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सिनेमा: टिनटिन का रोमांच

बात 21 अक्तूबर की है. रात के पौने दस बज रहे थे और बेल्जियम के ब्रसेल्स शहर के यूजीसी थिएटर में विश्व मीडिया और खास दर्शकों का तांता लगा था. ब्रसेल्स में जगह-जगह लगे पोस्टर इस बात का एहसास करा चुके थे कि आज की रात कुछ खास है.

अपडेटेड 1 नवंबर , 2011

बात 21 अक्तूबर की है. रात के पौने दस बज रहे थे और बेल्जियम के ब्रसेल्स शहर के यूजीसी थिएटर में विश्व मीडिया और खास दर्शकों का तांता लगा था. ब्रसेल्स में जगह-जगह लगे पोस्टर इस बात का एहसास करा चुके थे कि आज की रात कुछ खास है. सर्द रात और तेज हवा के बावजूद पूरा माहौल गर्मजोशी से लबरेज था. बेल्जियम के लोगों के चेहरों पर खुशी और व्यग्रता के भाव साफ नजर आ रहे थे. वजहः उनके लगभग 82 साल पुराने एक साथी के 3डी स्क्रीन पर जीवंत होने का मौका.

ब्रसेल्स के इस थिएटर में विश्व सिनेमा के दिग्गज स्टीवन स्पीलबर्ग और पीटर जैक्सन (लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के निर्देशक) के जबरदस्त संयोजन वाली फिल्म द एडवेंचर्स ऑफ टिनटिनः द सीक्रेट ऑफ द यूनिकॉर्न का प्रीमियर था. यहां मौजूद कुछ लोग टिनटिन के बैग लिए हुए थे तो कुछ ने टिनटिन की टोपी पहन रखी थी. यही नहीं, एक शख्स ने तो कैप्टन हैडॉक का वेश ही धारण कर रखा था.

लगभग एक घंटा 47 मिनट तक चले इस रोमांच भरे 3डी सफर के दौरान टिनटिन ने जमकर तालियां लूटीं. फिल्म प्रदर्शन के बाद बाहर निकलते दर्शकों के चेहरों पर एक तसल्ली और सुकून साफ झ्लकता था. एक स्थानीय युवती से उसकी प्रतिक्रिया पूछी तो उसने लगभग चिल्लाते हुए इतना ही कहा, ''मारवलस! (शानदार).''

फिल्म देखने पहुंचे स्थानीय युवक येम ने बताया, ''मैंने 22 साल की उम्र के बाद टिनटिन कॉमिक्स को पढ़ना शुरू किया. लेकिन उसे परदे पर सामने देखकर मैं हैरान रह गया. वाकई कमाल की कोशिश है.'' टिनटिन से जुड़ा जुनून ब्रसेल्स के लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा था. बेल्जियन अखबार ल सॉय ने फिल्म को एक महान पॉपुलर एडवेंचर मूवी करार दिया जबकि ल फिगारो ने इसकी एक्शन, मजाक और रहस्य से भरपूर फिल्म के तौर पर तारीफ की.

अगले ही दिन रेड कारपेट के लिए ब्रसेल्स पहुंची द एडवेंचर्स ऑफ टिनटिनः द सीक्रेट ऑफ द यूनिकॉर्न की टीम को देखने के लिए आलम यह था कि होटल अमीगो के आसपास की लगभग सभी सड़कें बंद पड़ी थीं. लोगों की आंखों में अपने स्थानीय चरित्र को जीवित कर देने वाले शख्स की एक झ्लक पाने की ललक साफ नजर आ रही थी. जब होटल के अंदर दुनिया भर से आए पत्रकारों से स्टीवन स्पीलबर्ग और उनकी टीम रू-ब-रू हो रही थी, उसी समय बाहर लोग उनकी एक झ्लक पाने को बेताब थे. वे टीम के साथ बाहर आए और रेड कॉरपेट के लिए निकल गए. रेड कॉरपेट के बाद बारी सबसे रोमांचक सफर की थी.

