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शख्सियत: 'भिक्षा' मांगकर गरीबों का पेट भर रहा एक जिलाधिकारी

लोगों से ही राशन जुटाकर जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह गरीबों को पेट भरा और कोरोना संकट के दौरान जौनपुर में एक मिसाल कायम की है.

गरीबों को राशन देने पहुंचे जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह
गरीबों को राशन देने पहुंचे जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह
अपडेटेड 20 अप्रैल , 2020

लॉकडाउन की घोषणा होने के अगले ही दिन जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने जिले में सभी कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर जिले के सभी गरीबों का हालचाल लेने के लिए दौड़ा दिया. अगले दिन जब दिनेश कुमार अपने दफ्तर पहुंते तब तक इनके मेज पर जिले के करीब 12 हजार गरीब परिवारों की पूरी सूची थी. इनमें 9,870 मुसहर आदिवासी जाति के परिवार थे तो 2,000 धनकर जाति के परिवार थे जो टोकरी बुन कर बेचने के काम करते थे. लॉकडाउन में किसी को भी घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी. सरकारी कर्मचारियों की रिपोर्ट के जरिए दिनेश कुमार को जानकारी मिली कि रोज कमा कर खाने वाले इन गरीब परिवारों के घरों में एक या दो दिन का ही राशन बचा है. चूंकि सरकारी कोटे का राशन पहली अप्रैल से बंटना था ऐसे में 31 मार्च तक इन 12 हजार गरीब परिवारों का पेट भरने की बड़ी चुनौती जौनपुर जिला प्रशासन के सामने आ खड़ी थी. दिनेश कुमार ने जौनपुर के लोगों के लिए एक अपील जारी की. दिनेश कुमार ने अपील में कहा, “संकट की घड़ी में जौनपुर परिवार के कुछ गरीब भाईयों के घर खाने का राशन नहीं है. इनके लिए पांच किलो आटा, दो किलो चावल, एक किलो नमक, एक किलो चीनी, हल्दी, सब्जी मसाला का एक पैकेट तैयार दें. हम आपके घर से इसे लेकर गरीबों में बांट देंगे.” दिनेश कुमार की अपील असर कर गई और 48 घंटे के अंदर करीब 70 लाख रुपए का राशन जौनपुर जिला प्रशासन के पास इकट्ठा हो गया. कुछ लोगों से गरीबों के लिए राशन लेने खुद दिनेश कुमार उनकी चौखट पर गए. इसके बाद अभियान चलाकर दिनेश कुमार ने एक दिन में सभी 12 हजार गरीब परिवारों के घरों में राशन पहुंचा दिया. इसके लिए सौ से अधिक टीमें बनीं. एक टीम में खुद दिनेश कुमार भी गरीब परिवारों के घर राशन देने पहुंचे.

पहली अप्रैल से गरीब परिवारों को सरकारी कोटे का राशन मिलने लगा और 15 अप्रैल से पांच किलो चावल भी बंटने लगा. इसी दौरान दिनेश को जानकारी मिली कि गरीब परिवारों के पास राशन तो पहुंच रहा है लेकिन इनके पास खाना बनाने के लिए अन्य सामग्री नहीं है. इसके बाद दिनेश ने पुन: जिले के लोगो से एक अपील जारी की. इसके बाद स्थानीय लोगों से मिली मदद से ढाइ सौ ग्राम हल्दी, सब्जी मसाले के 50 पाउच (एक पाउच में एक बार सब्जी बनती है), एक लीटर सरसों का तेल, तीन किलो आलू, दो किलो प्याज, एक किलो गुड़ का एक पैकेट बनाकर गरीब परिवारों के घर-घर पहुंचाया जा रहा है. यह जौनपुर के जिलाधिकारी के रूप में दिनेश के कामकाज का तरीका ही है जिसने कोरोना वायरस के संक्रमण के लिहाज से एक संवेदनशील जिले में बीमारी को काबू में कर रखा है. अबतक जौनपुर में पांच कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए हैं जिनमें से पहला मरीज ठीक होकर घर जा चुका है और बाकी भी स्वस्थ होने की कगार पर हैं.

