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मनोज गौड़ ने बनाया शोहरत का फॉर्मूला-1

भारत को ग्लानि से उबार कर गर्व का एहसास कराने वाले गौर एफ-वन रेस से पहले और बाद सारी दुनिया में छाए रहे.

मनोज गौड़
मनोज गौड़
अपडेटेड 30 दिसंबर , 2011

मनोज गौड़ दो साल पहले नई दिल्ली के सरोजिनी नगर इलाके में गवर्नमेंट बॉयज हाइस्कूल नं. 1 के सामने से गुजर रहे थे. पिलानी बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस जाने से पहले उन्होंने उसी स्कूल से 12वीं पास की थी. वे उसके प्रिंसिपल के पास गए और पूछा कि वे स्कूल के लिए क्या कर सकते हैं. प्रिंसिपल ने गौड़ को ध्यान से देखा और मुस्कराते हुए नेक पहल के लिए उनका शुक्रिया भर अदा कर दिया. 47 वर्षीय मनोज कहते हैं, ''प्रिंसिपल को मालूम नहीं था कि मैं कौन हूं.'' लेकिन यह बात सुर्खियों में नहीं आई.

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जेपी समूह देश का तीसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक है, 1,700 मेगावाट पनबिजली पैदा करने वाली देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी है, और उसके पास 5,120 मेगावाट क्षमता वाले चार तापबिजली संयंत्र हैं, जो अगले तीन साल में उत्पादन शुरू कर देंगे. जयप्रकाश एसोसिएशन लि. (जाल) के इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन डिवीजन ने पिछले साल समूह के राजस्व में 55 फीसदी योगदान किया. इस साल समूह की कंपनियों का कारोबार 20,000 करोड़ रु. से अधिक हो सकता है. उसके इंजीनियरों ने हिमाचल प्रदेश में पनबिजली के लिए पहाड़ काटकर लंबी सुरंग बनाई. लेकिन इनमें से कोई भी उपलब्धि बड़ी खबर नहीं बनी.

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इसके बरअक्स, 30 अक्तूबर को दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में देश के पहले बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में लगभग एक लाख लोगों का मजमा जुटा. उनमें फिल्म, खेलकूद, कारोबार और राजनीतिलगभग हर क्षेत्र के मेहमान शामिल थे. केंद्रीय मंत्रियों की गैरमौजूदगी साफ झ्लक रही थी. उत्तर प्रदेश की मुख्मंयत्री मायावती ने रेस को हरी झ्ंडी दिखाई और यह जोखिम भरा खेल बगैर किसी हादसे के संपन्न हो गया. मीडिया सेंटर में मौजूद देश-विदेश के करीब 550 पत्रकारों ने एफ-1 के सफल आयोजन की खबर दुनिया भर को दी और जेपी की चर्चा चारों ओर होने लगी. जेपी को सुर्खियों का सरताज बनाया एफ-1 रेस ने और इसका श्रेय जाल के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन मनोज गौड़ को दिया गया.

एक साल पहले दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन में देश की भद पिटने के बाद स्पष्ट हो गया था कि बड़े आयोजन के लिए कुशल नेतृत्व की जरूरत होती है. एफ-1 के लिए स्टेडियम, ग्रैंड स्टैंड, मीडिया सेंटर और दूसरी चीजों के अलावा एक लाख लोगों की हॉस्पिटेलिटी की व्यवस्था हो चुकी थी. लेकिन हफ्ते में साढ़े छह दिन काम करने वाले मनोज कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे.

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उन्होंने 28 अक्तूबर को आयोजन शुरू होने से ठीक 15 दिन पहले एक बैठक बुलाई जिसमें कंपनी के सारे डायरेक्टर, वाइस-प्रेसीडेंट और महत्वपूर्ण अधिकारी शामिल थे. उन्होंने कहा, ''हिंदुस्तानियों को सब कुछ आता है, पर कभी-कभी फिनिश ठीक नहीं हो पाता.'' उन्होंने इस आयोजन की तुलना एक बारात से की और कहा, ''बारात में सिर्फ एक दूल्हा होता है लेकिन इसमें 24 दूल्हे आ रहे हैं. बारात जब तक चली न जाए तब तक लगे रहें.'' दरअसल, यह गौड़ का शोहरत का फॉर्मूला था.

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लेकिन यह समूह भट्टा-पारसौल से लेकर टप्पल तक जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के आंदोलन के समय भी सुर्खियों में था. मायावती के साथ समूह के निकट संबंध की दबे स्वर में चर्चा के बारे में मनोज कहते हैं, ''लोग यह भूल जाते हैं कि हमने सबसे ज्‍यादा निवेश हिमाचल प्रदेश में किया है,'' जहां भाजपा की सरकार है. इसके बाद बड़ा निवेश मध्य प्रदेश में किया जा रहा है. यही नहीं, आंध्र प्रदेश में सीमेंट प्लांट लग रहा है, जहां कांग्रेस की 'कूमत है. वे जाल के शेयर भाव गिरने के बारे में कहते हैं, ''हमारी किस्मत भारत से जुड़ी हुई है. अर्थव्यवस्था की मंदी का असर पड़ना तय है.''

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हिंदी फिल्मों के शौकीन मनोज 2006 में उस समूह के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त किए गए जिसे उनके पिता जयप्रकाश गौड़ ने खड़ा किया. उत्तर प्रदेश के एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयप्रकाश ने 1958 में राजस्थान की एक नहर के ठेके से शुरुआत की. लेकिन उनके साथी पीछे हट गए. 1967/68 में उन्होंने अपने भाई, बहनोई और करीबी सहयोगियों के साथ जेपी समूह तैयार किया और आज भी उसमें सारे लोग साझीदार हैं. जयप्रकाश गौड़ आज भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. क्रिकेट के शौकीन मनोज कहते हैं, ''सलामी बल्लेबाज अगर दोहरा शतक जड़ने के बावजूद खेल रहा हो तो सामने वाले बल्लेबाज के लिए शॉट लगाना आसान हो जाता है.''

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