उन्होंने और उनके भाइयों ने अपना राजनैतिक कॅरिअर आंध्र प्रदेश-कर्नाटक सीमा पर लौह अयस्क की अपनी कुछ वैध और बाकी कथित तौर पर अवैध खदानों के बूते बनाया था.
5 सितंबर को तड़के संयुक्त निदेशक वी.वी. लक्ष्मीनारायण के नेतृत्व वाले सीबीआइ के एक दल ने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) के मालिक जनार्दन रेड्डी और उनके रिश्तेदार, नजदीकी सहायक तथा कंपनी के प्रबंध निदेशक बी.वी. श्रीनवास रेड्डी के बेल्लारी और बंगलुरू निवासों पर छापा मारा.
सीबीआइ का छापा उस व्यक्ति की संपन्नता की झ्लक था, जिसने कभी तिरुपति में भगवान बालाजी मंदिर को 45 करोड़ रु. मूल्य का सोने का मुकुट भेंट किया था. जांच एजेंसी ने बाद में एक विज्ञप्ति जारी करके कहा कि जनार्दन के बेल्लारी निवास से 1.5 करोड़ रु. नकद और 30 किलो सोना बरामद हुआ है.
सीबीआइ ने एक अगस्तावेस्टलैंड हेलिकॉप्टर, जिसका इस्तेमाल वे दिन में उड़ान के लिए करते थे, रात में उतरने की सुविधा वाला एक बेल हेलिकॉप्टर, तीन लक्जरी कारें-एक रॉल्स रॉयस फैंटम-जो 4.5 करोड़ रु. की आती है, एक बीएमडब्लू और एक ऑडी-साथ में 4 करोड़ रु. मूल्य की एक आधुनिकतम बस, जिसमें सैटेलाइट फोन, प्लाज्मा टेलीविजन, एक बेडरूम और किचन था, भी बरामद की.
स्थानीय लोग जनार्दन को 'बेल्लारी का मुख्यमंत्री' कहते हैं. बेल्लारी में उनके भव्य महल सरीखे निवास की सुरक्षा कमांडो करते हैं और वहां सीसीटीवी वाली लगातार काम करने वाली सुरक्षा प्रणाली लगी है.
वे शुद्ध सोने की बनी कुर्सी पर बैठते हैं, जिसका मूल्य 2.2 करोड़ रु. है. शीर्ष पर सोने का छत्र लगी चंदन की एक घूमती चौकी, 2.5 करोड़ रु. मूल्य की सोने की मूर्तियां और 20.87 लाख रु. मूल्य के सोने की परत वाले बर्तन और छुरी-कांटों से घर की सजावट होती है.
44 वर्ष के खनन शहंशाह और उनके दो भाइयों-49 वर्षीय करुणाकर रेड्डी और 41 वर्षीय सोमशेखर रेड्डी के लिए यह एक लंबा सफर रहा है. रेड्डी भाइयों के राजनैतिक उत्थान का श्रेय भाजपा नेता सुषमा स्वराज को जाता है, जिनके 1999 में बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव अभियान का संचालन उन्होंने ही किया था.
जहां बी.एस. येद्दियुरप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक की पिछली भाजपा सरकार में जनार्दन पर्यटन और अधोसंरचना मंत्री बने थे, वहीं तीनों भाइयों में सबसे बड़े गली करुणाकर रेड्डी राज्य के राजस्व मंत्री बने और बाद में बेल्लारी से लोकसभा चुनाव जीते. सबसे छोटे भाई सोमशेखर भाजपा के वर्तमान विधायक हैं. जनार्दन के नजदीकी सहयोगी 39 वर्ष के बी. श्रीरामुलु, जिन्हें अक्सर 'चौथा रेड्डी' कहा जाता है, येद्दियुरप्पा के मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री थे.
अगर स्वराज रेड्डी बंधुओं के उत्थान में मददगार रही थीं, तो ये सभी भाई आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाइ.एस. राजशेखर रेड्डी (वाइएसआर) के साथ मेलजोल बनाने में भी सफल रहे थे.
वाइएसआर और रेड्डी बंधु दोनों दावा करते थे कि उनके संबंध 'निजी किस्म' के हैं, जिसमें जनार्दन यहां तक कहा करते थे कि वाइएसआर हमारे 'पितातुल्य व्यक्ति' हैं. दरअसल, जब वाइएसआर के बेटे वाइ.एस. जगनमोहन रेड्डी मई, 2011 में लोकसभा का उपचुनाव जीत गए थे, तो रेड्डी बंधुओं ने 12 करोड़ रु. मूल्य का एक स्वर्ण मुकुट श्रीकालहस्ति मंदिर को भेंट किया था.
2009 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में वाइएसआर की मृत्यु होने के बाद, मुख्यमंत्री पद पर उनके उत्तराधिकारी बने के. रोसैया ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर ओएमसी की कथित खनन गतिविधियों की सीबीआइ जांच कराने की मांग की थी.
रेड्डी बंधुओं के लिए सबसे सुनहरा मौका तब आया था, जब 2008 में यह साफ हो गया कि महज 110 सीटों के साथ भाजपा को कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए छह निर्दलीय विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. रेड्डी बंधुओं ने विधायकों को साथ लाने का प्रबंध कर दिया था, ताकि भाजपा सरकार में बनी रहे.
रेड्डी बंधुओं के लिए समस्या तब शुरू हुई, जब लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने दिसंबर, 2008 में एक अंतरिम रिपोर्ट पेश की जिसमें बेल्लारी में खनन में भारी अनियमितताओं और व्यवस्थित भ्रष्टाचार का ब्यौरा था. लोकायुक्त की रिपोर्ट सदानंद गौड़ा के नेतृत्व वाली कर्नाटक की नई सरकार से रेड्डी बंधुओं को बाहर रखने में कारगर साबित हुई.
हेगड़े इस बात पर अफसोस जताते हैं कि कर्नाटक सरकार ने रेड्डी बंधुओं के खिलाफ कभी भी कार्रवाई नहीं की. वे कहते हैं, ''जनार्दन रेड्डी मेरी रिपोर्ट के कारण जेल में नहीं हैं, यह आंध्र प्रदेश में दर्ज एक भिन्न मामला है. मेरा ख्याल है कि कर्नाटक सरकार को भी अवैध खनन के खिलाफ सीबीआइ जांच करवानी चाहिए.''
एक महीने से भी कम समय पहले रेड्डी बंधुओं ने बेल्लारी में 250 जोड़ों के लिए सामूहिक विवाह का आयोजन किया था. यह काम यह परिवार वरमहालक्ष्मी पूजा के अवसर पर पिछले 12 साल से करता आ रहा है. इसकी अध्यक्षता भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने की थी, जिन्हें समारोह में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में 40 लाख रु. मूल्य की एक तलवार भेंट की गई थी. जनार्दन की गिरफ्तारी के अगले दिन फलता-फूलता बेल्लारी शहर भुतहा हो गया.