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वृहत अर्थव्‍यवस्‍था: महाराष्‍ट्र ऊर्जा की शक्ति से सराबोर

महाराष्ट्र के वित्त एवं ऊर्जा मंत्री अजित पवार का तय दर से ऊंची दर पर बिजली खरीदने का फैसला कारगर रहा है. बिजली ने राज्‍य के औद्योगिक विकास में तेजी लाई है और सेवा क्षेत्र में रफ्तार बरकरार रखने में भी सहायक रही है.

ऊर्जा मंत्री अजित पवार
ऊर्जा मंत्री अजित पवार
अपडेटेड 5 नवंबर , 2011

महाराष्ट्र के वित्त एवं ऊर्जा मंत्री अजित पवार का तय दर से ऊंची दर पर बिजली खरीदने का फैसला कारगर रहा है. बिजली ने राज्‍य के औद्योगिक विकास में तेजी लाई है और सेवा क्षेत्र में रफ्तार बरकरार रखने में भी सहायक रही है. ये दोनों क्षेत्र राज्‍य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी 89 प्रतिशत योगदान देते है.

2009 में राज्‍य का जीडीपी 9,01,330 करोड़ रु. था और उसने राष्ट्रीय जीडीपी में 14.7 प्रतिशत का योगदान दिया था. उम्मीद है कि 2010-11 के दौरान महाराष्ट्र के जीडीपी में 10.5 फीसदी इजाफा होगा.

सरकार में कांग्रेस की गठबंधन भागीदार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चूंकि वित्त, ऊर्जा और जल आपूर्ति मंत्रालयों को चलाती है, इसलिए उनके कामकाज में ज्‍यादातर पवार की चलती है और इससे इन विभागों के बीच बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिली है. वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने बिजली और जल आपूर्ति के लिए ज्‍यादा पैसा दिया है.

दिल खोलकर किए गए इस आवंटन से राज्‍य को फायदा भी मिल रहा है. उद्योग में 9.1 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 10.9 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है. महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय 74,027 रु. है, जो 46,492 रु. की राष्ट्रीय औसत आय से कहीं ज्‍यादा है. इस आंकड़े से वृहत्‌ अर्थव्यवस्था में राज्‍य की ओर से उठाए गए लंबे कदमों की पुष्टि होती है.अर्थव्‍यवस्‍था

महाराष्ट्र में 19,166 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. राज्‍य में रोजाना करीब 5,500 मेगावाट बिजली की कमी पड़ रही है. पर 31 दिसंबर, 2012 तक अतिरिक्त बिजली पैदा करने के उसके लक्ष्य के मद्देनजर सरकार ने  निजी कंपनियों से बिजली खरीदने के 15 सहमति पत्रों पर दस्तखत किए हैं.

39 प्रतिशत खपत के साथ औद्योगिक क्षेत्र बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जिसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं का नंबर आता है, जो 23 प्रतिशत बिजली का इस्तेमाल करते हैं. कृषि क्षेत्र में 18 प्रतिशत बिजली का उपभोग होता है. पानी और बिजली पर्याप्त मात्रा में होने से उत्पादन क्षेत्र में 8.6 प्रतिशत और भवन निर्माण के क्षेत्र में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

इसके साथ ही राज्‍य को सामान्य मानसून का भी फायदा मिला है, क्योंकि कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों में 2007-08 के बाद दोहरे अंकों में वृद्धि हुई है. भवन निर्माण के क्षेत्र में वृद्धि की वजह से उद्योग और सेवा दोनों ही क्षेत्रों में तेजी आई है. व्यापार के साथ-साथ होटलों और रेस्तरांओं में 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. पिछले 50 वर्षों के दौरान राज्‍य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र का हिस्सा हालांकि 31.1 फीसदी से घटकर 10.5 फीसदी रह गया है, लेकिन इसी अवधि में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 45.7 फीसदी से बढ़कर 60.6 फीसदी हो गया है.

महाराष्ट्र ने 2009-10 में अपने कर्ज की लागत भी 9.1 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी कर ली है. वर्षा जल संग्रहण परियोजनाओं को अनिवार्य कर दिए जाने से सरकार को भवन निर्माण की परियोजनाओं के लिए पानी की सप्लाई करने में मदद मिली है. राज्‍य में अक्तूबर, 2010 तक बारिश के पानी के संग्रहण के लिए 7,914 ढांचे बनाए गए. 3,008 ग्राम पंचायतों में जलस्वराज योजना लागू करने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी सप्लाई की गुणवत्ता में खासा सुधार हुआ है.

