scorecardresearch

कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज: संसाधन हैं पर सफलता का नामोनिशान नहीं

महत्वाकांक्षा तो कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी प्रदर्शन निराशाजनक.

अपडेटेड 31 जुलाई , 2016

पटना का रहने वाला उत्तम शूटिंग में अपना भाग्य आजमा रहा है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लग रही. 2014 में रांची में आयोजित ईस्ट जोन शूटिंग चैंपियनशिप में उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था. तब लोगों ने कहा कि अपना पिस्टल हो तो मुश्किलें आसान हो जाएंगी. किसान पिता ने किसी तरह कर्ज लेकर डेढ़ लाख रु. का बंदोबस्त किया और ऑस्ट्रेलिया से पिस्टल मंगवाई गई. उत्तम मेहनत भी कर रहा है, लेकिन उसकी सारी मेहनत सरकारी अव्यवस्था और उदासीनता की भेंट चढ़ रही है. इसी साल 1 जनवरी को उत्तम ने इसकी शिकायत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की. इस पर सरकारी महकमा हरकत में तो आया, लेकिन नतीजा फिर भी सिफर.

नीतीश के पैतृक गांव में है शूटिंग रेंज
यह कहानी है बिहार के नालंदा जिले में स्थित मुख्यमंत्री कल्याण बिगहा के शूटिंग रेंज की, जहां पटना के बेलछी ब्लॉक के गदनपुरा निवासी उत्तम शूटिंग की ट्रेनिंग ले रहे हैं.

कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज की इमारत उत्तम अकेले नहीं हैं. नालंदा राइफल क्लब की ओर से संचालित कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज में ऐसे निराश लोगों की फेहरिस्त लंबी है. सिवान के मोहित और हरनौत के युवराज समेत कई लोग यहां से नाता तोड़ चुके हैं. शूटरों की शिकायत है कि सरकार ने जितना उत्साह शूटिंग रेंज स्थापित करने में दिखाया, उतना उसके क्रियान्वयन पर नहीं दिखा रही है. इसे अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है, जो सुस्त और लापरवाह हैं. संसाधन भी बहुत कम हैं और जो हैं, उनका समुचित उपयोग नहीं हो रहा है. महिला शूटरों की मौजूदगी और भी निराशाजनक है. अंतरराष्ट्रीय स्तर की राइफल ट्रेनर मीरा कुमारी कहती हैं, ''यहां लड़कियों की संख्या न के बराबर है."

बिहार में हैं ऐसे कई क्लब
यूं तो बिहार में मुंगेर राइफल, पटना में सिटी राइफल और मगध राइफल, शाहाबाद राइफल, आरा, बेगूसराय राइफल और दरभंगा राइफल समेत कई निजी क्लब हैं, लेकिन कल्याण बिगहा अकेला सरकारी शूटिंग रेंज है. 14 मई, 2011 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था और मकसद इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का था. यहां एयर कंडीशंड इंडोर स्टेडियम और 10 मीटर शूटिंग रेंज के लिए 8 लेन का स्टेडियम बनाया गया है. 30 लेन की एक और शूटिंग रेंज का निर्माण अपने आखिरी चरण में है.

लेकिन दिख नहीं रहा नतीजा
लेकिन सवाल तो यह है कि इतने निवेश के बावजूद कुछ नतीजा क्यों नहीं दिखाई दे रहा है? शूटर्स में इतनी निराशा क्यों है? स्टेडियम तो बनकर खड़ा हो गया, लेकिन शूटिंग से जुड़े बाकी संसाधन और सुविधाएं क्यों नहीं हैं? पिछले पांच सालों में एक भी राष्ट्रीय पदक क्यों नहीं मिला? हालांकि कल्याण बिगहा के प्रभारी उमेश पासवान को यहां कोई कमी नजर नहीं आती. शूटरों के असंतोष की शिकायत के जवाब में वे कहते हैं, ''संसाधनों की कोई कमी नहीं है. ट्रेनिंग के लिए तीन कुशल ट्रेनर हैं. शूटर्स को जागरूक होने की जरूरत है. इस शूटिंग रेंज में 28 शूटर हैं, जिनमें सात लड़कियां हैं. दो की शादी हो गई है, बाकी पांच निजी कारणों से नियमित रूप से नहीं आती हैं."

कई खिलाड़ी कर रहे हैं नाम रौशन
2013 में 25वीं स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में कल्याण बिगहा शूटिंग रेंज को अर्जुन अवॉर्ड मिला था. 32 शूटरों में से 29 को पदक मिले थे. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की उपस्थिति बहुत कमजोर है. शूटिंग के क्षेत्र में महाराष्ट्र, यूपी, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली का ही दखल है.

जल्द मिलेगा दाखिला
नालंदा के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम., जो कल्याण बिगहा के चेयरमैन भी हैं, कहते हैं, ''नई शूटिंग रेंज बनकर तैयार हो गई है. जल्द नए बच्चों का दाखिला लिया जाएगा." प्रशासन अपनी लापरवाही और कुप्रबंधन पर चाहे कितने पर्दे डाले, लेकिन हाथ कंगन को आरसी न्न्या? पदक और सफलता ही बताएगी कि आखिर सरकार ने कितनी मेहनत की.

Advertisement
Advertisement