ब्रसेल्स के रेलवे स्टेशन पर पेरिस रवाना होने के लिए विशेष टिनटिन ट्रेन इंतजार कर रही थी. इस ट्रेन का उद्घाटन स्पीलबर्ग और उनकी टीम को करना था जबकि दुनिया भर से आए पत्रकारों को उसके शानदार सफर का लुत्फ लेना था. जब हम प्लेटफॉर्म पर गाड़ी में बैठे थे, तब हर ओर से हमें देखती निगाहें कुछ विशेष होने का खासा अनुभव करा रही थीं, बिल्कुल ऐसा लग रहा था जैसे हम भी टिनटिन की तरह किसी रोमांचक सफर पर निकलने वाले थे.

आखिरकार ट्रेन चली और डेढ़ घंटे के जादुई सफर के बाद हम पेरिस के स्टेशन पर थे. वाकई यह दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले टिनटिन के चाहने वाले के लिए एक बड़ा मौका था. बेल्जियम में फिल्म रिलीज होने के बाद अब पेरिस में टिनटिन दर्शकों की कसौटी पर कसे जाने के लिए तैयार था. रात के साढ़े नौ बजे पेरिस के रेक्स थिएटर में फिल्म का प्रीमियर और रेड कारपेट था.

हर ओर से स्टीवन और टिनटिन की ही आवाजें आ रही थीं. लगभग पौने दस बजे जैसे ही स्पीलबर्ग अपनी टीम के साथ पहुंचे, हर ओर ट्रैफिक रुक गया, दर्शकों की भीड़ उन्हें छूने को बेताब थी. भीड़ में बुरी तरह अपना संतुलन बनाने को जूझ रही एक किशोरी स्पीलबर्ग का ध्यान आकर्षित करने के लिए बार-बार यही कह रही थी, ''स्टीवन आइ लव यू...'' स्पीलबर्ग आए, पत्रकारों से मुखातिब हुए और अपने चाहने वालों को बड़े ही प्यार के साथ ऑटोग्राफ दिए. ऑटोग्राफ पाने वालों में वह किशोरी भी शामिल थी. वे थोड़ी ही देर बाद वहां से निकल गए लेकिन पेरिसवासियों में अपनी मौजूदगी लंबे समय के लिए छोड़ गए.

खास यह कि बड़े-बड़े डायनोसॉर, खतरनाक शार्क, दूसरे ग्रह के प्राणी और न जाने इस तरह के कितने किरदारों को जीवंत करने वाले स्पीलबर्ग ने इस बार एक कार्टून कैरेक्टर टिनटिन को दुनिया के दर्शकों के बीच लाकर खड़ा कर दिया है. इस काम को अंजाम देने में पीटर जैक्सन ने उनका बखूबी साथ दिया है. वैसे भी यह पहला मौका है जब स्पीलबर्ग ने 3डी फिल्म बनाई है.

स्पीलबर्ग की इच्छा टिनटिन को दुनिया के हर कोने में पहुंचाने की है. वे कहते हैं, ''मुझे टिनटिन के बारे में उस समय पता चला जब मैं 30 वर्ष की उम्र पार कर चुका था. खराब बात यह कि ये किताबें अमेरिका में नहीं मिलती थीं. यह किरदार एकदम से मेरे दिल में बैठ गया था. उम्मीद करता हूं कि अगर यह फिल्म अमेरिका में लोकप्रिय हो जाती है तो इनका प्रकाशन भी वहां शुरू हो जाए.'' टिनटिन को दुनिया तक पहुंचाने के अपने मकसद को आगे बढ़ाने के लिए वे अगले दिन यानी 23 अक्तूबर को पेरिस के जॉर्ज होटल में पत्रकारों से मिले और खूब ढेर सारी बातें भी कीं.

