अगर कहावत एसी लिखी जाए-जैसा देश,वैसा टेस्ट ! तो समझ आ ही जाता है कि बात खाने की हो रही है. जी हां! यहां बात हो रही है खाने-पीने की. भारत के तरह-तरह के व्यंजनों की. और अनेक व्यंजनों के बीच दिल्ली के एक ख़ास-लज़ीज़ पकवान की जिसका नाम है -"जापानी समोसा." ताज्जुब वाली बात है न! कि दिल्ली के खाने की अगर तारीफ की जाए तो मुंह में पानी आ जाता है. तो स्वदेशी दिल्ली में जापानी समोसा कहां से आया?
क्या यह समोसा जापान की ख़ासियत है? पर ऐसा कुछ नहीं है. यह विदेशी नाम वाला पकवान हमारे हिंदुस्तान की ही ख़ासियत है. चांदनी चौक की पुरानी लाजपत राय मार्केट वाली गली में स्थित 'मनोहर ढाबा' की ये सबसे ख़ास डिश है.
जापानी समोसे के नामसे फ़ेमस मनोहर ढाबे के मालिक उमेश कुमार इसकी ख़ासियत में बताते हैं कि ये समोसा बाकी सारे समोसे से एकदम अलग है, नाम में भी और दिखने में भी. हां, पर स्वाद में पूर्ण रूप से हिन्दुस्तानी है. इसकी विशेषता यह है कि इस समोसे में 60 लेयर्स होती हैं, और इन लेयर्स की वजह से इसमें एक क्रिस्पी टेस्ट आता है.
बीच के हिस्से में मसालों के मिश्रण वाला आलू होता है जो इस समोसे का स्वाद बढ़ता है.
इस समोसे के साथ पिंडी छोले व लौकी(घीया) का आचार परोसा जाता है, जो इसका ज़ायका बढ़ा देता है.
इस अलग तरह के समोसे को बनाने में करीब 4 से 5 घंटे लगते है. एक प्लेट में 2 समोसे के साथ पिंडी छोले और लोकी का अचार होता है. और इस एक प्लेट की कीमत 40 रूपए है.
दुकान के मालिक उमेश कुमार ने बताया कि " उन्होंने कभी अपने पूर्वजों से जापानी समोसे के नाम के बारे में नहीं पूछा."
एक के बाद एक पीढ़ी इसे आगे बढ़ाते हुए आ रही है और अब चौथी पीढ़ी ने काम संभाल लिया है.
लगता है शायद उमेश जी के ताऊ(लाला मनोहर शाह) जापान के लेयर वाले पंखे से काफ़ी प्रभावित रहे होंगे जिससे उन्होंने हिंदुस्तानी पकवान में भी जापान की झलक दिखने की कोशिश की.
उमेश कुमार के मुताबिक 1924 में उनके ताऊ ने पाकिस्तान के लाहौर में जापानी समोसे के नाम से शुरुआत की थी.
पाकिस्तान से दिल्ली आने के बाद उन्होंने दिल्ली में अपने समोसे के काम को आगे बढ़ाया और आज इसे 70 साल हो चुके हैं.
उमेश कुमार का दावा है कि इस विचित्र समोसे को खाने कई बार मोहम्मद रफ़ी, राज कपूर जैसे दिग्गज कलाकार भी आया करते थे और आज भी दूर-दूर से लोग सिर्फ इस जापानी समोसे को खाने आते है. एक जापानी अख़बार में छपे अपने जापानी समोसे की क्लिप दिखाते हुए उमेश कुमार कहते हैं कि यह परदेसी नाम वाला हिंदुस्तानी फ्लेवर समोसा जापान तक भी फेमस है.
जापान से सैलानी भी इसे खाने ज़रूर आते है. पर एक बात कहनी पड़ेगी- "नाम भले ही विदेशी है, पर ज़ायका बिलकुल देसी है!"
तनप्रीत इंडिया टुडे मीडिया इंस्टीट्यूट की छात्रा हैं और इंडिया टुडे में प्रशिक्षु हैं
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