बुंदेलखंड के ललितपुर जिले की जाखलौन पंप नहर प्रणाली सूबे की पहली नहर प्रणाली होगी, जिससे न केवल किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा बल्कि बिजली भी पैदा हो सकेगी. इस नहर के “टफ रुफ ग्रिड” से सोलर एनर्जी के रूप में ग्रीन एनर्जी तैयार करने की कवायद चल रही है. इससे सालाना एक करोड़ यूनिट ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होगा. इस अनोखी व्यवस्था की मदद सात करोड़ रुपये की बिजली बचेगी. बुंदेलखंड के दौर पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नहर प्रणाली का उद्घाटन किया था. 54.29 करोड़ लागत से जाखलौन पंप नहर परियोजना की शुरुआत वर्ष 2016-17 में हुई थी. पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोलर पॉवर प्लांट परियोजना के जरिए इसे मंजूरी मिली. अभियंताओं ने कैनाल पर माड्यूल माउंटिंग स्ट्रक्चर का निर्माण किया. नहर पर ही ग्रिड लगने से जमीन की भी जरूरत नहीं पड़ी. कुल 5.92 मेगावाट सोलर पॉवर प्लांट कैनाल के टॉप में लगा. सिंचाई विभाग झांसी में मुख्य अभियंता परियोजना बेतवा राजपाल सिंह बताते हैं, “जाखलौन नहर प्रणाली में कुल 18,840 सोलर प्लेट्स लगाई गईं, 60 इंवर्टर लगाए गए. इसके लिए 9.55 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गई और इसे कंट्रोल रूम से जोड़ा गया. परियोजना की आयु 25 वर्ष आंकी गई है. इस परियोजना से बंदरगुढ़ा, ऐरा, जाखलौन, जामनधाना, भैलवारा, आलापुर, मैरती, खुर्द, बरखेरा, जीरोन, च्यौला, नकयारा परौंदा समेत 64 गांव के 14,630 किसानों को मदद मिलेगी.”
इस परियोजना के जरिए सालाना एक करोड़ यूनिट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन होगा. इससे सात करोड़ रुपये की सलाना बचत हो सकेगी. वहीं, बंडई बांध के शुरू होने से 4,600 किसानों को फायदा मिलेगा. ललितपुर के मड़ावरा के धौरीसागर स्थित बंडई नदी (धसान की सहायक नदी) पर बांध बनने से 3,025 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की सुविधा उपलब्ण्ध हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका भी 9 मार्च को उद्घाटन किया. 303.54 करोड़ की लागत की इस परियोजना पर वर्ष 2013-14 में कार्य आरंभ हुआ था. इसके जरिए 9.4 किमी बंडई मुख्य नहर, 2.1 किमी पिसनाई माइनर, 1.85 किमी हसारी माइनर, 1.5 किमी बम्हौरी माइनर का निर्माण पूरा कराया गया. 2.2 किमी लंबे बांध में कुल नहर प्रणाली की लंबाई 14.85 किमी रखी गई है. बांध की क्षमता 11.100 एमसीएम पानी स्टोर करने की है. इसके जरिए रबी की 1,975 और खरीफ की 1,050 हेक्टेयर जमीन सिंचित की जा सकेगी. इससे 4,600 किसानों को फायदा होगा, साथ ही 2,700 घरों तक पानी भी पहुंचेगा.
बुंदेलखंड में हमेशा से पानी की उपलब्धता चुनावी मुद्दा बनती है. गर्मी के महीने में होने जा रहे पंचायत चुनाव और अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड में पानी की योजनाओं को गति दी है. बुंदेलखंड दौरे के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने पानी की कई योजनाओं की शुरुआत की है.
चौधरी चरण सिंह रसिन बांध परियोजना
इस बांध की कुल लागत 7,635.80 लाख रुपये है. इसमें बुंदेलखंड पैकेज से भी 22.80 लाख रुपये का अंशदान रहा. कई गांवों के किसानों की भूमि अधिग्रहण कर बांदा और चित्रकूट की सरहद पर बांध बनाया गया है. इसकी देखरेख उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग कर रहा है. बांध की लंबाई 260 किमी और ऊंचाई 16.335 मीटर है. जल धारण क्षमता 16.23 मिलियन घनमीटर है. जल स्तर (आरएल) 142.5 मीटर और अधिकतम टॉप जल स्तर 144 मीटर है. बांध से 22.80 किमी लंबी नहर निकाली गई है. चित्रकूट के भरतकूप क्षेत्र में रसिन बांध का निर्माण 2004 से चल रहा है. इसमें दो प्रमुख नहरों सहित चार माइनर नहरें बनाई गई हैं. बांध से पाइप लाइन से गांवों में पेयजल उपलब्ध कराने की भी योजना बनाई गई है. रसिन गांव के पास 2003 में बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार के समय बांध का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. दो मुख्य नहर रसिन बदौसा व रसिन सुदिनपुर है. इसमें चार छोटी नहरें भी बनाई गई हैं.
खटान पाइप पेयजल योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण खटान पाइप पेयजल योजना से बांदा जिले की 371 ग्राम पंचायतों के हर घर में नल से पानी आपूर्ति की तैयारी है. कमासिन क्षेत्र के खटान गांव में यमुना पर इस योजना में तेजी से काम चल रहा है. योजना के तहत 35 हजार किमी पाइप लाइन बिछाई जाएगी. 116 ओवरहेड टैंक (पानी की टंकी) बनेंगे. 41 सीडब्ल्यूआर (क्लीयर वाटर रिजर्व) निर्माण होंगे. इंटेकवेल का निर्माण जारी है. इसकी लागत 2,085 करोड़ रुपये बताई गई है.
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