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'इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन' खत्म करने पर डॉक्टर नाराज

नए नियम के तहत डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ एक्पोजर मरीजों के साथ 14 दिन की ड्यूटी के बाद 14 दिन होम क्वारंटीन रहेंगे. संस्थागत क्वारंटीन सिस्टम खत्म कर दिया गया है. इससे डॉक्टर नाराज हैं.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो
अपडेटेड 30 मई , 2020

लॉकडाउन लागू होने के बाद से कोविड-19 की रोकथाम के तौर-तरीकों में लगातार बदलाव हो रहा है. डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों की कोविड और गैर-कोविड क्षेत्र में ड्यूटी लगाए जाने को लेकर हाल ही में हुए शासनादेश में दी गई व्यवस्था पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ ने आपत्ति जताई है. नए नियम के तहत डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ एक्पोजर मरीजों के साथ 14 दिन की ड्यूटी के बाद 14 दिन होम क्वारंटीन रहेंगे. संस्थागत क्वारंटीन सिस्टम खत्म कर दिया गया है. ऐसे डॉक्टर और कर्मचारी जिनका मरीजों के साथ एक्सपोजर नहीं है, वह सिर्फ दो दिन के अवकाश पर रहेंगे. उन्हें क्वारंटीन की सुविधा नहीं मिलेगी.

अभी तक 14 दिन कोरोना ड्यूटी के बाद 14 दिन संस्थागत क्वारंटीन और 14 दिन होम क्वारंटीन की व्यवस्था थी. मगर इस नियम से समस्या पैदा हो गई थी. डॉक्टर और कर्मचारी कम पड़ने लगे थे. 14 दिन ड्यूटी के बाद 28 दिन कर्मचारियों को एक तरह से अवकाश दिया जा रहा था. इस नियम को लेकर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ ने हर जिले में आवाज उठानी शुरू कर दी है. कानपुर में तैनात एक वरिष्ठ डॉक्टर सचिन गुप्ता बताते हैँ, “ होम क्वारंटीन में जो शर्तें हैं उसके अनुसार, घर पर एक अलग से कमरा लेट्रिन-बाथरूम अटैच होना चाहिए. यानी घर में कम से कम दो लेट्रिन बाथरूम हों, साथ ही ऐसी व्यवस्था घर पर हो कि व्यक्ति परिवार के किसी दूसरे सदस्य के संपर्क में ना आए. घर पर इतनी सुविधा नहीं है तो वह घर वालों को जोखिम में डाल सकता है.”

डॉक्टरों के मुताबिक, आइसीएमआर के अनुसार सभी कोरोना संक्रमित मरीजों में इसके लक्षण परिलक्षित नहीं होते हैं, इसके साथ ही उनमें यह लक्षण पांचवें-छठे दिन बाद में भी प्रकट हो सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में तुरंत की रिपोर्ट निगेटिव आने पर होम क्वारंटीन करना परिजनों की सुरक्षा के साथ कहां तक सही होगा. उधर, सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने डॉक्टरों से शासन के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है. एक सीएमओ बताते हैं, “ 14 दिन की ड्यूटी के बाद 28 दिन क्वारंटीन रहना किसी भी हालत में व्यवहारिक नहीं है, अब जब कि कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं.” हालांकि करीब एक दर्जन से अधिक सीएमओ ने डॉक्टरों की आपत्तियों को शासन से अवगत कराकर उनकी समस्याओं के निराकरण करने के लिए अलग से निर्देश जारी करने का निवेदन किया है.

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