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एक्सप्लेनर : ईरान-इजरायल के बीच क्यों बन रहे एक पूरे युद्ध के हालात?

ईरान ने 13 जून को अपने नतांज परमाणु केंद्र पर हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए इजराल पर ड्रोन अटैक किया है

ईरान का नतांज परमाणु केंद्र
अपडेटेड 13 जून , 2025

भारत में अहमदाबाद हवाई दुर्घटना के ठीक बाद 13 जून 2025 की सुबह एक और भयानक खबर आई है. इजरायल ने ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा सैन्य हमला किया है. निशाने पर थे ईरान का नतांज परमाणु संयंत्र, खंडाब का रिएक्टर और खोरमाबाद का बैलिस्टिक मिसाइल बेस.

इजरायल ने इसे “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम दिया और कहा कि यह हमला ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए था. यह जवाब हालांकि उतना भी आसान और सीधा नहीं है जितना ये सुनने में लगता है. तो इसके पीछे की कहानी क्या है? और अब आगे क्या हो सकता है? आसान भाषा में ये पूरा मामला समझते हैं.

ईरान का न्यूक्लियर हार्ट है नतांज

नतांज, ईरान का एक छोटा-सा शहर, जो तेहरान से 225 किलोमीटर दक्षिण में बसा है. यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम का दिल माना जाता है. यहां का परमाणु संयंत्र हजारों सेंट्रीफ्यूज मशीनों से लैस है, जो यूरेनियम को रिफाइन करता है. इजरायल और पश्चिमी देशों का मानना है कि नतांज में ईरान परमाणु बम बना सकता है, जो उनके लिए बड़ा खतरा है.

इजरायल ने इस हमले में नतांज के सेंट्रीफ्यूज हॉल को निशाना बनाया. रॉयटर्स के मुताबिक, हमले में नतांज की बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई, जिससे सेंट्रीफ्यूज मशीनें बंद पड़ गईं. ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने बताया है कि संयंत्र को भारी नुक्सान हुआ, लेकिन रेडिएशन का कोई खतरा नहीं है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी पुष्टि की है कि नतांज में रेडिएशन लेवल सामान्य है.

जब धमाकों से दहला शहर 

13 जून की सुबह 4:18 बजे, तेहरान और नतांज में जोरदार धमाकों की आवाजें गूंजीं. इजरायली F-35 और F-16 लड़ाकू विमानों ने नतांज, खंडाब और खोरमाबाद के ठिकानों पर सटीक हमले किए. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में नतांज संयंत्र से काला धुआं और आग की लपटें उठती दिखीं. X पर एक यूजर ने लिखा, “तेहरान में रातभर सायरन बजते रहे. लोग डर से सड़कों पर निकल आए.”

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक़ हमले में ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के बड़े अधिकारी मारे गए. इनमें कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी, चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बघेरी और कमांडर गुलामरेजा राशिद शामिल थे. दो परमाणु वैज्ञानिकों की भी मौत हुई. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बता रही है कि, इजरायल ने यह हमला मोसाद की खुफिया जानकारी के आधार पर किया, जिसमें सैटेलाइट तस्वीरें और ड्रोन सर्वे शामिल थे.

इन्हीं पहाड़ों के उस पार मौजूद है ईरान की सबसे खुफिया लोकेशन 'नतांज'

ईरान की तरफ से ड्रोन और मिसाइलें 

हमले के कुछ घंटों बाद, ईरान ने जवाबी कार्रवाई शुरू की. ईरान ने इजरायल की ओर 100 से ज्यादा ड्रोन और 50 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इजरायल की एक डिफेंस रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर ड्रोनों को मार गिराया, लेकिन कुछ मिसाइलें तेल अवीव के बाहरी इलाकों में गिरीं. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने कहा, “इजरायल को इसका जवाब देना होगा. यह हमला हमारे देश की संप्रभुता पर हमला है.”

रिपोर्ट्स ये भी बता रही हैं कि ईरान ने अपने सहयोगी समूहों- लेबनान के हिजबुल्लाह और यमन के हूती विद्रोहियों को भी एक्टिव कर दिया है. अल जजीरा ने बताया है कि हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजरायल पर रॉकेट दागे, जिससे तनाव और बढ़ गया. इराक और सीरिया ने अपने एयर स्पेस को बंद कर दिया, और सऊदी अरब ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है.

