लाइट-कैमरा-एक्शन. ये वे तीन शब्द हैं जिनसे लाखों नौजवानों की धड़कनें और ख्वाब जुड़े हुए हैं. मगर इन जगमगाती लाइटों के बंद होते ही बॉलीवुड का सामने आने वाला चेहरा बेहद काला है.
मॉडलिंग हो या फिल्मी दुनिया, शोहरत का यह वह बाजार है जिसकी एक झलक पाना किसी के लिए ख्वाब पूरा होने से कम नहीं है. यही वह जगह है जहां सपनों के सौदागर सपनों का कारोबार करते हैं. इन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए हर साल हजारों युवा इस मायानगरी में खिंचे चले आते हैं. लेकिन जब उनका यह सपना टूटता है तो सितारों की चकाचौंध में छुपी एक ऐसी दुनिया से हमारी मुलाकात होती है जिसका दागदार चेहरा हममें से शायद ही कोई देखना चाहता हो. यह वह बॉलीवुड नहीं है जो आपके और हमारे जेहन में बसता है बल्कि एक ऐसा जहां है जिसके रूपहले परदे के पीछे एक भरी-पूरी काली दुनिया उसांसें भरती हैं.
इसी चमचमाती दुनिया के पिछवाड़े में अब अपराध की एक नई कहानी दस्तक दे चुकी है. एक ऐसी कहानी जिसने मुंबई पुलिस की नींद उड़ा दी है, एक ऐसी कहानी जिसने सपनों की नगरी में अरमान साकार करने पहुंचे नौजवानों को दहला दिया है. क्योंकि यह कहानी है बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के कॉकटेल की और इसके निशाने पर हैं ऐसे रईस लोग जो मायानगरी में अपनी किस्मत आजमाने आते हैं.
अपराध की इस नई कहानी को लिखने वाली अंडरवर्ल्ड और मॉडल की नई टीम की यह बिल्कुल नई साजिश है. साजिश है परदे पर चमकने के लिए अपनी किस्मत आजमाने मुंबई आने वाले हजारों-लाखों लोगों में से उन लोगों को चुनकर मारना जिनके पास कीमती प्रॉपर्टी या ढेर सारा रुपया है ताकि उन्हें मारकर उनकी जायदाद पर आसानी से कब्जा किया जा सके.
इस पूरे चक्रव्यूह के दो सबसे अहम किरदार हैं छोटी-मोटी फिल्मों में काम कर चुकी एक्टर और मॉडल सिमरन सूद और कभी अंडरवर्ल्ड से जुड़ा रहा गैंगस्टर विजय पलांडे जो एक डबल मर्डर कव्स में नौ साल तक पुणे की जेल में रहा और कुछ समय पहले ही रिहा हुआ था. सिमरन वह कड़ी है जो पहले शिकार को तलाशती, उससे दोस्ती करती, फिल्मों मे काम दिलाने का झंसा देती और फिर बाद में उनकी मुलाकात विजय पलांडे से अपने भाई के तौर पर करवाती. 37 साल की सिमरन '90 के दशक में सिंगर बनने का सपना लेकर मुंबई आई थी. डीसीपी प्रताप दिगांवकर कहते हैं, ''सिमरन चूंकि खूबसूरत है इसलिए लोग जल्दी उससे दोस्ती कर लेते थे. फिर वह उन्हें अपने जाल में फंसाकर उनकी संपत्ति हड़पने के लिए पूरी साजिश रचती थी.'' हालांकि सिमरन का कहना है कि, ''मैंने कुछ नहीं किया. आप विजय पलांडे से क्यों नहीं पूछते, वह आपको सब बताएगा. मैंने कुछ नहीं किया.'' पुलिस की जांच से पता चला है कि पलांडे के गिरफ्तार अंडरवर्ल्ड सरगना संतोष शेट्टी से भी संबंध रहे हैं. पुलिस के पास बैंकाक में उन दोनों की मुलाकातों के सबूत हैं.
