जनवरी की 20 तारीख को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने. इसके बाद ही उन्होंने चीन, मैक्सिको और कनाडा के खिलाफ टैरिफ लगाकर एक तरह से ट्रेड वॉर की शुरुआत कर दी.
ट्रंप के इन फैसलों का असर अमेरिका समेत दूसरे देश के बाजारों पर दिख रहा है. हालांकि, दुनियाभर में मची इन उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति ट्रंप अब अपने ही फैसलों को लेकर दुविधा की स्थिति में भी दिख रहे हैं.
टैरिफ से लेकर न्यूक्लियर डील तक के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप अपना स्टैंड बदल चुके हैं. अब एक-एक कर ट्रंप के उन फैसलों और बयानों के बारे में जानते हैं, जिसकी वजह से वे बैकफुट पर नजर आ रहे हैं-
टैरिफ लगाने की बात कहकर पलटे डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके जवाब में कनाडा ने अमेरिकी शहर मिनेसोटा, न्यूयॉर्क और मिशिगन में बिजली की सप्लाई पर 25% ज्यादा बिल वसूलने की बात कही.
कनाडा के इस फैसले से ट्रंप इतने नाराज हुए कि उन्होंने कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने का ऐलान किया. इतना ही नहीं ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर ये भी बताया था कि 12 मार्च से ही कनाडा से ये टैरिफ वसूलना शुरू हो जाएगा.
ट्रंप सरकार ने बदला स्टैंड: 12 मार्च 2025 को जब ट्रंप के फैसले को लागू करने का दिन आया तो अमेरिकी सरकार असहज नजर आई. स्थिति ऐसी हो गई कि डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार बयान पीटर नवारो को बयान जारी करना पड़ा. उन्होंने कहा, “कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ को दोगुना कर 50 फीसद करने की योजना को रोक दिया गया है, क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध के कारण भ्रम और अनिश्चितता बनी हुई है.”
यूक्रेन को हथियार सप्लाई नहीं करने की धमकी देकर पलटे ट्रंप
फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से ही अमेरिकी सरकार यूक्रेन को आर्थिक और डिफेंस के स्तर पर मदद मुहैया करा रही है. ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही अमेरिकी सरकार के स्टैंड में बदलाव आया है.
पिछले दिनों व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में मीडिया के सामने ट्रंप और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच कहासुनी के बाद यूक्रेन और अमेरिका के बीच का टेंशन सबके सामने आ गया.
युद्ध विराम समझौते को लागू कराने का दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता और कीव के साथ खुफिया जानकारी साझा करने पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी.
अमेरिका को पलटना पड़ा अपना फैसला: यूक्रेन ने अमेरिका के युद्ध विराम प्रस्ताव पर सहमति जाहिर की, जिसके बाद 11 मार्च अमेरिका ने अपना पुराना फैसला पलट दिया है. ट्रंप सरकार ने दोबारा से यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी देने पर सहमति जाहिर की है.
ईरान के न्यूक्लियर डील पर भी डोनाल्ड ट्रंप का बदला स्टैंड
2015 में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते हुआ था. 2018 में अचानक से डोनाल्ड ट्रंप ने इस परमाणु समझौते को रद्द करने का ऐलान किया. इसके साथ ही दोबारा से ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए.
अब ट्रंप ने दोबारा परमाणु समझौते का प्रस्ताव भेजा: डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की तरफ से परमाणु समझौते पर बातचीत के लिए ईरान को एक पत्र भेजा गया था. इस पत्र में बातचीत के प्रस्ताव के साथ ही कड़ी चेतावनी भी दी गई थी. ट्रंप सरकार ने ईरान के मैसेज भेजा कि उससे निपटने के दो ही तरीके हैं, पहला- सैन्य और दूसरा- समझौता. हालांकि, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत करने से इनकार कर दिया है.
खामेनेई ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "अमेरिका ने ईरान पर सैन्य हमले की धमकी दी है. युद्ध शुरू करना या हमला करना ऐसा काम नहीं है, जो एक पक्ष बिना जवाब के कर सकता है. ईरान जवाबी हमला करने में सक्षम है और वह निश्चित रूप से ऐसा हमला करेगा.
क्या अपने फैसलों की वजह से बैकफुट पर हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप के छह सप्ताह के कार्यकाल के दौरान बाजार में अचानक उलटफेर हुए. ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ लगाए, लेकिन बाद में छूट देने के साथ ही अपने फैसले को वापस लिया. चीन पर भी नए आयात करों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इनसे भ्रम की स्थिति बनी और बाजार में अस्थिरता पैदा हुई.
ऐसा लगता है कि ट्रंप के इन फैसलों के वक्त उनके प्रमुख सलाहकार मौजूद नहीं थे, जिसके कारण जल्दबाजी में व्यापार नीतियों को लागू किया गया. अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के पूर्व अधिकारी जॉन वेरोन्यू ने कहा, "किस तारीख को किस सामान पर कौन सा टैरिफ लागू होगा, इस बारे में ट्रंप प्रशासन की ओर से कई साफ संकेत नहीं मिल रहे हैं. इस अनिश्चितता से अमेरिकी कंपनियों के लिए निर्णय लेने में दिक्कत हो रही है.”
ट्रंप सरकार के फैसले पलटने को लेकर जॉन वेरोन्यू का मानना है कि बहुत सी उलझनें इसलिए पैदा हुई क्योंकि ट्रंप ने ट्रेड से जुड़े अपने सीनियर अधिकारियों की नियुक्ति से पहले ही फैसला लेना शुरू कर दिया. ट्रेड सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने पिछले महीने के अंत में ही शपथ ली. वहीं, अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव जैमीसन ग्रीर ने पिछले सप्ताह के अंत में पदभार संभाला है.
ट्रेड विभाग में बड़े अधिकारियों और सरकार के सलाहकारों की नियुक्ति किए बिना ट्रंप इतने बड़े-बड़े फैसले काफी हद तक व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार और अपने पहले कार्यकाल में वफादार रहे पीटर नवारो के कहने पर ले रहे हैं. नवारो वही करते हैं, जैसा ट्रंप चाहते हैं. यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने फैसलों की वजह से बैकफुट पर नजर आ रहे हैं.