हमले की वजह परमाणु खतरा?

इजरायल और ईरान के बीच तनाव दशकों पुराना है. इजरायल का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके लिए सबसे बड़ा खतरा है. 2015 में हुए परमाणु समझौते (JCPOA) से 2018 में अमेरिका के हटने के बाद, ईरान ने यूरेनियम रिफाइनिंग की स्पीड बढ़ा दी. IAEA (International Atomic Energy Agency) की जून 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक़, ईरान ने 60 फीसदी तक यूरेनियम रिफाइन कर लिया है, जो परमाणु बम के लिए जरूरी 90 फीसदी के करीब है.

नतांज पर पहले भी हमले हुए हैं. 2021 में एक साइबर हमले ने नतांज के सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचाया था, जिसके लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया गया. अप्रैल 2024 में, इजरायल ने नतांज के पास एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया था. लेकिन 2025 का यह हमला अब तक का सबसे बड़ा हमला है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक” बताया, यानी पहले हमला करके खतरे को रोकने की रणनीति बताया है.

हमलों में मारे गए ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी (बाएं) और मेजर जनरल हुसैन सलामी (दाएं)

अमेरिका का दोहरा रवैया!

अमेरिका का रोल इस हमले में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक़, अमेरिका ने इजरायल को सैटेलाइट तस्वीरें और खुफिया जानकारी दी थी, लेकिन हमले में सीधे हिस्सा नहीं लिया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हमले से पहले कहा था कि वो सैन्य कार्रवाई का समर्थन नहीं करते. ट्रम्प ने 2024 में ईरान के साथ परमाणु समझौते की कोशिश की थी, लेकिन वो नाकाम रही.

ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान परमाणु बम बनाता है, तो मध्य पूर्व में बड़ी जंग हो सकती है. हालांकि ट्रम्प ने कूटनीति पर जोर दिया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, “हम इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं, लेकिन शांति जरूरी है.”

ईरान का परमाणु कार्यक्रम कितना सच है?

ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और सिर्फ बिजली उत्पादन के लिए है. लेकिन इजरायल, अमेरिका और यूरोपीय देशों को शक है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. नतांज और फोर्डो के परमाणु संयंत्र जमीन के नीचे बने हैं, ताकि हवाई हमलों से बचाया जा सके. गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नतांज में 8,000 से ज्यादा हाई कैपेसिटी सेंट्रीफ्यूज हैं, जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम बना सकते हैं.

2025 में ईरान ने JCPOA के नियम तोड़े, जिससे इजरायल ने अपने लिए खतरा माना. ईरान के पास 100 से ज्यादा मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जो इजरायल तक पहुंच सकती हैं. यह खतरा इजरायल के लिए अब भी बना हुआ है.

खारजेन की पहाड़ियों के बीच दूर से दिखाई देता नतांज का एक हिस्सा

भारत की चिंता और शांति की अपील 

भारत ने इस हमले पर चिंता जताई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव से चिंतित हैं. हम सभी पक्षों से शांति और संयम बरतने की अपील करते हैं.” भारत का ईरान के साथ तेल व्यापार और रणनीतिक साझेदारी है, लेकिन इजरायल का भी करीबी सहयोगी है.  भारत ने दोनों देशों से बातचीत का रास्ता अपनाने को कहा.

दुनिया का क्या नजरिया है?

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने हमले की निंदा की और कहा कि यग क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है. रूस और चीन ने इजरायल की आलोचना की है. रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, “यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.” ब्रिटेन और फ्रांस ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की.

क्या होगा अब?

इजरायल ने कहा है कि ये हमला “लंबी रणनीति” का हिस्सा है. लेकिन ईरान के जवाबी हमले का खतरा बढ़ गया है. अगर तनाव बढ़ा, तो मध्य पूर्व में बड़ी जंग हो सकती है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी. और इसकी वजह होंगी तेल की कीमतें.
दोनों तरफ के तेवर देखकर ऐसा लगता नहीं कि यह मामला कुछ हमलों के बाद थम जाएगा. ईरान और इजरायल के बीच अगर ये जंग बढ़ती है तो कुछ ही दिनों में इसका ताप बाकी दुनिया को भी झेलना होगा.

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