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मानसून सत्रः बड़ा संकट, छोटी चर्चा

केंद्र सरकार महत्वपूर्ण और बड़ी समस्याओं पर संसद में विस्तृत चर्चा से बचना चाह रही है.

संसद में मानसून सत्र (प्रतीकात्मक फोटो/पीटीआइ)
संसद में मानसून सत्र (प्रतीकात्मक फोटो/पीटीआइ)
अपडेटेड 15 सितंबर , 2020

बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में चुनाव के साथ 40 विधानसभा और लोकसभा उप-चुनाव होने हैं. इससे ठीक पहले केंद्र सरकार चरमराई अर्थव्यवस्था, चीन के अतिक्रमण, कोरोना की वजह से मजदूरों के पलायन, किसानों का आंदोलन, छात्रों की समस्या, फेसबुक हेट स्पीच मामला जैसे तमाम सियासी मुद्दों से घिरी हुई है. लेकिन सरकार संसद में इन मुद्दों पर कम से कम चर्चा की जुगत में लग गई है. मौजूदा सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है और शून्यकाल के समय में भी कटौती हो चुकी है. चर्चा के लिए राज्यसभा और लोकसभा की समय अवधि भी 3-3 घंटे ही निर्धारित की गई है. ऐसे में किसी भी मुद्दे पर व्यापक चर्चा की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है.

सरकार के पहले ही दिन 14 सितंबर को 13 उन अध्यादेशों को संसद में पेश कर दिया जो पिछले छह महीने के दौरान सरकार ले आई थी. इन्हें पास कराने की प्राथमिकता सरकार के एजेंडे में है. चूंकि कांग्रेस, कृषि से संबंधित 3 अध्यादेशों के विरोध का फैसला कर चुकी है इसलिए बहस इन अध्यादेशों को लेकर ही होगी. चीन के मामले में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 15 सिंतबर को 3 बजे स्टेटमेंट दिया, लेकिन व्यापक चर्चा इस मुद्दे पर हो, यह तय नहीं हो सका. राजनाथ सिंह के स्टेटमेंट से पहले ही 14 सितंबर को पीएम, चीन को लेकर देशभर की एकजुटता का जिक्र कर चुके हैं. ऐसे में चीन के अतिक्रमण को लेकर आधिकारिक रूप से सरकार की तरफ से यथास्थिति बताने के बाद कई अनुत्तरित सवाल रह जाएंगे इसकी संभावना है. लोकसभा में विपक्षी कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि किसी भी मुद्दे पर सरकार विस्तारपूर्वक चर्चा करने से बचना चाह रही है. वजह साफ है कि देश की समस्याओं से सरकार नजर चुरा रही है.

टीएमसी, आम आदमी पार्टी, डीएमके जैसे दल चाह रहे हैं कि कम से कम दो मुद्दों चीन और अर्थव्यवस्था को लेकर विस्तृत चर्चा हो भले इसके लिए 3 या 4 दिनों का समय लगे. इन दलों के नेताओं का कहना है कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में यह बात उठी लेकिन सरकार ने इसे तव्वजो नहीं दिया. अर्थव्यवस्था और चीन का अतिक्रमण ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सभी दलों को समय दिया जाना चाहिए. यह मामला पूरे देश का है. इन सब के बावजूद सरकार इस पर विस्तारपूर्वक चर्चा से बचना चाह रही है. हालांकि इसके उलट भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है. कोरोना की वजह से स्थिति सामान्य नहीं है इसलिए कम से कम समय में सभी मुद्दों पर चर्चा हो सरकार यह चाह रही है.

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