जौनपुर यूपी का इकलौता जिला था जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा से पहले ही बाहर से आए लोगों का सर्वे किया जा चुका था. दिनेश ने अपने अधिकारियों के जरिए जिले के सभी 1,749 प्रधानों को फोन लगवाकर उनसे बाहर या विदेश से आए लोगों की जानकारी मांग ली थी. इससे विदेशियों को चिन्हित कर लिया गया. बड़ी संख्या में जौनपुर के लोग महाराष्ट्र में रहते हैं ऐसे 14,000 लोग सामने आए. 20 मार्च तक विदेश से जौनपुर आए कुल 458 लोगों की निगरानी शुरू की गई. इसके लिए ब्लॉकवार 21 टीमें बनाईं. ब्लॉक के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) का प्रभारी डाक्टर, ब्लॉक के उस मुख्यालय के दारोगा और दो सिपाही इन तीनों को एक-एक गांव भेजा गया. डॉक्टर ने एक राउंड सबका स्वास्थ्य परीक्षण किया. संदिग्ध लक्षण वालों को क्वारंटीन में रखा गया. लॉकडाउन लागू होने के एक हफ्ते बाद 66 टीमें बनाई गईं. इन्हें गांव-गांव भेजा गया. तब तक बाहर के प्रदेशों से जौनपुर आए हुए 15 हजार लोग चिन्हित हुए. अब जौनपुर में रह रहे विदशियों की संख्या 473 पहुंच गई थी. इनमें 457 भारतीय थे जो विदेश से वापस आए थे और 15 वो लोग थे जो विदेशी हैं और जौनपुर आए थे. इन 15 विदेशियों में से 14 बांग्लादेश और एक नेपाल के थे. लोगों की लगातार निगरानी और सैँपलिंग की गई. 18 अप्रैल तक 468 लोगों के सैंपल लिए जा चुके थे. जौनपुर में 23 मार्च को पहला कोरोना पॉजिटिव केस सामने आया. यह व्यक्ति सउदी अरब से आया था जो अब ठीक होकर घर जा चुका है.

लखनऊ के सुल्तानपुर रोड पर खुदर्ही बाजार के रहने वाले दिनेश कुमार सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से वर्ष 1983 में फिजिक्स से एमएससी किया. दो वर्ष तक ये लखनऊ के क्रिश्चियन डिग्री कालेज में फिजिक्स के शिक्षक रहे. इसके बाद ये प्रशासनिक सेवा में आए. सितंबर 1986 से 8 जनवरी 1988 तक ये एडीशनल रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर (एआरटीओ) के पद पर रहे. इसके बाद 9 जनवरी 1988 में ये प्रांतीय सिविल सेवा पीसीएस में चयनित हो गए. वर्ष 2013 में दिनेश कुमार आइएएस में प्रोन्नत हो गए. इन्हें 2007 बैच एलॉट हुआ. प्रशासनिक सेवा में नवोन्मेष दिनेश कुमार की कार्यशैली की खासियत रही है. मुजफ्फरनगर दंगे के बाद दिनेश कुमार यहां के जिलाधिकारी बने और सामाजिक समरसता की एक नई मिसाल कायम की. इसके बाद बदायूं डीएम रहने के दौरान इन्होंने यहां के कछला घाट पर 14 जनवरी से गंगा की आरती शुरू कराई. यहां पर वाराणसी की तर्ज पर 11 ब्राह्मण प्रतिदिन आरती करते हैं. इस आयोजन में सरकार की तरफ से कोई खर्च नहीं हुआ बल्कि यह पूरा काम सामाजिक सहभागिता से निरंतर चल रहा है. इसी सामाजिक सहभागिता के जरिए दिनेश कुमार ने कोरोना संकट के दौरान जौनपुर में एक मिसाल कायम की है.

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