उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भारत के तेजी से विकसित होते उन शहरों में है जिन्हें लोग न सिर्फ रहने बल्कि निवेश के लिहाज से भी अब बेहतर मान रहे हैं.
11 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
देहरादून की पहचान सिर्फ उत्तराखंड की राजधानी के रूप में ही नहीं है बल्कि इस साल के एक ऑनलाइन सर्वे में देश में सबसे अधिक ऑनलाइन ट्रेडिंग करने वाले 20 शहरों में इसे 18वां स्थान मिला है.
4 जनवरी 2012: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
युवा आबादी वाला यह शहर तेजी से आगे बढ़ रहा है. देहरादून के बाहरी क्षेत्रों में लगातार विस्तार हो रहा है. वर्तमान में शहर अपने आसपास की 30 किमी की परिधि में फैल चुका है.
28 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
सहस्त्रधारा रोड स्थित जिस डांडा लखोड़ गांव को कभी शहर से दूर समझा जाता था, उसी गांव में एक साल के भीतर राज्य के दो प्रमुख स्वास्थ्य और पंचायत निदेशालय खुल चुके हैं. राजपुर रोड, सहस्त्रधारा रोड, नया गांव और हरिद्वार रोड सहित कई स्थानों पर बन रहे अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने के लिए लोगों में काफी उत्साह है.
21 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
इस समय शहर में 30 से अधिक डेवलपर कंपनियां फ्लैट और अपार्टमेंट बना रही हैं. इनमें एक कंपनी हरिद्वार रोड पर जीटीएम फॉरेस्ट नामक परियोजना के तहत 500 फ्लैट बना रही है.
देहरादून आज भी देश के अन्य शहरों की अपेक्षा शांत है. शहर में अपराधों का ग्राफ नीचे होने से यहां सुकून का आलम है. लूट और डकैती की वारदातें नहीं के बराबर हैं. वहीं यह शिक्षा हब के रूप में भी विकसित हो रहा है.
14 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
पहले दून स्कूल, ब्राइटलैंड और कर्नल ब्राउन जैसे स्कूल शहर की शान रहे हैं. अब दून यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और उत्तराखंड आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी समेत दर्जनों निजी शिक्षण संस्थान देहरादून की पहचान बन रहे हैं.
07 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
देहरादून के बाहरी इलाके में स्थित लाल तप्पड़ और सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र लगातार विकसित हो रहे हैं. दोनों क्षेत्रों में इस समय लगभग 300 औद्योगिक इकाइयां काम कर रही हैं.
30 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
शहर को सुव्यवस्थित और सुंदर बनाए रखने की कवायद में सरकार ही नहीं, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण भी लगातार जुटा है. सरकार ने तय किया है कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहर नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत इस साल दोगुनी रकम खर्च की जाएगी. 2011 में जहां इस योजना के तहत 120 करोड़ रु. खर्च हुए थे, वहीं इस साल 240 करोड़ रु. खर्च करने का प्रस्ताव है. राज्य के मुख्य सचिव सुभाष कुमार कहते हैं, ''2011-12 में अब तक 85.16 करोड़ रु. विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च हो चुके हैं.''
23 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडेजेएनएनयूआरएम परियोजना के तहत पैसा खर्च कर तेजी से कार्य करने के मामले में इस शहर का रिकॉर्ड है. इसके तहत यहां के चौराहों को चौड़ा करने का काम साल भर से चल रहा है.
अब तक पांच चौराहों का काम पूरा हो चुका है जबकि मुख्य सचिव के मुताबिक, पांच अन्य चौराहों का काम पूरा होने वाला है. देहरादून शहर के 15 वार्डों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कार्यक्रम के तहत घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है. इस व्यवस्था के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नगर निगम ने संदेश वाहन भी लगाए हैं. बेसिक स्लम अर्बन पुअर (बीएसयूपी) के तहत देहरादून के लिए नौ परियोजनाएं बनाई गई हैं. फिलहाल, इनमें से छह पर काम चल रहा है.
