सितंबर के 14 तारीख से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती 20 विधेयकों को पास कराने की है. इसकी वजह साफ है क्योंकि सीमा पर चीन के रवैये और कोविड 19 की वजह से उत्पन्न हालात को लेकर विपक्ष काफी आक्रामक रुख में रहेगा. इसलिए सरकार को विधेयक अटक जाने की आशंका महसूस हो रही है. भाजपा संसदीय दल से मिली जानकारी के मुताबिक, बीते मार्च से अगस्त के बीच कुल 11 अध्यादेश जारी किए गए हैं जिन पर संसद की मुहर लगना जरूरी है. यह तभी हो सकता है जब विपक्ष के साथ बेहतर तालमेल हो.
संसदीय सचिवालय से मिली जानकारी के मुताबिक, कंपनीज (एमेंडमेंट) बिल, मेजर पोर्ट अथॉरिटी बिल, एयर क्राफ्ट (एमेंडमेंट ) बिल, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रिगनेंसी (अमेंडमेंट) बिल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (अमेंडमेंट) बिल प्रमुख है. ये बिल सरकार की प्राथमिकता में है. चूंकि इस बार संसद का सत्र संक्षिप्त (2 हफ्ते) का ही है, इसलिए सरकार चाहेगी कि पहले विधेयकों को पास कराया जाए इसके बाद अन्य मुद्दों पर चर्चा कराई जाए. उधर कांग्रेस और विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार पहले कोरोना, प्रवासी मजदूर, सीमा पर चीन के अतिक्रमण और फेसबुक विवाद, किसानों के मुद्दे और बाढ़ जैसे विषयों पर पहले चर्चा करे. इसके बाद सरकार विधेयकों पर चर्चा के लिए आए.
सरकार की चिंता विपक्ष के इसी रुख पर है. सूत्रों का कहना है कि सरकार पहले विधेयक इसलिए पास कराना चाहती है ताकि अन्य विषयों पर चर्चा के दौरान हंगामा होने और संसद की कार्यवाही स्थगित होने से समय बर्बाद नहीं हो. चूंकि इस बार प्रश्नकाल नहीं हो रहा है और शून्यकाल के समय में भी कटौती इसी उद्देश्य से की गई है ताकि संसद में विधेयक के काम पर चर्चा हो सके. 12 तारीख को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाए जाने की संभावना है ताकि संसद सुचारू रूप से चले यह तय हो पाए.
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