मंजरी फड़निस ऐसी अभिनेत्री हैं जो न सिर्फ हिंदी बल्कि तेलुगू, बंगाली, मलयालम, कन्नड़ और तमिल फिल्मों में काम कर चुकी हैं. लेकिन उन्हें याद किया जाता है 2008 में रिलीज फिल्म जाने तू...या जाने ना के लिए, अब उनकी फिल्म बा बा ब्लैक शीप आ रही है और उनसे बातचीत की है नवीन कुमार ने.
बा बा ब्लैक शीप की मंजरी फडनिस कैसी है?
किस किसको प्यार करूं और निर्दोष से बिल्कुल अलग है. पहली बार रियल और नॉर्मल लाइफ के लुक में है. बहुत ही प्यारी है.
निर्दोष की असफलता को किस तरह से देखती हैं?
मैंने कभी नहीं सोचा कि यह फिल्म नहीं करनी चाहिए थी. हरेक फिल्म से सीखने को मिलता है. निर्दोष बेहतरीन फिल्म थी. इसमें मेरा अलग किरदार था और मुझे अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने का मौका मिला था. मेरे अभिनय की तारीफ हुई. हर फिल्म की अपनी तकदीर होती है. कभी-कभी बड़ी फिल्म भी नही चलती है.
आपने कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया है. भाषा विवाद को लेकर आपका अनुभव क्या है?
भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है. मैंने बचपन में संस्कृत सीखी थी जिससे तेलुगू सीखने में मदद मिली. मैंने एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म खामखा की है जिसमें अलग-अलग भाषाओँ को लेकर काम किया गया है. वैसे अपने देश में वे लोग खुद को कमजोर महूसस करते हैं जिनको अंग्रेजी नहीं आती है, यह गलत है. अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए. हिन्दी बोलिए और हिन्दी पर गर्व कीजिए, जैसा कि फ्रांस, जर्मन, इटली के लोग अपनी भाषा पर गर्व करते हैं.
आप आर्मी परिवार से नाता रखती हैं. हाल में कुछ शहीदों के सम्मान को लेकर विवाद खड़े होने से आपके मन में कैसे ख्याल आते हैं?
आर्मी पृष्ठभूमि से हूं, मैं समझ सकती हूं. सीमा पर तैनात सैनिकों की वजह से हम चैन की नींद लेते हैं. देश सुरक्षित है. मेरे पापा भी कारगिल युद्ध के दौरान सीमा के करीब ड्यूटी पर थे. लेकिन यह दुर्भाग्य है कि कभी-कभी हमारे शहीदों का सम्मान कम होता है.
आपकी नजर में कश्मीर समस्या क्या है?
देश के एक नागरिक के तौर पर यह कह सकती हूं कि कश्मीर समस्या पॉलिटिकल है.
बोल्ड रोल के लिए आप खुद को कितनी सहज मानती हैं?
मैं वही करूंगी जिसमें मैं कम्फर्टेबल हूं या अच्छे कैरेक्टर हों और स्टोरी लाइन को मजबूत करता हो.
***