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88 साल की उम्र में संकटमोचक मंदिर में अपनी हाजिरी लगा गईं गिरिजा देवी

88 साल की उम्र में संकट मोचक मंदिर में अपनी हाजिरी लगा गयी गिरिजा देवी

फोटोः राजेंद्र शर्मा
फोटोः राजेंद्र शर्मा
अपडेटेड 17 मई , 2020

राजेन्‍द्र शर्मा

साल 2017 का मार्च. ठुमरी क्‍वीन कही जाने वाली गिरिजा देवी होली के अवसर पर बनारस के नाटी इमली स्थित अपने घर आई हुई थीं. संकट मोचन मंदिर के महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र के परिवार की तीन पीढियों से गिरिजा देवी से आत्‍मीयता रही है. महंत मिश्र ने गिरिजा देवी के सम्‍मान में तुलसी घाट पर एक आयोजन किया.

आयोजन समाप्ति के बाद जब महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र उन्‍हें गाड़ी तक छोड़ने आए तो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके. उन्‍होंने गिरिजा देवी से शिकायत भरे लहजे में कहा कि हनुमान जयंती के अवसर पर संकट मोचन संगीत समारोह के आयोजन की परम्‍परा को तिरानवे वर्ष हो चुके हैं, इस परम्‍परा की नींव रखने वाले मेरे बाबा ( महंत अमरनाथ मिश्र ) को आप भाई जी कहती हैं परन्‍तु इस संगीत समारोह में बस केवल एक बार 2005 में आपने हाजिरी लगाई है, यह बात मुझे सालती है. इतना कहते-कहते महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र भावुक हो गए.

गिरिजा देवी को संबधों को निभाना बखूबी आता था. उन्‍होंने महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र के मनुहार को उसी भावना से समझा, जिस भावना से महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र ने अपनी बात कही थी. महंत अमरनाथ मिश्र का जिक्र होने पर वह स्‍वयं भी भावुक हो गईं. महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र का हाथ अपने हाथों में लेते हुए वादा किया कि जो हुआ, सो हुआ; पर अब जब तक मेरा जीवन है मैं संकट मोचन संगीत समारोह में जरूर हाजिरी लगाऊंगी .

उस समय नाटी इमली के पड़ोसी यही मान रहे थे कि अब वे दशहरे पर आएंगी. किन्‍तु गिरिजा देवी तो वचन की पक्‍की. महंत विशम्‍भरनाथ मिश्र को दिये अपने वचन को निभाने अप्रैल में हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित चौरानवे संकट मोचन संगीत समारोह में अपनी हाजिरी लगाने बनारस आ पहुंची. गदगद हो उठे महंत विशम्‍भर नाथ मिश्रा .

चौरानवे संकट मोचन संगीत समारोह के अन्तिम दिन 20 अप्रैल, 2017 को गिरिजा देवी ने अपनी प्रस्‍तुति दी.

गिरिजा देवी संकट मोचन संगीत समारोह में अपने सुरों की हाजिरी लगाने के लिए 1949 से बेताब थीं परन्‍तु उस समय महिला कलाकारों के इस समारोह में प्रस्‍तुति पर बंदिशे थीं. संकट मोचन संगीत समारोह में महिला कलाकारों के हाजिरी लगाने का सिलसिला 1977 में तत्‍कालीन महंत वीरभद्र मिश्र ने शुरु कराया और कंकना बनर्जी ने पहली महिला कलाकार के रूप में अपनी हाजिरी लगाई. लेकिन उस समय गिरिजा देवी के पति के निधन के बाद गहरे दुख में डूबी थीं.

बाद में वे आइटीसी संगीत कला अकादमी कलकत्‍ता चली गयी और संकट मोचक संगीत समारोह में केवल साल 2005 को छोडकर गिरिजा देवी अपनी हाजिरी लगा सकें, यह संयोग न बन सका .

20 अप्रैल, 2017 को 88 बरस की उम्र में अपनी अपनी हाजिरी लगाने आई गिरिजा देवी को उस दिन बैठने में तकलीफ़ थी, लेकिन उस तकलीफ़ के साथ शुरुआती कुछ देर में उन्होंने जो बातें कहीं, उसमें इस संगीत समारोह के उद्देश्‍य को एकदम साफ कर दिया . हुआ यह कि जब अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन तीन-चार भजनों के बाद ग़ज़ल सुना देते हैं, जब दरगाह अजमेर शरीफ़ के कव्वाल हमसर हयात निज़ामी आते हैं और मंदिर सूफ़ी दरगाह जैसा गूंजने लगता है और जब उस्ताद राशिद ख़ान आते हैं और लोग उनसे ‘आओगे जब तुम साजना’ की फ़रमाइश कर रहे थे.

गिरिजा देवी ने कहा कि हर तरह के संगीत की अपनी ज़रूरत है और उसके अपने श्रोता हैं. सभी को बराबर सुनना चाहिए और समय देना चाहिए. भजन सुनते हैं तो ग़ज़ल भी सुनना चाहिए .

चौरानवे संकट मोचन संगीत समारोह की समाप्ति के बाद महंत विशम्‍भर नाथ मिश्र आश्‍वस्‍त थे कि गिरिजा देवी अब हर बार इस समारोह में अपनी हाजिरी लगायेगी परन्‍तु उस समय किसी ने कल्‍पना भी नही की थी कि अगले बरस गिरिजा साक्षात नहीं होगी, केवल उनकी स्‍मृतियां होगी. 24 अक्‍टूबर, 2017 को गिरिजा देवी प्रभुधाम वासी हो गयीं.

महंत विशम्‍भर नाथ मिश्र उस पल को याद करते है जब गिरिजा देवी ने उन्‍हें वचन दिया था कि जब तक मेरा जीवन है मैं संकट मोचन सगीत समारोह में जरुर हाजिरी लगाऊगी . मिश्र कहते है कि अपने वचन को पूरी तरह निभा गयी गिरिजा देवी. गिरिजा देवी की वचनबद्वता के आगे नतमस्‍तक महंत मिश्र ने 2017 की देव दीपावली के अवसर पर तुलसी घाट पर गिरिजा देवी को स्‍मृति में संकट मोचन फाउंडेशन की ओर से एक बड़ा आयोजन किया, जिसमे गंगा की रेत से अप्पा जी की 51 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार की गयी और गिरिजा देवी की शिष्‍या मालिनी अवस्‍थी ने अपनी स्‍वरांजलि प्रस्‍तुत कर अपनी गुरु मां को शिद्दत से याद किया.

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