नया रायपुर में तैयार खड़ा नया मंत्रालय भवन गुलजार नहीं हो पा रहा है. वजहः एक पिरामिड. 200 करोड़ रु. की लागत से बने इस भवन का 16 अप्रैल को उद्घाटन होना था लेकिन मंत्रालय को वास्तु के अनुकूल करने के लिए बनाया जा रहा पिरामिड तैयार नहीं था. इसलिए कार्यक्रम टाल दिया गया.
रमन सिंह सरकार चाहती थी कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से नए मंत्रालय में कामकाज शुरू हो जाए. वरिष्ठ आइएएस अधिकारी बी.एल. अग्रवाल और उनकी टीम ने पूरे मंत्रालय को नए भवन में शिफ्ट करने की सारी तैयारी भी कर ली थी. भवन के पांचों तल सज-धजकर तैयार थे, मिनिस्टर ब्लॉक में मंत्रियों और अधिकारियों के नाम भी चस्पां किए जा चुके थे. लेकिन, जैसा कि सूत्र बताते हैं, इसी बीच एक ज्योतिषी ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को बताया कि मंत्रालय के नए भवन में वास्तु दोष है. जिससे यहां अधिकारियों का काम में मन नहीं लगेगा और भाजपा सरकार का प्रदर्शन भी खराब हो जाएगा.
सूत्र बताते हैं कि ज्योतिषी ने जैसे ही अनिष्ट की आशंका जताई और उससे बचने के लिए पिरामिड बनवाने का उपाय सुझया, वैसे ही निर्माण कार्य शुरू हो गया. रमन सिंह कहते हैं, ''जनता के आशीर्वाद के साथ वास्तु भी अच्छा होना जरूरी है. प्रदेश के विकास में वास्तुशास्त्र उपयोगी साबित होगा.'' नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस.एस. बजाज के मुताबिक, इस पिरामिड की लागत लगभग ढाई करोड़ रु. आएगी. मजे की बात तो यह है कि मंत्रालय का जो नक्शा पास हुआ है उसमें पिरामिड की कोई व्यवस्था नहीं है. लेकिन इसके निर्माण में न बजट की समस्या आड़े आई और न ही नक्शे सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में कोई दिक्कत पेश आई.
हालांकि अधिकारी पिरामिड के अधूरा होने की वजह से मंत्रालय का उद्घाटन नहीं होने की बात से इनकार कर रहे हैं. एनआरडीए के चेयरमैन एन.बैजेन्द्र कुमार कहते हैं, ''निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है इसलिए नए मंत्रालय में काम कुछ दिन बाद ही शुरू हो पाएगा.''
लेकिन पूरा सरकारी अमला पिरामिड निर्माण को जायज ठहराने और इसके गुणगान में जुट गया है. लोक निर्माण मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल पिरामिड निर्माण को वैदिक परंपरा का हिस्सा बताते हुए कहते हैं, ''प्रकृति में कई घटनाओं को वास्तु शास्त्र नियंत्रित करता है. पिरामिड का निर्माण हैरत वाली बात नहीं है.''
पिरामिड विशेषज्ञ और छत्तीसगढ़ पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी के अध्यक्ष शैलेंद्र जैन की मानें तो 37 मीटर ऊंचा यह पिरामिड रमन सरकार के लिए वाकई में सार्थक साबित होगा. पिरामिड का निर्माण करने वाली कंपनी आइवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर रवींद्र प्रसाद का दावा है कि यह दुनियाभर में बने बड़े कंक्रीट पिरामिडों में से एक होगा.
हालांकि इस खास पिरामिड का लाभ आम जनता नहीं उठा सकेगी. मंत्रालय में इससे होकर प्रवेश भी खास लोग ही कर पाएंगे. मंत्रालय के मुख्य अभियंता सलिल श्रीवास्तव बताते हैं कि पिरामिड के भीतर से मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारी ही प्रवेश करेंगे. जबकि आम जनता के प्रवेश के लिए तीन अलग रास्ते हैं.
नए मंत्रालय भवन में वास्तु के और भी उपाय किए गए हैं. मसलन, किसी राजा-महाराजा के समान मंत्रालय के पांचवें माले पर केवल मुख्यमंत्री बैठेंगे. मंत्रिमंडल के सदस्यों और अधिकारियों के चैंबर बाकी की चार मंजिलों पर हैं. सभी चैंबरों में मार्बल, ग्रेनाइट और इटैलियन फ्लोरिंग लगी है. मुख्यमंत्री के चैंबर में वुडन फ्लोरिंग है. इसकी फॉल्स सीलिंग में चीन से मंगवाई गई खास सामग्री लगाई गई है. वास्तु शास्त्रियों के मुताबिक, यह भी नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने का उपाय है. सीएम के चैंबर के इंटीरियर में कुछ ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे कि सूरज की रोशनी सीधे उस स्थान पर पड़ेगी जहां बैठकर मुख्यमंत्री महत्वपूर्ण फैसले लेंगे. मुख्यमंत्री के कक्ष के ठीक बाहर कलर थेरेपी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन बेल्ट के रूप में डेढ़ सौ फुट का लॉन बनाया गया है.
अधिकारियों को कुदृष्टि से बचाने के लिए भी कई वास्तु उपाय किए गए हैं. उनके केबिन में बेल्जियन ग्लास और जर्मनी के ग्लास ब्लॉक लगाए गए हैं. तर्क यह है कि इससे मनो-मस्तिष्क शांत रहता है. जबकि विपक्ष के नेता रवींद्र चौबे दावा करते हैं, ''सरकार चाहे कितनी कवायद कर ले लेकिन आगामी चुनाव उसका पूरा शास्त्र बिगाड़ देगा.''
यह पिरामिड रमन सरकार के लिए कितना शुभ साबित होता है, यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन इतना साफ है कि भारत को अंधविश्वास से उबरने में वक्त लगेगा.