ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के ऐसे शिक्षकों को चिन्हित करने का अभियान चलाया जो अच्छा पढ़ाते हैं. ऐसे शिक्षकों का वीडियो व्हाट्सऐप पर मंगवाकर उन्हें देखा गया. इसके लिए एक तीन स्तरीय कमेटी बनाई गई. माध्यमिक शिक्षा परिषद से कहा गया कि वह तीन महीने के लिए कक्षा दस से बारहवीं तक का एक कोर्स शेड्यूल बनाए कि लॉकडाउन के समय किस तरह से करीब 15 फीसद पाठ्यक्रम को ऑनलाइन शिक्षा के जरिए पूरा किया जा सके.
आराधना शुक्ला ने शिक्षकों के 12 वीडियो नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीइआरटी) की एक्सपर्ट कमेटी को जांच के लिए भेजे. इन 12 वीडियो में तो एक भी सेलेक्ट नहीं हुआ और इन्हें अगले दिन 23 अप्रैल से प्रसारित किया जाना था. एनसीइआरटी की कमेटी ने यूपी से भेजे गए वीडियो में कई कमियां बताई और उन्हें दूर करने को कहा. अब समस्या यह आ पड़ी कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास अपना कोई स्टूडियो नहीं था जहां वह शिक्षकों के वीडियो शूट कर सके. बेसिक शिक्षा विभाग में रिकार्डिंग का एक स्टूडियो था लेकिन वहां कोई कर्मचारी नहीं था.
बहुत जगह संपर्क करने के बाद पता चला कि लखनऊ में डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी परिसर में एक स्टूडियो है जहां कर्मचारी भी मिल जाएंगे. यहां पर रिकार्डिंग हुई और 23 अप्रैल से स्वयंप्रभा चैनल पर शुरू होने वाली माध्यमिक शिक्षा विभाग की कक्षाएं एक हफ्ते बाद 1 मई को हकीकत में उतरी. इसके प्रचार प्रसार के लिए एक जिंगल बनाया गया जिसमें उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा विभाग के मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का संदेश प्रसारित किया गया. सुबह 11 से दोपहर एक बजे तक स्वयंप्रभा चैनल के जरिए क्लासेज शुरू हुईं और इनका रिपीट टेलिकास्ट शाम साढ़े चार से साढ़े छह बजे के बीच किया गया.
इसके बाद से लगातार यह क्लासेज जारी हैं. इनमें प्रसारित होने वाले शिक्षकों के वीडियो को पहले जिला विद्यालय निरीक्षक डीआइओएस जांचते हैं. इसके बार संयुक्त निदेशक इनकी पड़ताल करते हैं. यहां से सेलेक्ट होकर वीडियो आराधना शुक्ला के पास आता है. आराधना वीडियो को अंतिम रूप से सेलेक्ट करके उसे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को दिखाती हैं. डॉ. शर्मा की सहमति मिलते ही उसे स्वयंप्रभा चैनल के जरिए प्रसारित करने के लिए भेज दिया जाता है.
इसके अलावा कई सारे बच्चे लाइट न आने या अन्य कई वजहों से दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम नहीं देख पाते थे इन्हें ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक यूट्यूब चैनल भी लांच किया. इस पर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों इस यूट्यूब चैनल पर भी लोड कर दिया जाता है. इतना सब करने के बाद भी दुरुह इलाकों में रहने वाले बच्चे किसी भी तरह की ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं. इनके लिए डिस्टेंट लर्निंग प्रोग्राम की शुरुआत की गई है. इसमें विभाग पाठ्यक्रम के मुताबिक शिक्षण सामग्री सभी डीआइओएस को भेज रहा है. डीआइओएस प्रधानाचार्योँ के जरिए इसे वंचित छात्रों तक पहुंचाएंगे.
माध्यमिक शिक्षा विभाग में लॉकडाउन पीरियड में शिक्षण व्यवस्था में ढेरों नवोन्मेष लागू करने वाली आराधना शुक्ला की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में हुई थी. इन्होंने यहां के लोरेटो कालेज से इंटरमीडियट किया. वर्ष 1989 में यह भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुईं. इनकी पहली पोस्टिंग एटा जिले में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर हुई. ये हरिद्वार, नैनीताल, सहारनपुर और लखनऊ में जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहीं. हरिद्वार में खनन माफिया पर कार्रवाई करके आराधना चर्चा में आई थीं.
ये वर्ष 2000 में नैनीताल की जिलाधिकारी बनीं. नैनीताल में केवल जनता के सहयोग से इन्होंने पहली बार झील की सफाई कराई. आराधना ने ही पहली बार नैनीताल में पॉलिथिन के प्रयोग पर रोक लगाई थी. नैनीताल में अंधाधुध और अनियोजित रिसॉर्ट निर्माण के चलते भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई थीं. आराधना ने जिलाधिकारी रहते हुए पहली बार निर्माण कार्यों पर धारा 144 का प्रयोग किया था. निर्माण कार्य पर कर्फ्यू लगा दिया गया था. कई रिसॉर्ट तोड़े गए थे.
वर्ष 1998 में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिश्नर कार्यालय में विशेष सचिव रहने के दौरान आराधना ने विधायक निधि (एमएलए लोकल एरिया डेवलेपमेंट फंड) की गाइडलाइन तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. भूमि सुधार निगम में तैनाती के दौरान आराधना ने यूपी में ऊसर सुधार के लिए वर्ल्ड बैंके के तीसरे प्रोजेक्ट को लागू किया. प्रदेश की ढाई लाख हेक्टेयर ऊसर जमीन को सुधारा गया.
यूपी के एक्साइज डिपार्टमेंट, लोक निर्माण विभाग, परिवहन विभाग में प्रमुख सचिव पद पर तैनात रहने के बाद आराधना अब माध्यमिक शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव हैं. लॉकडाउन के दौरान माध्यमिक शिक्षा विभाग में कई योजनाएं शुरू करने वाली आराधना अब इतिहास, हिंदी जैसे विषयों को रोचक ढंग से पढ़ाने के लिए कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की योजना बना रही हैं. विभाग हर जिले में ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर रहा है जो विषयों को रोचक ढंग से कह कर पढ़ा सकें.
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