सिमरन और विजय पलांडे का पहला शिकार बना दिल्ली का व्यापारी 28 वर्षीय करण कक्कड़, जो रूपहले परदे पर चमकने के लिए मुंबई गया था. करण के परिवार का दिल्ली में रियल एस्टेट का कारोबार है. उससे दोस्ती करने में सिमरन को ज्यादा वक्त नहीं लगा क्योंकि दोनों मुंबई के एक ही अपार्टमेंट में रहते थे. करण की बीएमडब्लू कार देखते ही सिमरन समझ चुकी थी कि उसके पास काफी पैसा है. लिहाजा उसके पैसे और कार को हड़पने की साजिश शुरू हो गई. कुछ दिनों की दोस्ती के बाद सिमरन ने पलांडे को अपना भाई बताकर करण से मिलवाया. फिर धीरे-धीरे एक-दूसरे के घर आना-जाना भी शुरू हो गया.
छह मार्च की शाम. पलांडे और उसके साथी धनंजय शिंदे ने कक्कड़ को मुंबई के लोखंडवाला के एक रेस्तरां में किसी फाइनेंसर से मिलवाने के बहाने बुलवाया. फिर उन्होंने कोल्ड ड्रिंक में नींद की दवा मिलाकर करण को पिलाई जिसे पीते ही उसे नींद आने लगी. फिर विजय उसे उसी की बीएमडब्लू कार में उसके घर ओशीवरा के ओबरॉय स्प्रिंग्स अपार्टमेंट में ले गया.
दवा की डोज ज्यादा थी, लिहाजा फ्लैट में पहुंचते ही करण गहरी नींद में चला गया. इसके बाद विजय और धनंजय करण को बाथरूम में ले गए और एक तेज धार हथियार से उसका गला रेत कर उसकी लाश के चार टुकड़े कर उसे थैलियों में भरकर बाथरूम में छुपाकर वहां से चले गए.
इसके बाद दोनों 7 मार्च की सुबह करण के फ्लैट में पहुंचे. फिर उन थैलियों करण की कार की डिक्की में रखकर मुंबई के नजदीक अर्रे कॉलोनी के जंगल में पहुंचे और वहां सुनसान जगह पर कार खड़ी कर दोनों वापस घर चले आए. बीएमडब्लू शाम तक यूंही खड़ी रही. शाम होते ही दोनों वापस जंगल में पहुंचे और कार में बैठकर मुंबई-गोवा हाइवे की तरफ निकल गए. इसके बाद देर रात विजय और धनंजय चिपलूण और सातारा के साथ कुंभरली घाट पहुंचे. फिर उन्होंने चारों थैलियों को कुंभरली घाट में अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया और कार को पुणे में अपने एक साथी के घर खड़ी कर वापस मुंबई लौट आए.
कत्ल से पहले दोनों करण का क्रेडिट कार्ड और बाकी कीमती सामान भी साथ ले आए थे. साजिश का पहला चरण पूरा हो चुका था. अब आगे का खेल. दोनों ने मुंबई के मॉल में उस कार्ड से शॉपिंग की और यहीं गलती कर बैठे. दरअसल करण ने मौत से एक दिन पहले यानी 5 मार्च को दिल्ली में अपने घर आखिरी बार बात की थी. इसके बाद वह गायब हो गया. अगले कई दिनों तक कोई खबर न मिलने पर करण के घरवालों ने मुंबई पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.
हालांकि पुलिस ने शुरुआत में मामले को गंभीरता से नहीं लिया. करण के घरवालों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें टालने की कोशिश की. इसी बीच उन्हें यह भी पता चला कि करण का क्रेडिट कार्ड कोई इस्तेमाल कर रहा है. जिस मॉल में कार्ड इस्तेमाल हुआ था, वहां से करण के घरवाले सीसीटीवी फुटेज भी ले आए और उसे पुलिस को दे दिया. फुटेज में पलांडे और शिंदे साफ दिख रहे थे. मगर पुलिस दोनों की शिनाख्त तक नहीं कर पाई.
