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लैला खान: कंकालों से बेपरदा हुई पुलिस की लापरवाही

अभिनेत्री लैला खान और उसका परिवार 17 महीनों से लापता था. मुंबर्ई पुलिस को उनके फार्म हाउस में उनके कंकाल तीसरी बार जाने पर मिले.

अपडेटेड 17 जुलाई , 2012

दस जुलाई को, मुंबई से सिर्फ 140 किलोमीटर दूर, अभिनेत्री लैला खान के इगतपुरी फार्महाउस के पिछवाड़े में मुंबई पुलिस ने छह कंकाल खोज निकाले. इस फार्महाउस में दो बार पहले भी आने के बावजूद उसे यह कंकाल खोजने में 17 महीने लग गए. लैला और पांच सदस्यों का उसका परिवार फरवरी 2011 के बाद से लापता था.

पुलिस तब भी चौकस नहीं हुई, जब जून 2011 में लगी आग में घर का कुछ हिस्सा नष्ट हो गया और फार्महाउस का फर्नीचर आसपास के घरों में पहुंच गया. उसे लैला की दो पर्शियन बिल्लियों में से एक को देखकर भी शक नहीं हुआ, जिन्हें वह हमेशा अपने साथ ले जाती थी.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मुख्य अभियुक्त और लैला की मां शेलीना पटेल के तीसरे पति 30 वर्षीय परवेज टाक का पता लगाने के लिए पहल तब की, जब लैला की कार किश्तवाड़, जम्मू-कश्मीर में टाक के पिता के गैरेज में पाई गई. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे नेपाल में ढूंढ निकाला, जहां वह छिपा हुआ था, उसे नौकरी दिलाने का लालच देकर वापस बुला लिया. टाक ने कश्मीर पुलिस को बताया कि शेलीना के दूसरे पति आसिफ शेख ने लैला की हत्या कर दी है. लेकिन जब मुंबई पुलिस ने उससे पूछताछ की तो टाक ने कबूल किया कि उसने और उसके सहयोगी शाकिर 'सैन वानी ने उनकी हत्या कर दी.Laila Khan

टाक ने मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को बताया कि उसने 29 वर्षीया लैला, उसकी 50 वर्षीया मां शेलीना, लैला की 31 वर्षीया बहन अजमीना, 22 वर्षीया जुड़वा भाई-बहन जारा और इमरान और 23 वर्षीया चचेरी बहन रेशमा को लैला के फार्महाउस में 9 फरवरी, 2011 को मार डाला था. शेलीना और लैला उससे मेहमानों को पानी देने और होंडा सिटी, मित्सुबिशी तथा स्कॉर्पियो जैसी अपनी गाड़ियां चलाने को कहती थीं जिससे वह अपमानित महसूस करता था.

जब शेलीना ने अपनी संपत्ति की पावर ऑफ अटार्नी शेख के नाम करके दुबई में बसने की योजना का ऐलान किया तो टाक ने कथित तौर पर खुद को ठगा हुआ महसूस किया. संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) हिमांशु रॉय ने कहा कि टाक ने संपत्ति पर विवाद के कारण सबसे पहले शेलीना की हत्या की. रॉय ने बताया, ''उसके बाद टाक ने इमरान और जारा को मार डाला, जो उनसे मिलने आए थे. फिर वानी की मदद से दूसरों की हत्या कर दी.''

पुलिस का मानना है कि टाक लालच से प्रेरित था. शेलीना, लैला और अजमीना ओशिवाड़ा में एक फ्लैट और एक कपड़े की दुकान, मीरा रोड में एक फ्लैट और इगतपुरी में एक फार्महाउस की मालिक थीं. इस संपत्ति की कुल कीमत 6 करोड़ रु. थी. कंकालों की पुष्टि डीएनए परीक्षण के बाद ही होगी. रॉय ने कहा, ''हमने फॉरेंसिक विशेषज्ञों से लैला के पिता नादिर शाह पटेल और शेलीना की बहनों के डीएनए नमूने लेने और कंकाल के डीएनए के साथ उनका मिलान करने के लिए कहा है.'' डीएनए जांच की रिपोर्ट इस महीने के आखिर में आने की उम्मीद है.