देहरादून नगर निगम के अध्यक्ष विनोद चमोली का कहना है, ''सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत लोगों के घर से ही कूड़ा उठाने की योजना शुरू हो गई है. हमारी पूरी कोशिश है कि शहर को साफ -सुथरा बनाया जाए.'' उन्होंने कहा कि मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों के लिए बीएसयूपी योजना में 1,500 फ्लैट बनाए जा रहे हैं.
घंटा घर से चकराता रोड के एक किमी क्षेत्र को शहरवासी बॉटल नेक के नाम से जानते थे. यह सड़क सुबह से शाम तक जाम में फंसी रहती थी. लेकिन दिसंबर, 2011 में 150 दुकानदारों और 50 से अधिक परिवारों को वहां से विस्थापित कर दिया गया.
उन्हें मॉल में दुकान और रहने के लिए फ्लैट दे दिया गया. अब दोनों ओर की इमारतें गिराकर सड़क चौड़ी की जा रही है. देहरादून-मसूरी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बी.बी.आर. पुरुषोत्तम कहते हैं, ''चकराता रोड को चौड़ा करना, देहरादून की जनता के लिए बड़ा तोहफा है. इस से चकराता रोड में जाम की समस्या से निजात मिलेगी. साथ ही शहर की खूबसूरती भी बढ़ेगी.''
शहर के विस्तार के साथ ही यहां की आबादी भी बढ़ रही है और उपभोक्ता बाजार भी बढ़ रहा है. पहले अकव्ले पल्टन बाजार में सिमटा देहरादून का बाजार अब राजपुर रोड में आठ किमी तक फैल चुका है.
अब शायद ही कोई ऐसा ब्रांड है जिसका यहां कोई शोरूम न हो. विशाल मेगा मार्ट, अमरटेक्स मार्ट भी इसी दौरान शहर में खुले हैं. पिछले महीने ही बिग बाजार ने स्टोर खोलकर रही-सही कसर भी पूरी कर दी है.
पहले जहां यह शहर स्कूल के लिए प्रसिद्ध था वहीं अब यह निजी शिक्षण संस्थानों और कॉलेजों के लिए जाना जाने लगा है. वैसे, देहरादून शहर के आसपास सेलाकुई और लाल तप्पड़ औद्योगिक क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार मिलता है लेकिन सेलाकुई में लगी ज्यादातर इकाइयां दवा से संबंधित हैं जिसमें फार्मा उद्योग से संबंधित प्रशिक्षित युवाओं को ही रोजगार मिल पाता है.
दून घाटी अपने खुशगवार मौसम, बेहतर जीवनशैली, कम अपराध और बेहतरीन शैक्षिक संस्थानों के लिए जानी जाती है. राजधानी बनने के बाद से विभिन्न प्रकार के बुनियादी ढांचे और आवासीय परियोजनाओं के विकसित होने से ही इस घाटी में बही है विकास की बयार.
कुछ अच्छी बातें:
शहर में स्वाभाविक समरसता और एकता. लड़कियों के लिए यह शहर आज भी सुरक्षित है. घंटा घर से चकराता रोड तक सड़क को चौड़ा करना और यातायात व्यवस्थित करने के लिए विशेष प्रयास.
कुछ बुरी बातें:
विकास कार्यों की वजह से पर्यावरण पर बुरा असर.
खूबियां और खामियां
ताकतः पहाड़ और मैदान का एक साथ अनुभव. मन बहलाने वाला वातावरण और अपराध तथा भयमुक्त माहौल. शिक्षा के लिए बेहतरीन संस्थान.
कमजोरीः आबादी एक दशक में दोगुनी. लेकिन शहर में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार इस रफ्तार से नहीं हो पाया.
संभावनाएं: आइटी उद्योग, पर्यटन, मनोरंजन उद्योग के साथ ही जड़ी-बूटी और फल-फूल आधारित उद्योगों में रोजगार के अनेक मौके.