जरा गौर कीजिए. डिफेंस क्वाटर्स की जंग खाई लिफ्ट से जरी के किनारे वाली खास किस्म की साड़ी पहने वे तेजी से बाहर निकलती हैं. हिंदुस्तान की खांटी 'घरेलू' महिला की परिभाषा में पूरी तरह फिट बैठने वाली शख्सियत. गार्ड के पास मुझे 20 मिनट तक इंतजार करवाने के लिए बड़ी ही विनम्रता से माफी मांगती हैं. घर का ताला लगा दरवाजा खोलने से पहले पूछती हैं, ''आप बहुत थकी हुई लगती हैं. नाश्ता करने का मौका मिला या नहीं?'' मैं तो भौचक रह गई, लेकिन तब तक तो वे यह कहते हुए निकल पड़ीं कि ''मैं आपके लिए पनीर और ब्रेड लाती हूं और ऑमलेट बना देती हूं. इससे काम चल जाएगा?''
मैं सकुचाई, अचकचाई-सी बैठी रहती हूं और वे फटाफट रसोई में घुसकर जुट जाती हैं. घर का माहौल नितांत आत्मीय है. कोने में एक बेलदार पौधा रखा है. दीवार पर प्रभु ईशु की फोटो टंगी है. कमरे में यहां-वहां कलात्मक चीजें चमचमा रही हैं. और केवल की हाथी की एक खास मूर्ति-जो उन्हें त्रिचूर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बतौर स्मृतिचिन्ह मिली थी-मुख्य दरवाजे के सामने एक तिपाई पर सावधानी से रखी हुई है. उनका शोकेस बेटे तेजस पटेल के खेलों में जीते मेडलों से भरा है. वह वेल्लूर से इंजीनियरिंग कर रहा है और कॉलेज की स्टुडेंट्स यूनियन का अध्यक्ष है. पर यहां दो और मेडल हैं-अग्नि 1 और 2 मिसाइलों के. इस घर के लिए यह गौरवपूर्ण जगह है.
उनचास वर्षीया टेसी थॉमस को देखकर यह कल्पना कर पाना नामुमकिन है कि वे एक मिसाइल वैज्ञानिक हैं. मैं तो किसी नकचढ़ी, चश्मे से झंकती और बात-बात पर विज्ञान के जुमले उछालने वाली प्रोफव्सर से मुलाकात की उम्मीद कर रही थी. लेकिन यहां मिली बेहद आत्मीय और जमीनी किस्म की एक भद्र स्त्री जो अपने अस्त-व्यस्त घर के लिए कुछ ऐसे पछता रही थी मानो उन्हें अग्नि 5 के प्रक्षेपण से कुछ दिन के लिए अलग कर दिया गया हो.
वे अपनी 'फिटनेस' को लेकर चिंतित हैं और एक्सरसाइज मशीन को इस्तेमाल नहीं कर पाने का अफसोस कर रही हैं. अग्नि 5 के सफल प्रक्षेपण पर औपचारिक साक्षात्कार के लिए मेरे सामने बैठने से पहले वे तसल्ली कर लेती हैं कि मैंने प्याज, टमाटर और आलू के साथ बना ताजा ऑमलेट ठीक से खा लिया है या नहीं.
हॉट लाइट्स को सेट करने में फोटोग्राफर को वक्त लग रहा है. उससे निकलने वाली गर्मी हैदराबाद की उमस के साथ मिलकर माहौल को असहनीय बना रही है. लेकिन उन्हें कोई शिकायत नहीं. फोटोग्राफर की इजाजत मिलने पर वे हर बार अपना पसीना पोंछती हैं और एक बाल तक हिलाए बिना मेरे सवालों का इत्मीनान से जवाब देती हैं.
खुशी से चहकते हुए वे कहती हैं, ''मिसाइल वूमन और अग्निपुत्री कहलाना बड़े गौरव की बात है.'' उन्हें यह उपमा बेहद प्यारी लगती है इसलिए कि उनके रोल मॉडल एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन कहा जाता है. वे एक आइएएस ऑफिसर बन सकती थीं. इसकी परीक्षा में भी बैठीं. लेकिन रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) का साक्षात्कार भी ठीक उसी दिन था, जिसमें वे कामयाब भी हो गईं.
