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राष्ट्रमंडल खेल घोटाला: कलमाडी की नेट प्रैक्टिस

तिहाड़ जेल से निकलकर सुरेश कलमाडी पुणे के नगर निकाय चुनावों में भिड़े. लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी तो अभी बाकी है.

सुरेश कलमाडी
सुरेश कलमाडी
अपडेटेड 29 जनवरी , 2012

करीब नौ महीना तिहाड़ जेल में बिताकर निकले सुरेश कलमाडी के घर पर फिर से उनके गृहनगर और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पुणे के लोगों की भीड़ जुटने लगी है. कलमाडी दिल्ली के कामराज लेन में रहते हैं. भीड़ जुटने की वजह है फरवरी में पुणे नगर निगम के होने वाले चुनाव. सो 67 वर्षीय कलमाडी लगातार अपने समर्थकों के संपर्क  में हैं. वे पुणे जरूर जाना चाहते होंगे. लेकिन कांग्रेस से निलंबित होने के कारण वहां जाने के लिए उन्हें हाइ कमान की इजाजत लेनी पड़ेगी.

कलमाडी इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में अपने निलंबन को भी चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं. दिल्ली हाइकोर्ट के निर्देश पर 19 जनवरी को जेल से जमानत पर रिहा कलमाडी को उनका परिवार दिलासा दे रहा है. वे थोड़ा कमजोर दिख रहे हैं. उनका वजन आठ किलो घट गया है. एक रिश्तेदार का कहना है कि परिवार का पूरा ध्यान उनके स्वास्थ्य पर है.

कलमाडी को 26 अप्रैल, 2011 को जेल ले जाया गया था. वहां उनकी सेहत खासी खराब हो गई. उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी है. वे जेल में थे तो एम्स के बोर्ड ने उनकी न्यूरोलॉजिकल जांच की थी. रिपोर्ट से पता चला कि उन पर स्मृति लोप का प्रभाव पड़ने लगा है. जेल में कलमाडी को गंभीर अवसाद भी हो गया था.

दिसंबर में उन्होंने विपाशना कोर्स करने का फैसला किया. यह 11 दिवसीय कोर्स जेल नंबर 4 में कराया जाता था, जहां उन्हें रखा गया था. इस दौरान पूरी तरह मौन रहना पड़ता था. इससे कलमाडी को शांत और स्थिर रहने में मदद मिली.

जेल में 30 जून, 2011 को बहुचर्चित 'टी पार्टी' हुई जिसके बाद वहां स्थिति बदतर हो गई. मुआयना करने वाले ट्रायल कोर्ट के एक जज बी.के. गर्ग ने औचक निरीक्षण के दौरान पाया कि कलमाडी जेल अधीक्षक एस.सी. भारद्वाज के साथ चाय-नाश्ता कर रहे हैं. मामले की जांच की गई और उनके विशेषाधिकार वापस ले लिए गए.

उन्होंने अपने परिवार से कहा कि उनके साथ उसी जेल में बंद हत्या के कैदी विशाल और विकास यादव से ज्‍यादा खराब सुलूक किया गया. विशाल और विकास को उनकी इच्छानुसार अपने परिवार से मिलने की इजाजत दी जाती थी, वहीं कलमाडी को सप्ताह में दो बार अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था. वायुसेना के पूर्व पायलट कलमाडी ने एक दोस्त से कहा, ''यह 1965 और 1971 की लड़ाइयों में एक्शन देखने से भी बदतर था.''

कलमाडी वकीलों के संपर्क में हैं. उनके खिलाफ राष्ट्रमंडल खेल मामले की सुनवाई 1 फरवरी से शुरू होगी. क्वींस बेटन रिले और कैटरिंग घोटालों में भी उनकी भूमिका की जांच हो रही है. दोनों में सीबीआइ जांच आगे बढ़ चुकी है. उनकी आजादी क्षणिक साबित हो सकती है, पर वे पॉजिटिव रहने की कोशिश कर रहे हैं. एक परिजन के मुताबिक, ''कलमाडी हर चीज से सावधान हो गए हैं. वे समझ नहीं पा रहे कि समर्थकों का नारा 'सबसे बड़ा खिलाड़ी, हमारा सुरेश कलमाडी' तारीफ है या लांछन.''

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