कंट्रोवर्शियली युअर्स
शोएब अख्तर, साथ में अंशु डोगरा
हार्पर स्पोर्ट,
कीमतः 499 रु.
पृष्ठः 280
रावलपिंडी एक्सप्रेस भले ही क्रिकेट से बाहर हो गए हैं, उनका उत्साह कम नहीं हुआ है. वे हर जगह छाए हुए हैं. युवाओं को कोचिंग देने वे हांगकांग के एक क्रिकेट क्लिनिक में थे. पेस अकादमियों की श्रृंखला शुरू करने के लिए वे दुबई में पैसा जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका अगला पड़ाव दिल्ली है, जहां वे अपनी किताब कंट्रोवर्शियली युअर्स के प्रोत्साहन के लिए आएंगे.
यह ऐसी किताब है जिससे वे शायद ही कोई दोस्त बना सकें. वैसे भी उनका कॅरियर, जहां कहीं पाकिस्तान खेला, झ्गड़ों, जख्मों और रंगीन नाइटलाइफ के लिए प्रसिद्ध रहा है. वे पंजाबी-आयरिश लहजे वाले क्रिकेट के सुपरब्रैट रहे हैं और उनमें रोमांच के प्रति इस कदर आकर्षण था कि उनकी उथलपुथल भरी जिंदगी गलत वजहों से सुर्खियों में छायी रहती थी. उन्होंने दुबई से आधी रात को इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ''मैं नजरिया लेकर ही पैदा हुआ था.''
पाकिस्तान को विश्व कप जिताने वाले कप्तान इमरान खान, जो अब तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष हैं, कहते हैं कि तेज गेंदबाजी उनकी सबसे बड़ी थाती है. ''बहुत लोगों को 2003 विश्व कप का हादसा याद है क्योंकि उम्मीदें आसमान पर थीं. उन्होंने कोलंबो और ब्रिस्बेन में धुआंधार गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलियायियों को डरा रखा था. 2003 में ही उन्होंने वेलिंगटन में दूसरे टेस्ट में 30 रन देकर न्यूजीलैंड के 6 खिलाड़ियों को आउट कर दिया था.'' यह तारीफ दोतरफा है. शोएब ने इंडिया टुडे को बताया, ''सियासत मेरे लिए नहीं है, लेकिन मैं इमरान को सपोर्ट करूंगा.''
उनकी गेंदबाजी में कुछ पारंपरिक या अनूठी बात नहीं थी, बस एक लंबा रन-इन और आंधी जैसी तेजी. अख्तर पहले पांच ओवरों में हिसाब चुकता करना चाहते थे. कभी यह नुस्खा कारगर रहता और कभी नहीं भी. 2004 में सौरव गांगुली की अगुआई वाली भारतीय टीम के खिलाफ देश में खेली गई सीरीज में अख्तर का पूरी तरह सफाया हो गया. पर इस तेज गेंदबाज ने 2005-06 में देश में ही इंग्लैंड के विरुद्ध सीरीज में अपनी धुआंधार गेंदबाजी से आलोचकों को चुप करा दिया. पाकिस्तान ने तीन टेस्ट की सीरीज को 2-0 से और पांच एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआइ) सीरीज को 3-2 से जीत लिया. राष्ट्रीय टीम में उन्हें लाने में मददगार पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज सरफराज नवाज कहते हैं, ''उन्होंने कई मायनों में पाकिस्तान को टेस्ट और ओडीआइ जिताने में अहम भूमिका निभाई, पर आखिरकार उनके साथ बुरा बर्ताव हुआ.''
और फिर पतन शुरू हुआ. अपनी गेंद और लेंथ की तरह वे स्वभाव से भी जिद्दी थे. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और कोच जावेद मियांदाद को टीम में अख्तर की मौजूदगी नागवार लगती थी क्योंकि यह गेंदबाज पिच से परे दूसरी बातों के लिए ज्यादा खबरों में रहता था. मियांदाद का कहना है, ''वे कॉलर खड़ी करके किसी रॉकस्टार की तरह व्यवहार करते थे.''
2007 और 2011 के विश्व कप के दौरान अख्तर कई मुसीबतों से घिरे रहे. उन पर रात में कर्फ्यू के उल्लंघन से लेकर मादक पदार्थों के सेवन और बलात्कार का आरोप से लेकर कई बेवकूफाना टिप्पणियां करने के आरोप लगे थे. अब उन्हें एहसास हो गया है कि समझ्दारी बेहतर है. पाकिस्तानी टीम के दौरों में उनकी शरारतों पर पूछे गए सवाल पर उनका जवाब था, ''मैं निजी या गोपनीय बातें नहीं बताता.''
13 साल के दौरान उन्होंने 46 टेस्ट खेले और 178 विकेट लिए तथा जितने मैच खेले उतने ही मैच खेलने से रह गए. ओडीआइ में उन्होंने 241 विकेट लिए. पर भारत के खिलाफ मोहाली में विश्व कप सेमीफाइनल से पहले तक किसी को नहीं मालूम था कि वे फिट हैं. वे उसमें नहीं खेले.
अब वे सचमुच उपलब्ध नहीं हैं. ''मैं क्रिकेट से रिटायर हो गया हूं और खेल छोड़ दिया है.'' रावलपिंडी एक्सप्रेस का सफर पूरा हो गया है.