टिनटिन रिपोर्टर से जासूस बना एक ऐसा लड़का है, जिसके स्नोई, एक कुत्ता और एक पियक्कड़ कैप्टन हैडॉक जैसे बड़े ही मजेदार दोस्त हैं. टिनटिन बदमाशों, खजानों और कहानी का हिस्सा बनकर अपने काम को अंजाम देते हुए दुनिया भर की सैर करता नजर आता है. ऐसा ही कुछ फिल्म में भी है, जिसमें कभी टिनटिन गहरे समुद्र के बीचोबीच होता है तो कभी उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तान में जूझ्ता नजर आता है. बिल्कुल हर बच्चे के ख्वाब की तरह. और इसी ख्वाब की तामील स्पीलबर्ग ने कर दी है.

खास यह कि अपने दौर के ये दो दिग्गज, स्पीलबर्ग और जैक्सन, किसी न किसी तरह से टिनटिन के आकर्षण में बंधे रहे हैं. स्पीलबर्ग का टिनटिन शब्द से जहां पहली बार उस समय वास्ता पड़ा जब उनकी फिल्म इंडियाना जोंसः रेडर्स ऑफ द लॉस्ट ऑर्क की फ्रांस में हुई समीक्षा में टिनटिन के साथ उसकी तुलना की गई. उस समय स्पीलबर्ग ने टिनटिन कॉमिक्स को देखा और वे उसके फैन हो गए जबकि जैक्सन शुरू से उसे पढ़ते आए हैं और टिनटिन की रोमांचक यात्राओं का उन पर काफी असर भी रहा है. जैक्सन कहते हैं, ''जब आप युवा होते हैं, उस समय आप आसानी से खुद को इस तरह के रोमांचकारी सफर से जोड़ लेते हैं.''

देखें तो फिल्म को दर्शकों के सामने पेश करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती हेरजे की टिनटिन श्रृंखला की 23 किताबों में से सही चयन था. दर्शकों को टिनटिन से अधिक से अधिक रू-ब-रू कराने, उसके विभिन्न साथियों और दुश्मन से परिचित कराने के लिए फिल्म निर्माताओं ने हेरजे की तीन किताबों द क्रैब विद द गोल्डन क्लॉज, द सीक्रेट ऑफ द यूनिकॉर्न और रेड रैकहम्स टे्र.जर को मिलाकर एक पटकथा तैयार करने की योजना बनाई.

बेशक पटकथा लेखकों के पास हेरजे के संसार को जिंदा करने की चुनौती थी लेकिन उन्हें स्पीलबर्ग और जैक्सन के तेवर को बरकरार रखने का काम भी करना था. स्पीलबर्ग कहते हैं, ''आखिर में हमें जो कहानी मिली उसमें थोड़ा रहस्य, थोड़ी जासूसी कहानी, बेबाकी भरा सफर और कैप्टन हैडॉक तथा टिनटिन की दोस्ती का स्पर्श मिला.''

इस विश्व प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक का टिनटिन पर फिल्म बनाना तीन दशक पुराना ख्वाब था. बेशक वे 1980 के दशक में चाहकर भी फिल्म नहीं बना सके. लेकिन जब उन्होंने अवतार देखी तो उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वे जिस तरह की टेक्नोलॉजी चाहते थे, वह आ चुकी है. फिर क्या था, उन्होंने अवतार बनाने वाली न्यूजीलैंड की वेटा डिजिटल की टीम से संपर्क साधा जिसकी सह-स्थापना निर्देशक पीटर जैक्सन ने की है.

फिल्म देखने पर यह बात एकदम साफ हो जाती है कि स्पीलबर्ग ने हेरजे की दुनिया से कतई छेड़छाड़ नहीं की है. हर दृश्य कुछ खास है और फिल्म में वास्तविक कलाकारों के जरिए कंप्यूटर इमेजेस तैयार की गई हैं. यानी फिल्म लाइव एक्शन और एनिमेशन का बेहतरीन संगम है. फिल्म में इमेज आधारित फेशियल परफॉर्मेंस कैप्चर तकनीक का सहारा लिया गया है. वही तकनीक जिसका इस्तेमाल द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स में गोलम और जेम्स कैमरून की अवतार में पंडोरावासियों के लिए किया गया था.

