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शख्सि‍यत: अखि‍लेश यादव के नरेश

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नरेश उत्तम ने पिछले वर्ष दिसंबर में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शि‍क्षक और स्नातक खंड की दोनों एमएलसी सीटें अपनी पार्टी को जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी. अब वे प्रशि‍क्षण शि‍विरों की निगरानी कर रहे.

अखिलेश यादव के साथ नरेश उत्तम
अखिलेश यादव के साथ नरेश उत्तम
अपडेटेड 24 जनवरी , 2021

पिछले वर्ष दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुए खंड शि‍क्षक निर्वाचक क्षेत्र और स्नातक निर्वाचक क्षेत्र के विधान परिषद चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) ने दोनों सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पटखनी दी थी. इसके अलवा सपा ने प्रयागराज-झांसी स्नातक खंड की विधान परिषद सीट जीतकर अपने प्रदर्शन से सबको हैरान कर दिया था. इस चुनाव में सपा का शानदार प्रदर्शन पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखि‍लेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की रणनीति का प्रतिफल था. विधान परिषद चुनाव की घोषणा होते ही अखि‍लेश यादव ने नरेश उत्तम को इस चुनाव में भाजपा का चक्रव्यूह भेदने की जिम्मेदारी सौंपी थी. नरेश ने दो महीने के भीतर प्रदेश में लगातार दौरे कर जनसंपर्क करते रहे. उन्होंने सपा समर्थक मतों को एकजुट किया. नरेश के प्रयासों से ही सपा ने वाराणसी में शि‍क्षक और स्नातक खंड की दोनों विधान परिषद सीटें जीत ली जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर रहा था. अब वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखि‍लेश यादव ने प्रदेश भर में प्रशि‍क्षण शि‍विरों के जरिए पार्टी के नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करने का खाका खींचा है. अखि‍लेश की रणनीति को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नरेश उत्तम निभा रहे हैं. जिस जिले में सपा का प्रशि‍क्षण शि‍विर का आयोजन होता है वहां दो दिन पहले से नरेश उत्तम डेरा डाल देते हैं. प्रशि‍क्षण शि‍विर की तैयारी से जुड़े सभी कार्य नरेश सीधे अपनी निगरानी में ही संपादित कराते है.

अखि‍लेश यादव के विश्वसनीय समाजवादी नेता और सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का जन्म 10 जनवरी, 1956 को फतेहपुर जिले के ग्राम लहुरीसरांय जहानाबाद में रहने वाले एक किसान के घर में हुआ था. जहानाबाद के ‘आदर्श इं‍टर कालेज’ से इन्होंने इंटरमीडियट तक की पढ़ाई की. इसके बाद नरेश आगे की पढ़ाई के लिए अपने गांव से 60 किलोमीटर दूर कानपुर आ गए. कानपुर के परेड में स्थ‍ित पंडित पृथ्वीनाथ (पीपीएन) डिग्री कॉलेज में बीए पाठ्यक्रम में दाखि‍ला लिया. इसी दौरान जब 25 जून, 1975 में जब देश में आपातकाल की घोषणा हुई उसी दिन कानपुर में परेड के मैदान में जयप्रकाश नरायण के आह्वान पर एक सभा का आयोजन किया गया था. परेड का यह मैदान पीपीएन डिग्री कॉलेज से कुछ ही दूरी पर था. सभा से पहले कानपुर के डीएवी कॉलेज के छात्रनेता कॉलेज-कॉलेज जाकर उनके गेट पर छात्र-छात्राओं से संपर्क कर भारी संख्या में परेड ग्राउंड में आकर सभा को सफल बनाने के लिए समर्थन बटोर रहे थे. नरेश क्लास छोड़कर अपने सहपाठियों के साथ परेड ग्राउंड पर सभा में शामिल हुए. सभा में इन्होंने काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और विद्यार्थी-छात्र एकता जिंदाबाद जैसे नारे भी जमकर लगाए. चूंकि इमरजेंसी लग चुकी थी ऐसे में नरेश गिरफ्तार कर लिए गए. ये जेल गए. जेल से छूट कर आए तो ये पढ़ाई में लग गए. वर्ष 1976 में इन्होंने बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की. वर्ष 1978 में नरेश ने अर्थशास्त्र विषय से एमएम की डिग्री ली. एमए करने के बाद नरेश ने कानून की पढ़ाई करने के लिए कानपुर के डीएवी कॉलेज में दाखि‍ला लिया. यहां 10 हजार से अधि‍क छात्र पढ़ते थे. छात्रों से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए नरेश लगातार संघर्ष कर रहे थे जिससे डीएवी कॉलेज में यह लगातार लोकप्रिय हो रहे थे. वर्ष 1980 में यह कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव के मैदान में कूद पड़े. इनकी लोकप्र‍ियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने पहले ही प्रयास में नरेश डीएवी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीत गए. इसी के कुछ दिन बाद 31 अक्तूबर 1980 सरदार पटेल की जयंती के मौके पर मुलायम सिंह यादव फतेहपुर-कानपुर की सीमा पर मौजूद नरेश उत्तम के गांव के पास एक कार्यक्रम में शि‍रकत करने पहुंचे थे. इस वक्त चौधरी चरण सिंह लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव प्रदेश अध्यक्ष थे. नरेश ने मुलायम सिंह के समर्थन में खूब नारेबाजी की. इनके साथ बड़ी संख्या में युवा भी मुलायम सिंह यादव के स्वागत में मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान जिस तरह नरेश के साथ युवा जुटे थे उसने मुलायम सिंह‍ को प्रभावित किया. मुलायम ने मंच पर नरेश को बुलाकर इनका परिचय पूछा और लखनऊ आकर मिलने को कहा. इसके बाद नरेश मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आ गए. मुलायम सिंह यादव ने नरेश को युवा जनता दल का महामंत्री बना दिया. उस वक्त युवा जनता दल में आठ महामंत्री होते थे. इस तरह नरेश उत्तम छात्र आंदोलन, किसान आंदोलन से निकलकर जनता दल की राजनीति में सक्रिय हो गए.

