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किरण मंडल: क्या हुआ तेरा वादा?

किरण मंडल बीजेपी में रहते हुए वादों के भरोसे जीते पर कांग्रेस में जाने के बाद जनता को भी भूल गए और अपने चुनावी वादों को भी.

अपडेटेड 29 जुलाई , 2012

उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में चर्चाओं से दूर रहे दो चेहरे चुनाव के बाद सबसे अधिक चर्चा में हैं. यह दो नाम हैं-विजय बहुगुणा और किरण मंडल.

सितारगंज के जातीय समीकरणों को देखते हुए बीजेपी ने किरण मंडल को अपना प्रत्याशी बनाया और वह भारी मतों से जीते भी. लेकिन फिर उनके बीजेपी छोड़ कांग्रेस में चले जाने पर बीजेपी वाले इस कदर नाराज हैं कि उनका नाम लेना तक उन्हें गवारा नहीं.

मंडल के चुनावी मुद्दों की बात छेड़ने पर ऊधमसिंह नगर के बीजेपी जिलाध्यक्ष सुरेश परिहार कहते हैं, ''कौन से चुनावी वादे, जो आदमी पार्टी का नहीं हो सका वह जनता का क्या होगा.'' भूमिधरी का सवाल, सितारगंज में डिग्री कॉलेज खोलना, रोडवेज बस अड्डा निर्माण, अलग महिला चिकित्सालय और संयुक्त चिकित्सालय में बेड बढ़ाने के साथ ही सितारगंज-सिडकुल-हल्द्वानी सहित स्थानीय सड़कों के निर्माण किरण मंडल के प्रमुख चुनावी मुद्दे थे.

उनकी स्वच्छ और ईमानदार छवि और दोनों प्रभावशाली पार्टियों में एकमात्र बंगाली प्रत्याशी होने के कारण बंगाली समुदाय उनके पक्ष में एकजुट हुआ. कोई उनकी जीत का कारण महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे बताता है तो कोई जातिवाद.

बीजेपी नेता डॉ. गिरीश तिवारी कहते हैं, ''सितारगंज का चुनाव पार्टी के राज्‍य नेतृत्व द्वारा तैयार किए गए चुनाव घोषणा पत्र के आधार पर लड़ा गया, जिसमें सितारगंज के लिए अलग से कोई वादा नहीं था. मंडल की जीत का कारण कोई चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि जातिवाद था.''

मंडल की जीत का कारण जो भी रहा हो, सवाल यह है कि चुनावी मुद्दे तो थे और उनका हुआ क्या? मंडल के यह सीट छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भारी मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. तीन जून को उपचुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री ने सितारगंज में किरण मंडल के तमाम वादों को पूरा करने की घोषणा कर दी थी, जिन पर अमल भी शुरू हो गया है.

शक्तिफार्म की 20 सड़कों के 32 किमी हिस्से की मरम्मत के लिए 10.89 करोड़ रु. स्वीकृत हो चुके हैं. सिरसा मोड़ से शक्तिफार्म होते हुए सिडकुल तक 58 करोड़ रु. की लागत से सड़क निर्माण प्रक्रिया शुरू हो गई है. एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से बनने जा रही सड़क की फाइल शासन में पहुंच चुकी है.

सितारगंज के सिसौना में डिग्री कॉलेज बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन का प्रस्ताव भेजा गया है, जबकि बाढ़ सुरक्षा के लिए 16 करोड़ रु. के अवमुक्त होने के साथ ही कैलाश और गढ़ी नदियों को गहरा करने का काम चल रहा है. शक्तिफार्म में प्राथमिक अस्पताल का उच्चीकरण हो चुका है. बेड की संख्या 4 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है. साथ ही मुख्यमंत्री ने महिला डॉक्टर की तैनाती का भी भरोसा दिलाया है.

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सितारगंज के लिए 33 केवीए सब स्टेशन बनाने, पॉलीटेक्निक व आइटीआइ केंद्र खोलने, अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलग से पॉलीटेक्निक खोलने, सितारगंज में स्टेडियम व पुस्तकालय बनाने और सितारगंज विजटी मार्ग के निर्माण की भी घोषणा की है.

हालांकि भूमिधरी का मुद्दा फिर उलझ्ता नजर आ रहा है. बंगाली समुदाय की मांग रही है कि उनके भूमि अधिकार को वर्ग (8) नॉन जेडए से जेडए में बदला जाए, लेकिन 18 जुलाई से सितारगंज तहसील में भूमि अधिकार हासिल करने पहुंचे लोगों को तब हैरानी हुई जब उनकी भूमि जेडए (1ए) में दर्ज होने के बजाए वर्ग (9) नॉन जेडए में ही हस्तांतरित हुई. यानी अभी भी सितारगंज के लोगों को भूमि का अधिकार पूरी तरह हासिल नहीं हो पाया है. तय है कि इस मुद्दे पर सियासत एक बार फिर गरमाएगी जरूर.

-प्रवीण कुमार भट्ट और रूपेश कुमार सिंह

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