scorecardresearch

सायरस मिस्त्री: ग्लोबल बिजनेस का युवा चेहरा

रतन टाटा का उत्तराधिकारी टाटा समूह में युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहा है. उनका अंतरराष्ट्रीय अनुभव संक्रमण के दौर की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में मददगार होगा. टाटा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि टाटा संस की बोर्ड की बैठकों में रतन टाटा मिस्त्री से महत्वपूर्ण मामलों में सलाह लिया करते थे.

सायरस मिस्त्री
सायरस मिस्त्री
अपडेटेड 6 दिसंबर , 2011

मुड़ी-कुचड़ी शर्ट और चढ़ी हुई आस्तीन. 43 वर्षीय सायरस मिस्त्री मुंबई की होमी मोदी स्ट्रीट पर स्थित टाटा के मुख्यालय बॉम्बे हाउस के सूट-बूटधारी और औपचारिक पोशाक वालों के बिल्कुल उलट जान पड़ते हैं. यह चौथी मंजिल पर स्थित टाटा संस के बोर्ड रूम में लगा एक किस्म का सांस्कृतिक झ्टका भी है.

यह रतन नवल टाटा का व्यापक नजरिया था कि टाटा कंपनी में प्रबंधन के स्तर पर कम उम्र के लोगों को आगे बढ़ाया जाए. मिस्त्री उसी सपने का हिस्सा हैं. रतन टाटा ने बड़े ही व्यवस्थित ढंग से इस एजेंडे पर काम करना शुरू किया. 2009 में इसकी शुरुआत हुई, जब 46 वर्षीय एन. चंद्रशेखरन को खासतौर पर विशालकाय कंपनी टाटा कंसल्टेंसी के सीईओ के बतौर चुना गया; फिर 42 वर्षीय आर. मुकुंदन ने 2008 में टाटा केमिकल्स की बागडोर संभाली; उसी साल पहले रतन टाटा के कार्यकारी सहायक रह चुके मुकुंद राजन को टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) का प्रमुख नियुक्त किया गया.

तब उनकी उम्र महज 40 वर्ष थी. फिर चेयरमैन के दूसरे कार्यकारी सहायक एन. श्रीनाथ को 2007 में टाटा कम्युनिकेशंस में सबसे ऊंचा पद मिला, जब वे सिर्फ 45 वर्ष के थे और तीन साल पहले ब्रॉतिन बनर्जी सिर्फ 35 वर्ष की आयु में टाटा हाउसिंग के सीईओ बने.

ये चुनाव इस बात का साफ संकेत हैं कि इस समय यह समूह संक्रमण के दौर से गुजर रहा है. बड़े-बुजुर्गवारों ने नए लीडरों के लिए जगह खाली कर दी है, जो समूह के नए चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. जून में सात सदस्यों वाले टाटा संस के बोर्ड से सेवानिवृत्त 75 वर्षीय जमशेद जे. ईरानी इस नाटकीय बदलाव की अंतर्वस्तु पर रोशनी डालते हैं: ''सायरस बेहद संतुलित, नपे-तुले और गंभीर व्यक्ति हैं.टाटा संस के बोर्ड में हम सभी लोग उनकी सोच और विचारों की तारीफ करते थे और हम सब यह देख सकते थे कि रतन टाटा और उनके बीच एक रिश्ता कायम हो रहा था.''

टाटा समूह के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि रतन टाटा कई बार बोर्ड की बैठकों के दौरान महत्वपूर्ण आर्थिक मामलों में मिस्त्री की सलाह लिया करते थे. साफ था कि बोर्ड के सबसे कम उम्र के व्यक्ति को भविष्य की बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा रहा था. 2006 में 82 वर्ष की आयु में पेलनजी शापोरजी मिस्त्री टाटा संस के बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए तब ऐसा माना जा रहा था कि वे अपने बड़े बेटे 47 वर्षीय शापोर को अपना दायित्व सौंपने के इच्छुक होंगे. लेकिन रतन टाटा का जोर दूसरे ही व्यक्ति पर था.

केदार कैपिटल के संस्थापक साझेदार मनीष केजरीवाल के मुताबिक मिस्त्री ''चुप रहने और कम बोलने वाले बुद्घिजीवी किस्म के व्यक्ति हैं, जो हर चीज को गहरार्ई और विस्तार के साथ देखने में यकीन करते हैं. उनकी दृष्टि बहुत संतुलित है. वे जरा भी भावुक नहीं होते और  बिजनेस के लिए बिल्कुल अनुकूल व्यक्ति हैं.'' उद्योगपति आदि गोदरेज कहते हैं कि मिस्त्री ''संक्रमण के दौर से गुजर रही कंपनी'' के लिए बिल्कुल सही पसंद हैं. वे कहते हैं, ''सायरस ने हलचल पैदा कर दी है. आखिरकार पूरी दुनिया में इस कंपनी का कारोबार इतने बड़े पैमाने पर फैला हुआ है.''

पूरी दुनिया में काम कर रहे कंपनी के बहुत से ऊंचे पदों पर बैठे मैनेजर इस निर्णय को उम्मीद से देख रहे हैं क्योंकि टाटा समूह के कुल राजस्व का 66 फीसदी अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ा हुआ है.

ईरानी 1991 में रतन टाटा के और अब मिस्त्री के चेयरमैन बनने में काफी समानताएं देखते हैं. ''टाटा ने जब दायित्व संभाला तब कंपनी का वैश्विक राजस्व सिर्फ 10 फीसदी था. उनकी दूरदृष्टि, नई और बड़ी सोच को साकार करने वाली सुविचारित रणनीतियों के चलते आज उसमें आश्चर्यजनक ढंग से इजाफा हुआ है. वे हमसे हमेशा कहते रहे हैं-बड़ा सोचो, साहसी निर्णय लो और मुनाफे की योजनाएं बनाओ. देखिए, आज समूह कहां खड़ा है.'' मिस्त्री से भी ऐसी बड़ी अपेक्षाएं हैं.

Advertisement
Advertisement