पुणे के डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ आर्मामेंट टेक्नोलॉजी से एम.टेक. पूरा करते ही कलाम ने उन्हें अग्नि मिसाइल कार्यक्रम में शामिल कर लिया. और तब से वे इस कार्यक्रम के लिए काम कर रही हैं. वे कहती हैं, ''उन्होंने विचारों के आदान-प्रदान के लिए शानदार मंच तैयार किया और उससे हम सभी को बहुत फायदा हुआ.''
अग्नि-5 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर (मिशन) थॉमस सचमुच अद्भुत हैं. बात चाहे मिसाइल के भीतर लगी 5,000 किमी लंबी केबल की हो या सास-बहू टाइप सीरियल के विवाह गीतों की, दोनों में उनकी दिलचस्पी है. वे बेतकल्लुफ अंदाज से कहती हैं, ''यही मेरा मनोरंजन है. मुझे टीवी सीरियलों के कलाकारों का साफ-सुथरे ढंग से सज-धजकर निकलना बेहद पसंद है.'' मिसाइल वैज्ञानिक और यह सब! मैं हैरत में पड़ जाती हूं. ''मेरे पति भी यही कहते हैं-इन सीरियलों को तुम कैसे देख पाती हो? लेकिन मुझे पसंद हैं ये.''
धीरे-धीरे उनका पढ़ना विज्ञान संबंधी पत्र-पत्रिकाओं तक सिमटता गया. कुछ और पढ़ने का समय न रहा. पर हां, एनिड ब्लाइटन और आर्ची बचपन से ही उनके बचपन के दोस्त हैं. बेट्टी या वेरोनिका? निरुत्तरित कर देने वाली मुस्कराहट के साथ वे जवाब देती हैं, ''मुझे वेरोनिका पसंद है!'' अपने दूसरे प्यार बैडमिंटन को भी अब वक्त नहीं दे पातीं वे. स्कूल और कॉलेज में इसकी चैंपियन थीं और काफी दिनों तक बेटे या पड़ोसियों के साथ खेलती भी थीं. लेकिन पिछले तीन साल में अग्नि 4 और 5 की सेवा के अलावा और कुछ नहीं किया.
वे बताती हैं, ''मैं मिशन और अग्नि 5 गाइडेंस की इंचार्ज हूं.'' 10,000 किमी से ज्यादा के कंप्यूटर सिमुलेशन के बाद उनकी 2,000 सदस्यों की मजबूत टीम का ध्यान इस बात पर था कि मिसाइल सही रास्ता पकड़कर लक्ष्य तक कैसे पहुंचे. अग्नि 5 ने 19 अप्रैल को यह लक्ष्य हासिल किया. ''मैं बेहद रोमांचित थी. मुझे खुशी है कि मिशन कामयाब रहा.''
रक्षा मंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार और वरिष्ठ मिसाइल वैज्ञानिक वी.एस. अरुणाचलम अग्नि कार्यक्रम को मिली कामयाबी में थॉमस के योगदान को संदर्भ के साथ पेश करते हैं: ''इस तरह के प्रोजेक्ट्स में सर्वसम्मति बनानी पड़ती है. एक महिला अपनी बात पर जल्दी हार नहीं मानती. वह समझ-बुझ सकती है और चिढ़ाने की हद तक दृढ़ रहती है. एक महिला को प्रमुख बनाने का फायदा जरूर मिला है.''
अरुणाचलम के मुताबिक भारतीय समाज में एक महिला का वैज्ञानिक बनना आसान नहीं है. ''महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी होती है. जब आपका बच्चा बुखार से तप रहा हो तो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप पर आंखें गड़ाए रखना बहुत मुश्किल होता है. एक मां, पत्नी और वैज्ञानिक की भूमिकाएं साथ-साथ निभाने के लिए बड़े त्याग और पग-पग पर समझैते करने पड़ते हैं. इन दोनों को अच्छे से एक साथ निभा ले जाना सचमुच मार्के की बात है.''
