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यूपी में मायावती के निशाने पर छोटे दल

राज्‍य सरकार के संपत्ति विभाग ने लखनऊ में प्रभावशाली राजनैतिक पार्टियों और संगठनों को गत माह नोटिस थमाकर कहा कि वे अपने दफ्तर खाली कर दें या फिर वहां से जबरन हटाए जाने के लिए तैयार रहें.

सुश्री मायावती
सुश्री मायावती
अपडेटेड 11 फ़रवरी , 2011

राज्‍य सरकार के संपत्ति विभाग ने लखनऊ में प्रभावशाली राजनैतिक पार्टियों और संगठनों को गत माह नोटिस थमाकर कहा कि वे अपने दफ्तर खाली कर दें या फिर वहां से जबरन हटाए जाने के लिए तैयार रहें. वजहः सरकार शहर में विधान भवन-सचिवालय परिसर और मॉल एवेन्यू के इर्दगिर्द सिक्युरिटी जोन बनाना चाहती है. उस इलाके में अभी मुख्यमंत्री मायावती का वस्तुतः वर्चस्व है.

सरकार ने माकपा, रालोद, राकांपा के अलावा राज्‍य हज कमेटी और राज्‍य कर्मचारी संघ के दफ्तरों को फौरन वहां से हटाने का आदेश दिया है. तर्क यह है कि जहां माकपा और राकांपा का राज्‍य विधानसभा में कोई प्रतिनिधि नहीं है, वहीं चौधरी अजित सिंह के नेतृत्व वाले रालोद को मात्र 11 विधायक के बूते उस इलाके में दफ्तर रखने का अधिकार नहीं है.

राज्‍य हज कमेटी से कहा गया है कि हवाई अड्डे के पास चूंकि एक विशाल हज हाउस बनाया गया है लिहाजा उसे अपना दफ्तर वहां ले जाना चाहिए. दिलचस्प है कि राकांपा का दफ्तर विधायकों के निवास दारुल-शफा में है. लेकिन राजनैतिक दलों के दफ्तर हटाए जाने के बाद दारुल-शफा भी मॉल एवेन्यू-विधान भवन परिसर में शामिल कर लिए जाने से सिक्युरिटी जोन का हिस्सा बन जाएगा.{mospagebreak}

वैसे, विधान भवन के ठीक सामने भाजपा के कार्यालय को सरकार ने हाथ नहीं लगाया है. पार्टी ने अतीत में मायावती की सरकार बनाने में तीन बार मदद की थी और अगले चुनावों के बाद भी वह खासी मददगार हो सकती है. पर सचिवालय सूत्रों का कहना है कि दूसरे दफ्तरों को हटाने के बाद भाजपा मुख्यालय सिक्युरिटी जोन से गायब हो जाएगा.

मायावती 2012 के चुनावों से पहले भाजपा को भड़काना नहीं चाहतीं. प्रशासन ने अभी तक बसपा समर्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर महासभा के दफ्तर को भी हाथ नहीं लगाया है.

विधानसभा मार्ग (अब आंबेडकर मार्ग) पर स्थित राजनैतिक पार्टियों के दफ्तर और दूसरे परिसरों को हटाने की वजह से पार्टियां नाराज हैं. राकांपा के वरिष्ठ नेता और राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. रमेश दीक्षित कहते हैं, ''मायावती को अपना एवेन्यू फैलाने में मदद के लिए हम सरकार को लोकतांत्रिक व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं करने देंगे.''

माकपा के प्रवक्ता विजय शांत ने कहा, ''अगर अधिकारियों ने हमारे दफ्तर को हाथ लगाया तो राज्‍य में माकपा और उसके आनुषंगिक संगठनों के दस लाख सदस्य गोली का सामना करने को तैयार हैं.'' 1990 में यह दफ्तर आवंटित करते समय किसी ने नहीं पूछा था कि पार्टी का कोई विधायक है या नहीं. उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पकड़ रखने वाले रालोद का कहना है कि वह दफ्तर रखने के सभी मानदंडों को पूरा करता है.{mospagebreak}

सरकार की योजना सचिवालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, बसपा मुख्यालय, विधानसभा और राजभवन को तीन तरफ से मजबूत दीवारों से घेरना है और मॉल एवेन्यू में मायावती का विशाल किला कायम रखना है. राजभवन, विधानसभा मार्ग और बसपा मुख्यालय, जहां प्रेरणा स्थल है (जिसके अंदर मायावती, डॉ. आंबेडकर और दूसरे दलित नेताओं की प्रतिमाएं हैं) के सभी रास्तों को सील कर दिया जाएगा.

वहां से नौकरशाहों, मंत्रियों, विधायकों और कर्मचारियों को ही आने-जाने की अनुमति होगी. सचिवालय से राजभवन के सामने महात्मा गांधी मार्ग तक एक भूमिगत मार्ग भी बनाया जाएगा.

मायावती ने अपने निवास से हेलिपैड तक राजभवन के अंदर से विशेष सड़क तैयार कराई है, जहां से वे हेलिकॉप्टर में राज्‍य के अंदर-बाहर जाती हैं. दरअसल, मायावती ने मुख्यमंत्रियों को स्थायी बंगला मुहैया कराने के लिए सरकार की नीति का पूरा इस्तेमाल किया है.

इस नीति के तहत उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मॉल एवेन्यू में बंगला नंबर 13-ए हासिल किया और मौजूदा कार्यकाल में कानूनी बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने पूरे इलाके को मान्यवर कांशीराम मेमोरियल ट्रस्ट बना दिया और उसका दायरा बसपा मुख्यालय तक कर दिया जो ऊंची दीवारों से सुरक्षित है. इससे उन्हें डेढ़ लाख वर्ग फुट में फैला किला बनाने में मदद मिली. इसमें धौलपुर का गुलाबी पत्थर और महंगा ग्रेनाइट लगा है. संपत्ति विभाग ने उनके बंगले के रीडिजाइन और जीर्णोद्धार पर 70 करोड़ रु. खर्च किए बताते हैं.{mospagebreak}

उनका इरादा है कि गोमतीनगर से हवाई अड्डे तक फैला पूरा लखनऊ वैसे ही उनके नाम से याद किया जाए जैसे पुराना लखनऊ नवाबों के नाम से पूरी दुनिया में जाना जाता है. उन्होंने 20 किमी में फैला माया विहार खड़ा कर दिया है, जिसमें अब उनकी और दूसरे दलित नेताओं की मूर्तियां लगी हैं.

पर ऐसी कसरत करने वाली अकेली वे ही नहीं हैं. दीक्षित बताते हैं, इसकी शुरुआत मुलायम सिंह यादव ने विक्रमादित्य मार्ग पर तीन बार सैफई मार्ग लिखवाकर की थी. धीरे-धीरे उनके सभी रिश्तेदारों ने ज्‍यादातर इमारतों पर कब्जा कर लिया. इसकी वजह से मायावती को ईर्ष्या होने लगी जिन्होंने अब अपनी राजनैतिक और प्रशासनिक ताकत का इस्तेमाल करके मॉल एवेन्यू को माया एवेन्यू में तब्दील कर दिया है.

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