अगर किरदारों की बात करें तो फिल्म बिली इलियट से लोकप्रिय हुए जेमी बेल टिनटिन के किरदार में हैं. बेल कहते हैं, ''मैं 8 वर्ष की उम्र से टिनटिन का फैन हूं. मुझे उसकी रोमांच भरी यात्राएं बेहद पसंद थीं. मैं उसकी दुनिया का हिस्सा बनना चाहता था. मेरी हसरत पूरी हो गई है.'' फिल्म में टिनटिन के दोस्त कैप्टन हैडॉक की भूमिका में लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के तीनों भागों में गोलम की भूमिका अदा करने वाले एंडी सर्किस हैं, वहीं खलनायक सखारिन की भूमिका में जेम्स बॉन्ड डेनियल क्रेग हैं.

बेशक फिल्म को बड़े पैमाने पर तैयार किया गया है मगर स्पीलबर्ग ने हेरजे से मिली टिनटिन की सादगी को पूरी तरह बरकरार रखा है और इस कार्टून चरित्र को उसके एकदम सही अंदाज में उतारने की कोशिश की है. कलाकारों के साथ काम पूरा करने के बाद वेटा की एनिमेशन टीम ने फिल्म के सभी 1,240 शॉट्स को अंतिम प्रक्रिया में डालने से पहले 18 महीने तक हर तरह की डिटेलिंग के लिए उन्हें रिफाइन किया. इसी दौरान फिल्म निर्माताओं ने विजुअल थीम्स, सिनेमैटिक मूड और लाइट संबंधी विभिन्न प्रभावों का संयोजन भी किया.

सीनियर विजुअल इफेक्ट्स सुपरवाइजर जोइ लेतरी कहते हैं, ''हेरजे ने जो भी बनाया है वह एकदम विलक्षण दिखता है और उसका रंग भी एकदम हटकर है. अगर देखें तो उनका ओरिजिनल काम पहले से ही एनिमेशन का भाव समेटे हुए है. बिल्कुल जान फूंके जाने के लिए तैयार.'' खास यह कि लेतरी अवतार, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स और किंग कांग में स्पेशल इफेक्ट्स के लिए चार बार ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके हैं.

टिनटिन के वास्तविक संसार को जिंदा रखने के प्रयासों के बारे में स्पीलबर्ग बताते हैं, ''हमने हरेक कैरेक्टर को हर एंगल से देखा. पक्का किया कि वह हेरजे के निर्माण से मेल खाता हो. हमने कभी भी यह कहने में झ्झ्कि नहीं दिखाई कि यह पात्र हेरजे की रचना से थोड़ा मेल नहीं खाता.''

करीब 13.5 करोड़ डॉलर में बनी फिल्म 11 नवंबर को भारत में भी रिलीज होने जा रही है. टिनटिन भारत में भी काफी मशहूर है, फिल्म को लेकर भारत से जुड़ी उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर फिल्म की निर्माता कैथलीन कैनेडी ने इतना ही कहा, ''भारत वाकई स्ट्रांग टेरेटरीज में से है. हम लोग फिल्म को प्रमोट करने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे है.''

टिनटिन के निर्माण के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि नई पीढ़ी इस अनोखे संसार से परिचित हो सके. कैनेडी कहती है, ''हमारे लिए बड़ी बात है कि टिनटिन प्रेमी पहली बार एकदम अलग किस्म का अनुभव हासिल कर सकेंगे.''

स्पीलबर्ग ने आखिरी बार 2008 में इंडियाना जोंस ऐंड द किंगडम ऑफ द क्रिस्टल स्कल का निर्देशन किया था, जिसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी. स्पीलबर्ग तीन साल बाद एनिमेशन और 3डी फिल्म लेकर आए हैं. फिल्म देखने पर स्पीलबर्ग और जैक्सन का स्पर्श साफ नजर आता है. यूरोप में टिनटिन अच्छा प्रदर्शन कर रही है, देखना यह है कि भारत में इसका स्वागत किस तरह होता है. 

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