थॉमस के पति 55 वर्षीय कमोडोर सरोज कुमार पटेल पुणे में उनके सहपाठी थे. अपने सेवाकाल में वे एक नौसैनिक अधिकारी के रूप में अमूमन लंबे समय के लिए हैदराबाद से बाहर तैनात रहे. बेटे की परवरिश थॉमस को अकेले करनी पड़ी. उनके पास पति, बेटे, सास-ससुर और उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करने वाले चार सहोदरों के लिए प्रशंसा ही प्रशंसा है. चाहे वह अंतरधार्मिक शादी हो या मिसाइल का काम, दोनों पर उन्हें बेहद नाज है.
उनका 21 वर्षीय बेटा तेजस कहता है, ''उन्होंने जो कुछ हासिल किया है, वह मुझे गर्व से भर देता है.'' उसका नाम माता-पिता के नाम को जोड़कर बना है, वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमान से प्रेरित होकर नहीं. पढ़ाई के बाद वह किसी कॉरपोरेट जॉब की उम्मीद रखता है मगर अपनी मां के नक्शेकदम पर चलते हुए डिफेंस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से भी उसे परहेज नहीं: ''दरअसल, मां-बाप दोनों रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. मैंने उनकी व्यस्तताएं देखीं हैं. यही इस क्षेत्र की कमजोरी है. पर मुझे जब भी जरूरत पड़ती है, वे मेरे पास होते हैं.''
बेटे की पढ़ाई और अपने काम में बंधी 16 घंटे की दिनचर्या को थॉमस वर्षों तक करीने से संभालती रहीं. मगर अब भी काम का कहीं अंत नहीं दिखाई देता. अग्नि 5 प्रक्षेपण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ लेकिन उनके पास खुशी मनाने का अवसर नहीं है क्योंकि वे रोजाना 12 घंटे काम करती हैं. रविवार को भी छुट्टी नहीं. 5,000 किमी मारक क्षमता की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) रक्षा सेनाओं को सौंपने से पहले दो और परीक्षण किए जाने बाकी हैं. जहां मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआइआरवी) पर काम शुरू होना है, वहीं मिसाइल पर स्वदेशी वारहेड भी फिट किया जाना है.
थॉमस के पिता आइएफएस ऑफिसर रहे हैं और मां केरल के अलप्पुझ के कट्टर सीरियन ईसाई परिवार से हैं. उनका नाम नोबेल विजेता मदर टेरेसा से प्रेरित होकर रखा गया था. पर उन्हें यह कतई बेतुका नहीं लगता कि वे मिसाइल पर काम कर रही हैं.
मुस्कराते हुए वे कहती हैं, ''मैंने एक ऐसा वाहन तैयार किया है जिस पर फूल भी भेजे जा सकते हैं. मैं इसे अपने देश के लिए बना रही हूं जो इसका इस्तेमाल सिर्फ शत्रुओं को दूर रखने के लिए करना चाहता है. देखा जाए तो मैं वस्तुतः इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए मिसाइलों का निर्माण कर रही हूं.'' वे चीन और उसके मिसाइल कार्यक्रम पर टिप्पणी नहीं करना चाहतीं और स्पष्ट करती हैं कि मुझसे वे सिर्फ इसलिए बात कर रही हैं क्योंकि डीआरडीओ ने उन्हें अग्नि पर बातचीत करने की इजाजत दी है.
अपनी चिरपिरचित सरलता और आकर्षण के साथ वे मुझे घर से बाहर तक छोड़ने के लिए आती हैं, किसी भी तरह के असुविधाजनक सवालों को पूछ पाने की जरा भी गुंजाइश छोड़े बिना. मसलन मैं उनसे पूछना चाहती थी कि क्या वैज्ञानिक बिरादरी में भी एक महिला को अहं के टकरावों का सामना नहीं करना पड़ता?