इंदौर के महाराजा तुकोजीराव होल्कर की पत्नी महारानी शर्मिष्ठा देवी होल्कर की मौत के साथ शुरू हुआ इस राज परिवार का झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.
4 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
एमजी रोड स्थित होल्कर परिवार की शिव निवास कोठी महारानी का निवास स्थल थी, जिसे लेकर उनकी चारों बेटियों के बीच 20 साल तक कानूनी जंग चली. हाल ही में शारदा राजे, सीता राजे, सुमित्रा राजे और सुशीला राजे ने आपसी सहमति से एमएसडी डेवलपर्स के शरद डोसी को 70 करोड़ रु. में यह कोठी बेच दी थी.
28 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
लेकिन राज परिवार के नाती दामाद कर्नल अनिल काक की रजिस्ट्री को रद्द करने की मांग से राज परिवार का झगड़ा फिर सतह पर आ गया है.
21 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
महारानी की 1993 में मौत हो गई थी. इसके बाद चारों बेटियों में संपत्ति विवाद छिड़ गया था, यह अलग-अलग वसीयत का झगड़ा था, जिसमें शारदा राजे और सीता राजे एक तरफ थीं तो सुमित्रा राजे, उनके दामाद कर्नल काक और सुशीला राजे एक तरफ.
यह विवाद सुलझ तो अब महारानी के करीबी रहे काक ने कोठी के सौदे को लेकर आइजी रजिस्ट्रार और वरिष्ठ जिला पंजीयक में आपत्तियां दर्ज करा दीं. उन्होंने रजिस्ट्री में गड़बड़ी किए जाने का दावा किया है और कहा है कि भुगतान किस बैंक से हो रहा है, रजिस्ट्री में इसकी अधूरी जानकारी है.
14 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
रजिस्ट्री की शुरुआत में तारीख की जगह भी खाली है. उनका आरोप है कि उप- पंजीयक ने इन आपत्तियों को दरकिनार कर रजिस्ट्री कर दी है. काक का यह भी आरोप है कि आधिकारिक रूप से 70 करोड़ रु. में हुए इस सौदे में शासन को राजस्व की हानि हुई है.
07 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
उन्होंने यह भी मांग की है कि 12,500 वर्ग फुट के हिस्से पर उनकी पत्नी गंगेश कुमारी की दावा संबंधी पहली अपील हाइकोर्ट में विचाराधीन है इसलिए रजिस्ट्री को रद्द किया जाए. जिसका सीधा मतलब सौदे को निरस्त करना है.
हालांकि इंदौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक श्रीकांत पांडेय काक की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कहते हैं कि इनसे रजिस्ट्री की वैधानिकता पर फर्क नहीं पड़ता है. कोर्ट में चल रहे संपत्ति के मामले के बारे में वे कहते हैं कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया स्टे मिलने पर ही रोकी जा सकती है.
कर्नल काक ने महज 51,000 रु. के स्टाम्प पर रजिस्ट्री दस्तावेज प्रस्तुत करने, स्टाम्प शुल्क में रियायत देने और पुरातत्व विभाग से अनापत्ति नहीं लेने जैसे मामले भी उठाए हैं.
हालांकि इस रजिस्ट्री में यह साफ किया गया है कि चूंकि कोठी पुरातत्व विभाग के अंतर्गत नहीं आती है इसलिए सौदे के लिए वहां से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत भी नहीं थी.
परिवार में विवाद सुलझने की कोशिशें जारी हैं. सीता राजे के बेटे विजयेंद्र आपसी सहमति से हल निकालने की बात कह रहे हैं.