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बचत पर एक और चपत, बंद होंगे 7.75% वाले करयोग्य बॉण्ड

सरकार ने बुधवार को 7.75 प्रतिशत ब्याज देने करयोग्य बॉण्ड को बंद करने का निर्णय लिया. यह फैसला तमाम बचत योजनाओँ पर घटती ब्याज दरों को देखते हुए लिया गया.

फोटोः पीटीआइ
फोटोः पीटीआइ
अपडेटेड 28 मई , 2020

सरकार ने बुधवार को 7.75 प्रतिशत ब्याज देने करयोग्य बॉण्ड को बंद करने का निर्णय लिया. गुरुवार को बैंक बंद होने तक इसे खरीदने का आखिरी मौका है. यह फैसला तमाम बचत योजनाओँ पर घटती ब्याज दरों को देखते हुए लिया गया. यह बॉण्ड बिना जोखिम निश्चित रिटर्न देने वाली योजनाओँ के बीच लोकप्रिय विकल्प था. बाजार विशेषज्ञ अक्सर इस बॉण्ड्स में सीनियर सिटीजन को निवेश की सलाह देते हैं.

रिजर्व बैंक की बुधवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘7.75 प्रतिशत बचत (कर योग्य) बॉंड, 2018, बृहस्पतिवार, 28 मई 2020 को बैंकिंग कार्य समय समाप्त होने तक ही निवेश के लिए उपलब्ध होंगे.'' इन बॉण्ड्स पर मिलने वाला ब्याज करयोग्य होता है. साथ ही इन बॉण्ड में 1000 रुपए जिनती छोटी राशि भी निवेश की जा सकती है, जबकि निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है.

विशेषज्ञ की राय

सर्टिफाइड फाइनेंनशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं, ''पिछले कुछ दिनों से इस बात की आशंका थी कि सरकार जल्द ही इन बॉण्ड को निवेश के लिए बंद कर सकती है. क्योंकि छोटी बचत योजनाओँ और बैंक की एफडी पर मिलना वाले रिटर्न की दर भी लगातार घट रही है.'' ऐसे में किसी एक स्कीम को ऊंची दर पर चलाए नहीं रखा जा सकता है. सोलंकी आगे कहते हैं, ''यह ऐसे समय में सीनियर सिटीजन के लिए खराब खबर है, जब महंगाई बढ़ रही है और नियमित आय मिलने वाले विकल्प कम होते जा रहे या उनपर मिलने वाला रिटर्न घटता जा रहा'' इससे पहले प्रधानमंत्री वय वंदना योजना और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम पर भी ब्याज की दर घटाई जा चुकी है.

क्यों घट रहीं हैं ब्याज दरें

भारतीय अर्थव्यवस्था में कोविड-19 से पहले ही मंदी में संकेत मिलने लगे थे. ऐसे में अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए सरकार कर्ज को सस्ता करना चाहती है. इस कदम से उपभोक्ता खरीदारी के लिए प्रोत्साहित होंगे और कंपनियां भी सस्ते कर्ज के सहारे निवेश बढ़ाएंगी. हालांकि कर्ज की मांग (गैर खाद्य) बढ़ने की रफ्तार अभी 27 साल के निचले स्तर पर है. इसका अर्थ यह हुआ कि कर्ज सस्ता होने के बाद भी लोग कर्ज लेेने से कतरा रहे हैं. कर्ज लेने वालों की संख्या कब बढ़ेगी यह नहीं पता लेकिन इस दौरान बचत करने वालों को निश्चित तौर पर इसका खामियाजा भुगतान पड़ेगा. रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों (रेपो रेट) को घटाकर ऐतिहासिक 4% पर कर दिया है. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआइ से कर्ज लेते हैं.

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