अरुणाचल प्रदेश सबसे ज्‍यादा उन्नत छोटा राज्‍य
तरक्की की सड़क
भारत के दूसरे कोने में बसा अरुणाचल प्रदेश विकास की राह में आने वाली बाधाओं को पाटने के लिए सड़क बनाने पर निवेश कर रहा है. 12वीं योजना में 12 फीसदी की वृद्धि हासिल करने की राज्‍य की उम्मीद मुख्य रूप से 2013 में ट्रांस-अरुणाचल हाइवे नेटवर्क के पूरा होने पर टिकी है. प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए 1,452 करोड़ रु. के विशेष आर्थिक पैकेज के बल पर बन रहा 1,559 किमी लंबा दो लेन वाला यह राजमार्ग 11 जिला मुख्यालयों से होता हुआ गुजरेगा. राज्‍य की राजधानी और बाकी बचे पांच जिलों को संपर्क सड़कों के जरिए इस राजमार्ग से जोड़ा जाएगा. इन संपर्क सड़कों की कुल लंबाई 848 किमी होगी. इस परियोजना के तहत 500 से ज्‍यादा गांवों के साथ संपर्क जुड़ेगा. चीन का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जरबोम गामलिन कहते हैं, ''लोग विकासशील अरुणाचल का अपना सपना उसी तरह पूरा करना चाहते हैं जैसे वे सीमा पार के क्षेत्रों को देखते हैं.''

राज्‍य के पूर्व वित्त तथा योजना मंत्री कलिखो पुल कहते हैं, ''कमजोर बुनियादी ढांचे और दूर-दराज का इलाका होने के कारण यहां रोजगार के अवसर बहुत कम हैं. सरकार स्व-सहायता समूहों, खासकर महिलाओं में काम करने वाले समूहों को लघु स्तरीय कारोबार शुरू करने के लिए 20 लाख रु. तक की पेशकश करती है.'' इसका नतीजा धीमा भले ही रहा है, लेकिन प्रति व्यक्ति कुल कर्ज के अनुपात में लगातार कमी आती गई है.

बुनियादी ढांचे में भारी निर्माण होने की वजह से अरुणाचल प्रदेश की विकास गाथा को ताकत मिली है. राज्‍य सरकार 12वीं योजना की अवधि के दौरान 10,000 मेगावाट बिजली पैदा करने की उम्मीद कर रही है. अंदाज है कि यहां पनबिजली परियोजनाओं के जरिए 63,000 मेगावाट बिजली पैदा किए जाने की संभावना है. पनबिजली पैदा करने की परियोजनाओं के अलावा यहां सौर ऊर्जा का दोहन करने और अगले दो साल के भीतर गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए 550 करोड़ रु. की एक विद्युतीकरण योजना भी चल रही है.

इस पूर्वोत्तर राज्‍य की सीमाएं हालांकि तीन देशों-चीन, म्यांमार और भूटान-से लगती हैं, लेकिन न तो यहां कोई हवाई अड्डा है और न ही रेल यातायात के साधन हैं. बहरहाल, अब दो वर्षों में इस राज्‍य को रेल और हवाई नक्शों में लाने की योजना है और उस दिशा में काम चल रहा है. जहां इटानगर में 550 करोड़ रु. की लागत से एक हवाई अड्डा बनाया जा रहा है तो वहीं पूर्वी सियांग में मुरकोंगसेलेक को रेल मार्ग के जरिए असम के हरमुती से जोड़ा जाएगा.

राज्‍यपाल जे.जे. सिंह रेल संपर्क बनाने के काम में निजी तौर पर दिलचस्पी ले रहे हैं और उसकी प्रगति पर नजर रख रहे हैं. उनका कहना है, ''रेल नेटवर्क बुनियादी ढांचे के निर्माण में एक बड़ा कदम है, जिससे हमारे देश की एकता मजबूत होती है. अहम है कि बड़ी लाइन के दूसरे चरण का काम, जो इटानगर को जोड़ेगा, अगले साल पहला चरण पूरा होने के बाद शुरू कर दिया जाएगा.''

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