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पन्ना टाइगर रिजर्व की हथिनी 'वत्सला' कैसे बन गई थी सबकी दादी-नानी!

तकरीबन 100 साल की उम्र वाली एशिया की सबसे बुजुर्ग हाथी वत्सला ने 8 जुलाई को आखिरी सांस ली

दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला नहीं रही.
वत्सला हथिनी एक शिशु हाथी के साथ
अपडेटेड 11 जुलाई , 2025

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के नाम से ही इसके पहचान का पता चलता है. इस रिजर्व में आम तौर पर अक्सर ही बाघ दिख जाते हैं. लेकिन हाल के सालों में अगर कोई पन्ना टाइगर रिजर्व गया हो तो स्थानीय गाइड वहां के बाघों के बारे में बताते-बताते वत्सला हाथी के बारे में जरूर बताते थे. और कहते कि इस टाइगर रिजर्व में एशिया की सबसे अधिक उम्र की मादा हाथी वत्सला रहती है.

स्थानीय स्तर पर वन्य जीवों के प्रबंधन के काम में लगे अधिकारी भी वत्सला के बारे में बड़े गर्व से बताते थे. ये अधिकारी बताते थे कि कैसे इतनी अधिक उम्र के बावजूद उसकी देखभाल की जाती है और इसे पहले केरल से होशंगाबाद लाने और बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की क्या कहानी है.

केरल के नीलांबूर फॉरेस्ट डिविजन में वत्सला का जन्म हुआ था. तकरीबन 50 साल की उम्र में वत्सला मध्य प्रदेश के होशंगाबाद 1972 में लाई गई. इसके बाद 1993 में यह हथिनी पन्ना टाइगर रिजर्व में आई.  

लेकिन अब यह कहानी खत्म हो गई है. बीते 8 जुलाई को वत्सला ने पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता परिक्षेत्र में अपनी आखिरी सांसें लीं. वत्सला की उम्र तकरीबन 100 वर्ष थी. 8 जुलाई को पन्ना टाइगर रिजर्व के तहत जो खैरईया नाला है, वहां आगे के पैरे के नाखून टूटने के कारण वत्सला बैठ गई. जब वन ​कर्मियों को यह जानकारी मिली तो वे वहां पहुंचे. बहुत देर तक उसे उठाने का प्रयास किया गया. लेकिन वत्सला नहीं उठी और उसी दिन दोपहर में उसी स्थान पर वत्सला ने अपनी आखिरी सांसें लीं.

पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि रिजर्व में रहने वाले सभी हाथियों में सबसे उम्रदराज होने के नाते वत्सला सबकी नेता थी. एक अधिकारी ने बताया कि जब कोई हाथिन अपने बच्चे को जन्म देती थी तो वत्सला शिशु हाथियों की देखभाल घर के बुजुर्ग दादी-नानी की तरह करती थी.

एक अधिकारी ने यह भी बताया कि उम्र अधिक हो जाने के कारण वत्सला को आंखों से दिखना बंद हो गया था और वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी. 2020 से वत्सला को दिखना बंद हो गया था. इसी वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व प्रशासन अन्य हाथियों की तरह वत्सला का इस्तेमाल पेट्रोलिंग के लिए नहीं करता था. यह हथिनी 2024 से ही रिटायर्ड जीवन जी रही थी.  

वत्सला को रिजर्व के अंदर हिनौता कैंप में रखा जाता था और रोज नहाने के लिए उसे खैरईया नाले तक ले जाया जाता था. हाथियों को चारा देने का काम देखने वाले मणिराम वत्सला की सूंढ़ पकड़कर उसे खैरईया नाले तक नहाने ले जाते थे. उसके स्वास्थ्य के देखभाल के लिए समय-समय पर उसके जरूरी मेडिकल परीक्षण किए जाते थे.

2003 और 2008 में दो बार वत्सला पर राम बहादुर नाम के नर हाथी ने हमला किया था. दोनों बार वत्सला को काफी चोटें आई थीं. 2003 के हमले के बाद वत्सला को करीब 200 टांके लगाने पड़े थे और तकरीबन 9 महीने तक उसका इलाज चला था. दोनों बार डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने वत्सला का ईलाज किया था.

दुनिया की सबसे उम्रदराज हाथी के तौर पर वत्सला का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराने की कोशिश की गई थी. लेकिन 1972 में जब उसे केरल से मध्य प्रदेश लाया गया था, उस समय के कुछ दस्तावेज नहीं मिलने के कारण यह काम नहीं हो सका.

पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की कहती हैं, "टाइगर रिजर्व के अंतर्गत बाघ पुनर्स्थापन योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा है."
 

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