इस बीच खुद शॉपिंग करने के बाद पलांडे ने करण का कार्ड सिमरन को दे दिया. वह मार्च में ही बैंकॉक गई और वहां जमकर शॉपिंग की. पर कार्ड के स्टेटमेंट से करण के घरवालों को इसकी जानकारी लग गई. उन्होंने पुलिस को बताया. मगर वह उन तक नहीं पहुंच पाई. उसे न करण की खबर मिली, न ही उसकी बीएमडब्लू कार. घरवाले लगातार दिल्ली-मुंबई का चक्कर लगाते रहे. इस बीच ठीक एक महीने बाद 7 अप्रैल को एक दूसरा मर्डर हो गया.
पलांडे और सिमरन की यह दूसरी गलती थी. दरअसल 7 अप्रैल की रात लोखंडवाला के एक फ्लैट में दिल्ली के एक्टर अनुज टिक्कू के पिता अरुण टिक्कू का कत्ल हो गया. तफ्तीश में पता चला कि अनुज टिक्कू ने अपने घर में दो किराएदार रखे थे. उनमें से एक धनंजय शिंदे था. ये किराएदार मॉडल सिमरन सूद और गैंगस्टर पलांडे ने ही रखवाए थे.
साजिश यह थी कि अनुज का कत्ल कर उसकी करोड़ों की जायदाद पर कब्जा कर लिया जाए और फिर उसकी लाश को कक्कड़ की लाश की तरह ठिकाने लगा दिया जाए. सिमरन ने पलांडे को अनुज से भी उसे करण सूद बताकर मिलवाया था. पर गड़बड़ यह हो गई कि घर में किराएदार रखने की खबर जब दिल्ली में अनुज के पिता अरुण टिक्कू को मिली तो वे मुंबई आ गए और पलांदे के साथियों को घर से बाहर निकाल दिया. लिहाजा विजय ने अनुज टिक्कू से पहले उसके पिता अरुण टिक्कू को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया.
साजिश के तहत कत्ल के एक दिन पहले विजय पलांडे अनुज को अपने साथ घुमाने के बहाने गोवा ले गया...और इधर मौका देखकर पलांडे के दोनों साथियों ने अरुण टिक्कू पर चाकुओं से हमला बोल दिया. उन पर चाकू के कुल 12 वार किए गए पर कत्ल के दौरान हुए शोर-शराबे से गार्ड चौकस हो गया और उसने पुलिस को खबर कर दी. लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही कातिल खिड़की से कूदकर भाग गए. बाद में पुलिस ने अनुज के बयान पर सिमरन, पलांडे और धनंजय को गिरफ्तार कर लिया. मुंबई पुलिस का दावा है कि जल्दी ही तीनों ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया.
उधर तीनों की तस्वीरें टीवी और अखबारों में देखकर अचानक करण कक्कड़ के घरवाले चौंक उठे. क्योंकि पलांडे और शिंदे वही थे जो करण के क्रेडिट कार्ड पर मॉल में शॉपिंग करते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए थे. करण के घरवालों ने फौरन मुंबई पहुंचकर पुलिस को इस बात की जानकारी दी. पुलिस की सख्ती के बाद तो तीनों ने करण के कत्ल की बात कबूल कर ली.
इस तरह एक कत्ल से दूसरे कत्ल का राज खुला. अगर मुंबई पुलिस करण के घरवालों की शिकायत पर पहले मुस्तैदी दिखाती तो शायद अरुण टिक्कू की जान बच जाती. अब उसे करण के घरवालों के इस आरोप का जवाब देना होगा कि उसने करण की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करने में देर क्यों की.
इस बीच पुलिस सिमरन के हाइ प्रोफाइल रिश्तों और जान-पहचान की भी तफ्तीश कर रही है. वह मुंबई के पेज-थ्री सर्किल में सक्रिय थी और आइपीएल पार्टियों में भी जाती थी. पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि सिमरन की स्टॉक ब्रोकर गौतम वोरा से भी पहचान है. पुलिस ने वोरा से पूछताछ की है. देखें, यह मामला आगे क्या शक्ल लेता है.