हैरानी की बात यह है कि लैला के पिता द्वारा इन लोगों की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करने के छह महीने बाद, सितंबर 2011 में, ओशिवाड़ा पुलिस मामले की जांच के लिए लैला के सनशाइन अपार्टमेंट पहुंची. पुलिस थाना इस अपार्टमेंट ब्लॉक से मुश्किल से 100 मीटर दूर है. पटेल की बहन अल्बाना पटेल और शेलीना की बहन मेहर अख्तर ने अगस्त 2011 में ही पुलिस को खबर कर दी थी कि शेलीना ने फरवरी के बाद से उनसे संपर्क नहीं किया है, फिर भी पुलिस को किसी गड़बड़ी का संदेह नहीं हुआ.

सितंबर 2011 में मेहर ने पुलिस से दरख्वास्त की कि फार्महाउस की तलाशी ली जाए लेकिन पुलिस ने इसकी अनदेखी कर दी. इतना ही नहीं, दिसंबर 2011 में लैला की 2008 की फिल्म वफा के निर्माता राकेश सावंत ने भी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने उन्हें यह कह कर वापस भेज दिया कि उनकी शिकायत दर्ज कर ली गई है. जनवरी में, लैला के पिता ने आरोप लगाया कि शेख और टाक ने परिवार को मारने की साजिश की है. पुलिस ने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की.

पुलिस नींद से तब जागी, जब मीडिया ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ लैला के संभावित संबंधों के बारे में अटकलों को छापना शुरू कर दिया. मुंबई के एक टैब्लॉयड अखबार ने खबर छापी कि लैला दुबई में थी और उसकी मित्सुबिशी कार सितंबर 2011 में दिल्ली हाइकोर्ट के बाहर हुए बम विस्फोटों में इस्तेमाल की गई थी. जम्मू क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक गरीब दास ने इस रिपोर्ट से तुरंत इनकार कर दिया. लेकिन महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने इस पर गौर किया और लैला और टाक की तलाश में एक दल कश्मीर भेजा. उन्हें आतंकवाद का पहलू तो नजर नहीं आया, लेकिन उनकी कार्रवाई के कारण लैला मीडिया के लिए मुद्दा बन गई और इस साल मार्च के अंत में पुलिस को उसकी तलाश शुरू करनी पड़ी.

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एम.एन. सिंह पुलिस का बचाव करते हुए कहते हैं कि जब तक किसी गड़बड़ी का संदेह न हो, पुलिस किसी वयस्क के बारे में गुमशुदगी की शिकायत को गंभीरता से नहीं लेती. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, ''पुलिस पर पहले ही बहुत बोझ है. पुलिस हर गुमशुदा इनसान को नहीं खोज सकती.

लैला के मामले में, पूरा परिवार शेलीना के तथाकथित पति के साथ था. वे खुद अपने घर से निकले थे और यह मानने का कोई कारण नहीं था कि वे शायद मारे गए हों.'' वे मानते हैं कि लैला की खोज के मामले में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे कहते हैं, ''टाक अन्य मामलों में वांछित अभियुक्तथा. लैला के मामले में वह शक के दायरे में तब आया, जब मीडिया ने उसे संदिग्ध के तौर पर पेश किया.''

आम तौर पर, पुलिस गुमशुदगी की शिकायत गुमशुदा व्यक्तियों के ब्यूरो को दे देती है, जो लुकआउट नोटिस जारी कर देता है. पुलिस अस्पतालों, शवगृहों और यहां तक कि अपने खुद के लॉक-अप तक में गुमशुदा लोगों की तलाश करती है. अगर कोई पाया जाता है, तो रिश्तेदारों को सूचित कर दिया जाता है. गुमशुदा व्यक्तियों के ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, मुंबई में औसत 28 लोग रोजाना गुम होते हैं.

लैला के फार्महाउस में कंकाल की बरामदगी ने उसकी 85 वर्षीया दादी कनीज फातमा को तोड़ कर रख दिया है, जो मुंबई के बाहरी इलाके मीरा रोड में रहती हैं. वे रोते हुए कहती हैं, ''परवेज ने मेरे छोटे बच्चों को क्यों मार दिया? उनकी क्या गलती थी?'' अल्बाना कहती हैं, ''परवेज ने हमें बताया था कि वह बहुत मजहबी है और उसे पसंद नहीं था कि उसकी 'पत्नी' और 'बेटियां' फिल्मों में अभिनय करें. हमने उस पर विश्वास करके गलती कर दी.'' लैला की रिश्ते की बहन मेहनाज नाजिम कहती हैं कि परिवार को सदमे से उबरने में बहुत समय लगेगा.

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