गणितज्ञ आनंद कुमार अब दुनिया भर में मशहूर अपने 'सुपर 30' प्रोग्राम के लिए पटना से बाहर निकलकर हिंदी पट्टी के विभिन्न राज्यों में लिखित परीक्षा आयोजित करेंगे.
गरीब तबके के मेधावी छात्रों को आइआइटी-जेईई परीक्षा में सफलता के लिए वे सुपर 30 छात्रों को चुनते थे. इस साल संख्या बढ़ाकर 50 तक करने की योजना है. पिछले हफ्ते दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे एस्पायर शिक्षा सम्मेलन 2012 में भाग लेने आए आनंद ने भविष्य की योजनाओं का खुलासा करते हुए बताया, ‘50 उम्दा छात्र मिल गए तो अच्छा है, लेकिन अगर इतने नहीं मिले तो कुछ कम भी हो सकते हैं.’
सुपर 30 प्रोग्राम के लिए हर साल गरीब तबके से असाधारण प्रतिभा के धनी 30 छात्र चुने जाते हैं. आइआइटी-जेईई में सफलता पाना उनका लक्ष्य होता है. आनंद और उनके साथी निःशुल्क कोचिंग के जरिए इन होनहार छात्रों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करते हैं. वर्ष 2003 से 2011 के बीच नौ साल में सुपर 30 के 270 में से 234 छात्र देश के विभिन्न आइआइटी कॉलेजों में दाखिला पा चुके हैं.
आनंद बताते हैं, ‘सुपर 30 प्रोग्राम की सफलता के मद्देनजर चारों तरफ से छात्रों की संख्या बढ़ाने की लगातार मांग थी. इसी वजह से हमने अप्रैल, 2012 में लिखित परीक्षा आयोजित कर ज्यादा छात्र चुनने की योजना बनाई है.’ आनंद का कहना है कि उन्होंने इसके लिए अब तक हिंदी पट्टी के 10 सेंटर चुन लिए हैं. इनमें दिल्ली, पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार), कानपुर, लखनऊ, बनारस, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और रेवाड़ी (हरियाणा) शामिल हैं. भोपाल सहित 4-5 और केंद्रों पर विचार जारी है. छात्रों को प्रवेश परीक्षा के लिए महज 50 रु. फीस देनी होगी और सुपर 30 वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड कर वे आवेदन भर सकेंगे. गरीब तबके से चुने जाने वाले ये योग्य छात्र आइआइटी में प्रवेश के लिए 2013 की चयन परीक्षा में भाग लेंगे. आनंद का कहना है, ‘पटना में पूरे साल इन्हें भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र की निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी.’ रहने-खाने का भी मुफ्त इंतजाम होगा.
सुपर 30 में छात्रों की तैयारी पर आनंद का कहना है कि छात्र हर रोज क्लास में डेढ़-डेढ़ घंटा भौतिकी, गणित और रसायनशास्त्र पढ़ते हैं. हफ्ते में छह दिन पढ़ाई होती है और महीने में 5-6 टेस्ट होते हैं. क्लास की पढ़ाई के बाद बच्चे खुद पढ़ते हैं. आनंद गणित पढ़ाते हैं, अमित कुमार सिंह और प्रवीण कुमार भौतिकी तथा राहुल रंजन रसायनशास्त्र पढ़ाते हैं. बच्चों के रहने-खाने का इंतजाम आनंद के भाई प्रणव और मां जयंती देवी देखते हैं. सुबह सुपर 30 की क्लासेज पूरी होने के बाद शाम को कोचिंग से होने वाली कमाई से वे अपने निजी खर्च की भरपाई करते हैं.
सुपर 30 का दुनिया लोहा मान चुकी है. अमेरिकी पत्रिका टाइम ने इसे एशिया के अव्वल शिक्षा संस्थानों में शुमार किया था. 2008 से 2010 के बीच तीन साल ऐसे भी थे जब 30 में से सभी 30 छात्रों का आइआइटी के लिए चयन हुआ. लेकिन आनंद सफलता का पूरा श्रेय छात्रों को ही देते हैं. उनका कहना है, ‘छात्र खुद सारी मेहनत करते हैं. ज्यादातर छात्र रोजाना 14 घंटे तक पढ़ाई करते हैं, इसलिए कामयाबी पर उन्हें दाद मिलनी चाहिए.’
आनंद देश भर में गणित पर निःशुल्क कार्यशालाओं में भी भाग लेते हैं. वे अब अंतरराष्ट्रीय गणित और भौतिकी ओलंपियाड के लिए छात्रों को तैयार करेंगे. अगर रियायती दाम पर राज्य सरकारें जगह दें तो वे निःशुल्क पढ़ाई के लिए जगह-जगह स्कूल खोलना चाहते हैं. वे छात्रों को उच्च शिक्षा की तैयारी कराने के लिए छठी कक्षा से ही पढ़ाने व प्रशिक्षित करने की योजना बना रहे हैं.

