सहारनपुर शहर से 20 किमी दूर स्थित बिडवी गांव में यूपी शुगर कॉर्पोरेशन लि. द्वारा संचालित 2,500 टन प्रतिदिन क्षमता वाली लॉर्ड कृष्णा शुगर मिल को राज्य सरकार के पोंटी चड्ढा ग्रुप की वेव इंडस्ट्रीज को मात्र 31.62 करोड़ रु. में बेचे जाने का मामला तूल पकड़े हुए है.
ग्रुप के चेयरमैन और शुगर इंडस्ट्री की एक बड़ी और अनुभवी शख्सियत सरदार उमराव सिंह के मुताबिक कॉर्पोरेशन ने कई वर्षों से घाटे का सौदा साबित हो रही अपनी जिन दस चीनी मिलों को बेचा था, उनमें से पांच को उनकी वेव इंडस्ट्री ग्रुप और पांच को इंडियन पोटाश लि. ने खरीदा है.
दो दशक पहले सहारनपुर शहर से लॉर्ड कृष्णा शुगर मिल को बिड़वी में स्थानांतरित कर दिया गया था. बिड़वी चीनी मिल के पास बिड़वी में 3,38,460 मीटर जमीन है और पहली यूनिट जो सहारनपुर शहर में स्थित थी, उसकी जमीन 2,80,000 मीटर है. यानि कुल जमीन हुई 6,18,460 मीटर. यूपी फारमर्स फोरम के संरक्षक चौ. प्रीतम सिंह के मुताबिक बिड़वी में चीनी मिल लगाने के लिए ग्राम पंचायत और किसानों ने जमीन दान में दी थी.
कॉर्पोरेशन ने वेव इंडस्ट्री को अकेले सहारनपुर में ही 120 बीघा जमीन और चलते हुए चीनी मिल प्लांट समेत कुछ संपत्ति का बैनामा मुख्यमंत्री मायावती की आंखों में चढ़े पोंटी चड्ढा की वेव इंडस्ट्रीज के नाम कर दिया.
इस संपत्ति में नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन (एनटीसी) द्वारा लॉर्ड कृष्णा टेक्सटाइल मिल की जगह भी शामिल है. छह-सात ऐसे लोग भी हैं, जिनकी निजी जमीन और संपत्ति का भी बैनामा कॉर्पोरेशन ने किया हुआ है. इसमें कुछ संपत्ति शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की भी शामिल है. जिसके खसरा नंबर 686 पर 1712 ई. में बना मुगलकालीन सुल्तान जहांदार मिर्जा देहलवी उर्फ शेख चिल्ली का मकबरा अब भी मौजूद है.
स्कूल संपत्ति का बैनामा यूपी स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन लखनऊ के जीएम सेल अनिल कुमार बिसारिया द्वारा 22 नवंबर, 2010 को वेव इंडस्ट्री ग्रुप के चेयरमैन स. उमराव सिंह के नाम किया गया था. शुगर इंडस्ट्री के कई बड़े जानकारों के मुताबिक आज बिड़वी चीनी मिल जैसी यूनिट लगाने में 125 से 130 करोड़ रु. की लागत आएगी.
जाहिर है कि बिड़वी चीनी मिल प्लांट, एनटीसी की लॉर्ड कृष्णा टेक्सटाइल समेत वेव इंडस्ट्री के हक में महज 31.62 करोड़ रु. में बेची गई कुल संपत्तियों के बारे में कोई भी अनुमान लगा सकता है कि इसके पीछे बेचने वालों की क्या नीयत रही होगी.
मायावती सरकार ने जब घाटे में चल रही 10 चीनी मिलों को बेचने का निर्णय लिया था तब अकेले सहारनपुर बिड़वी चीनी मिल के प्रधान प्रबंधक आर.पी. सिंह ने 5 अगस्त, 2010 को उप्र राज्य चीनी निगम लि. के प्रबंध निदेशक को भेजे पत्र में जिलाधिकारी सहारनपुर द्वारा जारी सर्किल रेट के अनुसार नई और पुरानी मिल की कीमत का मूल्यांकन लगभग 486.7 करोड़ रु. किया था. यदि उसको आधार माना जाए तो आसानी से इस पूरे खेल को समझा जा सकता है.
इस पूरे खेल के बारे में वेव इंडस्ट्री के चेयरमैन स. उमराव सिंह के जवाब मासूमियत भरे हैं और वे पोंटी चड्ढा और खुद को पूरी तरह बेदाग बताते हैं. उनका कहना है, ''कॉर्पोरेशन ने इन मिलों को बेचते वक्त खुली निविदाएं मांगी थीं और हमारा टेंडर सबसे ज्यादा पाए जाने पर हमारे नाम बैनामा कर दिया गया और कॉर्पोरेशन ने संपत्ति हमारे नाम की है.''
बकौल उमराव सिंह बिड़वी चीनी मिल कई वर्षों से लगातार घाटे में जा रही थी. हमने 2,50,000 क्विंटल की पेराई को बढ़ाकर 23,00,000 क्विंटल कर दिया और किसानों और मजदूरों के हितों को भी नुकसान नहीं होने दिया. किसानों के खरीदे गए गन्ने का समय पर और पूरा भुगतान किया और अब हम इस यूनिट की पेराई क्षमता बढ़ाने जा रहे हैं.
फारमर्स फोरम के संरक्षक चौ. प्रीतम सिंह भी स्वीकार करते हैं कि कॉर्पोरव्शन की मिलें वास्तव में घाटे में चल रही थीं. लेकिन इसकी वजह प्रशासन का कुप्रबंधन था. सरकार इसे दुरुस्त कर घाटा दूर करने का काम कर सकती थी. लेकिन उसने घाटे का बहाना बनाकर इन मिलों को पसंदीदा लोगों को कौड़ियों के दाम बेच दिया.
एनटीसी के अधीन लॉर्ड कृष्णा टेक्सटाइल मिल की जमीन का बैनामा भी बिड़वी चीनी मिल के साथ कर दिए जाने पर एनटीसी के चेयरमैन के.आर. पिल्लै ने कड़ी आपत्ति जताई है. वे इसके खिलाफ कोर्ट की शरण में गए हैं. इस संबंध में वेव इंडस्ट्रीज के चेयरमैन उमराव सिंह का कहना है कि यह विवाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच है और जो भी समाधान निकलेगा उन्हें मंजूर होगा.
गैर बसपाई दल खासकर भाजपा इस प्रकरण को जोर-शोर से उठा रही है. भाजपा के दो राष्ट्रीय सचिवों संतोष गंगवार और किरीट सौमेया की टीम ने सहारनपुर पहुंचकर इस पूरे मामले की गहराई से जांच करने के बाद कहा कि राज्य सरकार ने चीनी मिलों को बेचने की टेंडर प्रक्रिया को सही तरीके से नहीं अपनाया जिसे लेकर वे जनता के बीच जाएंगे.
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