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नेताजी के रिश्‍तेदार ने मंडप से भगाई दुल्हन

उत्तर प्रदेश में बसपा के जनप्रतिनिधि और करीबी परिजन ही कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं. सहारनपुर जनपद के एमएलसी एवं कुछ अरसे से उत्तरांचल के बसपा प्रभारी डॉ. मेघराज जरावरे के परिवार के सदस्यों की करतूत ने बसपा को शर्मशार करने का काम किया.

दुल्हन भगाने का आरोपी
दुल्हन भगाने का आरोपी
अपडेटेड 17 जुलाई , 2011

उत्तर प्रदेश में बसपा के जनप्रतिनिधि और करीबी परिजन ही कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं. सहारनपुर जनपद के एमएलसी एवं कुछ अरसे से उत्तरांचल के बसपा प्रभारी डॉ. मेघराज जरावरे के परिवार के सदस्यों की करतूत ने बसपा को शर्मशार करने का काम किया.

मेघराज के बेटे अमित जरावरे, भतीजे निशांत, भांजे सोनू और उनकी महिला मित्र पूजा समेत छह लोगों ने मिलकर सहारनपुर के कस्बा सरसावा की एक ब्राह्मण युवती अरुणा शर्मा को हथियारों के बल पर देवबंद के विवाह मंडप से उस वक्त अगवा कर लिया, जब शादी की रस्में चल रही थीं.

लड़की का परिवार एमएलसी के परिजनों के आतंक से डरकर सरसावा से शादी करने 7 जुलाई को देवबंद आया था. इस घटना से भयभीत होकर वर पक्ष के लोगों ने आनन-फानन में रिश्ता ही तोड़ लिया और अरुणा का दुल्हन बनने का सपना भी चूर-चूर हो गया. वधु पक्ष पर तो मानो बिजली ही टूट गई. दूल्हे जितेंद्र शर्मा और उसके पिता नाथूराम शर्मा का कहना है कि जो लोग विवाह मंडप में आकर ऐसी घिनौनी हरकत कर सकते हैं, वे शादी के बाद भी उन्हें और इस लड़की को तंग कर सकते हैं.

लड़का और लड़की दोनों के परिजनों के कोतवाली देवबंद में आने से जनपद से लेकर लखनऊ के सियासी हलकों तक हड़कंप मच गया. मेघराज जरावरे न कव्वल अपने सरसावा विधानसभा क्षेत्र के विधायक मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी के विश्वासपात्रों में से हैं, बल्कि कद्दावर दलित नेता होने के कारण वे मुख्यमंत्री मायावती की निगाहों में भी चढ़े हुए थे.

देवबंद पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात समेत सभी छह लोगों को पांच दिन के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और उस कार को भी जब्त कर लिया, जिसमें आरोपी युवती को अगवा करने के लिए देवबंद आए थे. एसएसपी दीपक रतन का कहना था कि उन पर लखनऊ से या राजनैतिक हल्कों से रत्ती भर भी दबाव इस मामले में नहीं डाला गया.

सहारनपुर के भाजपा विधायक राघव लखनपाल शर्मा ने एसएसपी दीपक रतन से मिलकर इस मामले में एमएलसी मेघराज जरावरे के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी. एसएसपी ने राजनैतिक दलों की मांग पर एसपी सिटी डी.के. श्रीवास्तव को मेघराज जरावरे की इस प्रकरण में संलिप्तता के आरोपों की जांच का काम सौंपा है. जांच के बाद पुलिस उचित कार्रवाई करेगी.

इस प्रकरण को लेकर सहारनपुर मंडल और आसपास का ब्राह्मण समाज जबरदस्त तरीके से आंदोलित है. उनकी मांग है कि मायावती अपने एमएलसी मेघराज जरावरे के खिलाफ विधायक शाहनवा.ज राणा की तरह कार्रवाई कर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए. उत्तर प्रदेश चाणक्य महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष पंडित परमवीर कौशिक का कहना है कि 2007 के विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों ने मायावती को समर्थन दिया था और उनकी पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया था.

लेकिन तब किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि बसपा के जनप्रतिनिधि ही उनकी बहू-बेटियों की आबरू लूटने का काम करेंगे. कौशिक की मांग थी कि न कव्वल मेघराज जरावरे के खिलाफ कार्रवाई की जाए बल्कि उनके जेल भेजे गए परिजनों पर रासुका लगाई जाए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की कार्रवाई करने का दुस्साहस न कर सके.

बसपा नेता घटना के बाद से ही चुप्पी ओढ़े बैठे हैं, जबकि गैर-बसपाई दल विरोध में लामबंद हैं. बसपा के सहारनपुर के जिलाध्यक्ष जनेश्वर प्रसाद ने जरूर अपना मुंह खोलने की हिम्मत दिखाई. उन्होंने इंडिया टुडे से दो टूक कहा कि वे इस घटना की तीव्र शब्दों में निंदा करते हैं. मायावती महिलाओं का सम्मान करती हैं और उनका उत्पीड़न रोकना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसीलिए इस मामले में पुलिस ने विधायक परिवार के खिलाफ समुचित कानूनी कार्रवाई की और किसी भी पार्टी कार्यकर्ता ने जरावरे के समर्थन में मुंह नहीं खोला.

इस मामले में लग रहा है कि मुख्यमंत्री मायावती राजनैतिक नफे-नुक्सान का आकलन करने में लगी हुई हैं. संभवतः वह जरावरे प्रकरण पर कोई टिप्पणी करने की जल्दबाजी से बच रही हैं. लेकिन कार्रवाई में विलंब करने के कारण इसका पर्याप्त राजनैतिक खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ सकता है.

गैर-बसपाई दलों के लोगों से बातचीत के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यदि जरावरे को बहन जी ने किसी भी वजह से माफ कर दिया तो विपक्षी दल चुनाव तक इस मुद्दे को जिंदा रखेंगे. ऐसे में मायावती को सवर्ण मतदाताओं के वोट से हाथ धोना पड़ सकता है.

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