फतेहपुर में जनता दल के कार्यक्रमों के जरिए इन्होंने गांव-गांव पैठ बनानी शुरू की. 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. इसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए. यूपी की 85 लोकसभा सीटों में से 83 सीटों पर कांग्रेस और दो पर लोकदल वि‍जयी रहा. बागपत से चौधरी चरण सिंह और एटा से प्यारे मियां ने चुनाव जीता. नरेश लगातार फतेहपुर में लोकदल को मजबूत करने के लिए पसीना बहाते रहे. लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद यूपी में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई. मुलायम सिंह यादव ने नरेश को जहानाबाद विधानसभा सीट से लोकदल प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया. इस वक्त नरेश की उम्र साढ़े छब्बीस साल थी. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर नरेश यूपी की विधानसभा पहुंचे. वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में भी नरेश ने जहानाबाद से चुनाव जीता. इसके बाद यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी. नरेश सरकार में वन विभाग के मंत्री बने. इसके बाद जनता दल का बंटवारा हुआ और नरेश उत्तम मुलायम सिंह यादव के साथ बने रहे.

वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में नरेश चुनाव हार गए. वर्ष 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) का गठन किया. नरेश मुलायम सिंह यादव के सिपहसालार के तौर पर सपा को मजबूत करने में जुट गए. कुर्मी बिरादरी से आने के कारण नरेश ने पिछड़े वर्ग को सपा से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई. वर्ष 1993 में भी यह सपा उम्मीदवार के तौर पर जहानाबाद से विधानसभा चुनाव एक बार फि‍र केवल ढाई हजार मतों के अंतर से हार गए. इसके बाद नरेश संगठन का काम करते रहे. फतेहपुर में सपा के जिला अध्यक्ष से लेकर प्रदेश स्तर तक कई पदों पर रहे. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज से सपा उम्मीदवार थे. मुलायम सिंह यादव ने नरेश उत्तम को कन्नौज में अखि‍लेश यादव के चुनाव का प्रभारी बना दिया. नरेश कई महीने तक कन्नौज में रहे. यही वह समय था जब ये अखि‍लेश यादव के निकट आए. अखि‍लेश चुनाव जीते और इसके बाद नरेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य बने. दो साल पिछड़ा वर्ग आयोग में सदस्य रहने के बाद वर्ष 2006 में नरेश उत्तम को सपा ने विधान परिषद सदस्य बनाया. वर्ष 2006 से लेकर अबतक नरेश उत्तम तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य हैं. 1 जनवरी 2017 को जब लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में सपा के राष्ट्रीय अधि‍वेशन में जब अखि‍लेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया उसी सम्मेलन में नरेश उत्तम सपा के प्रदेश अध्यक्ष बने थे. इसके बाद चार साल से नरेश सपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखि‍लेश यादव के मुख्य सिपहसालार के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

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