चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे बसा देश के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुंदर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है. चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यों की पहाड़ी कहा जाता है. ऐसी ही एक पहाड़ी देवांगना पर देश का सबसे खूबसूरत हवाई अड्डा आकार ले रहा है. विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के बीच पहाड़ी पर बना और विस्तारीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा चित्रकूट एयरपोर्ट का काम तेजी से चल रहा है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही चित्रकूट में हवाई अड्डे के निर्माण को पंख लगा दिए थे. बुंदेलखंड के विकास को गति देने के लिए योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट से ही 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की शुरुआत की. विंध्य रेंज की एक पहाड़ी पर बना 'टेबल टॉप' एयरपोर्ट योगी की महत्वाकांक्षी योजना का अंग है जिसके तहत भारत सरकार की 'रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम' को बढ़ावा दिया जा रहा है. पहाड़ी पर बने इस एयरपोर्ट के दोनों तरफ देवांगना घाटी है जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता देश के किसी भी एयरपोर्ट को कड़ी चुनौती देगी. लगभग 260 एकड़ भूमि पर बने इस एयरपोर्ट पर 1,475 मीटर लम्बा और 23 मीटर चौड़ा रनवे बन रहा है जो पहले से बने रनवे का विस्तार होगा. कार्ययोजना के अनुरूप नए टर्मिनल, एप्रन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल के भवन और कार पार्किंग पर कार्य चल रहा है. लगभग 92 करोड़ रूपए की इस परियोजना के लिए सरकार 50 करोड़ रूपए जारी कर चुकी है. उत्तर प्रदेश में नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव सुरेंद्र सिंह ने बताया कि विभाग से संबंधित सभी परियोजनाओं की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री नियमित तौर पर स्वयं करते हैं और ये उनकी प्राथमिकताओं में हैं. उन्होंने बताया कि योजनानुसार प्रथम चरण में चित्रकूट से प्रयागराज और कानपुर को हवाई सेवाओं से जोड़ा जायेगा.
किसी भी देश या राज्य के विकास का पैमाना उसके यातायात के संसाधन भी होते हैं. एविएशन इंडस्ट्री में एक बड़े पद पर तैनात अमित कुमार बताते हैं, “विदेशों से निवेशक जब देश के किसी भी स्थान का निवेश के लिए चयन करते हैं तो वह यह बखूबी देखते हैं कि उस इलाके की दूसरे इलाकों से कनेक्टिविटी कैसी है? अगर निवेशकों के लिए जहां जमीन मौजूद है वहां कोई हवाई अड्डा भी है तो यह सोने पर सुहागा जैसी स्थिति होती है. इस संकल्पना को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश की अनेक एयर स्ट्रिप को केंद्र सरकार के सहयोग से एयरपोर्ट में तब्दील कर रही है. यूपी में 17 नए रूटों पर हवाई सेवा की अनुमति प्रदान की गयी है. रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (आरसीएस) के तहत प्रदेश के बड़े नगरों में एयरपोर्ट सुविधा का विस्तार किया जा रहा है. यूपी में पहली बार “प्रदेश सरकार द्वारा नागर विमानन प्रोत्साहन नीति-2017” लागू की गयी है. इस नीति में राजधानी लखनऊ को अन्य राज्यों की राजधानियों से जोड़ने के साथ-साथ लखनऊ को उत्तर प्रदेश के मंडल मुख्यालयों से वायु सेवा के माध्यम से जोड़ने को प्राथमिकता दी गई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना की सफलता पूर्वक “लैंडिंग” की योजना तैयार की है. इसी का परिणाम है कि प्रदेश में 1 अप्रैल 2017 तक जहां 17 घरेलू व 8 विदेशी उड़ानें थी, वहीं 16 मार्च 2020 तक घरेलू उड़ानों की संख्या तीन गुनी हो गयी है. इस दौरान 51 घरेलू के साथ 12 विदेशी उड़ानें भी प्रदेश से प्रारंभ हुई. इसके फलस्वरूप राज्य के कुल हवाई यात्रियों की संख्या में 9.58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. गोरखपुर, प्रयागराज व कानुपर में हवाई यात्रियों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि देखने को मिली. गोरखपुर से 158.9 प्रतिशत, प्रयागराज से 136.9 प्रतिशत तथा कानुपर से 57.8 प्रतिशत हवाई यात्रियों की संख्या में विस्तार हुआ. यात्रियों की इस बढ़ी संख्या ने भी एयरपोर्ट के विस्तार की राह खोली है.
यूपी की शान बनेगा जेवर एयरपोर्ट
पश्चिमी यूपी में बनने वाले जेवर इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को दुनिया के 100 रणनीतिक ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है. जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में 1,334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इसे दुनिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट के रूप में पहचान मिल रही है. पहले चरण में 30 हजार करोड़ रुपए से बनने वाले इस एयरपोर्ट से एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. इस एयरपोर्ट से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और यमुना एक्सप्रेसवे के करीब नए उद्योग स्थापित होने से एक लाख करोड़ रुपए का निवेश भी आएगा. अलीगढ़ के एक बिजनेसमैन अतुल गुप्ता बताते हैं, “जेवर एयरपोर्ट के बनने का असर अलीगढ़ में डिफेंस कोरिडोर के प्रति निवेशकों की रुचि के रूप में दिखाई पड़ रहा है. जेवर एयरपोर्ट के नजदीक होने के कारण रक्षा कंपनियों ने अलीगढ़ को तवज्जो दी है.”
अयोध्या एयरपोर्ट से बढ़ेगा धार्मिक पर्यटन
अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम पर बनने वाला यह देश का पहला एयरपोर्ट होगा. इसे 601 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा. भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आकर्षण का मुख्य केंद्र बिन्दु होगा. इसके दृष्टिगत यहां अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है. प्रथम चरण में यहां ए-321 एयरपोर्ट का विकास होगा तथा द्वितीय चरण में बी-777-300 टाइप वायुयान के लिए तैयार किया जाएगा. अयोध्या में एयरपोर्ट निर्माण के लिए 525 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गयी है.
बौद्ध धर्मानुयायियों का केंद्र बनेगा कुशीनगर हवाई अड्डा
यूपी के सुदूर पूर्वांचल में कुशीनगर में 200 करोड़ की लागत से 589 एकड़ में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण किया जाएगा. कुशीनगर के टूरिस्ट गाइड हरिओम सिंह बताते हैं, “उत्तर प्रदेश बौद्ध सर्किट की दृष्टि से अत्यंत समृद्धशाली प्रदेश है. यहां के छह प्रमुख स्थान भगवान बुद्ध की स्मृतियों के साथ जुड़े हुए हैं, जिसमें से कुशीनगर उनकी महापरिनिर्वाण स्थली है. सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, कपिलवस्तु उनकी राजधानी थी. श्रावस्ती में सर्वाधिक चातुर्मास भगवान बुद्ध ने व्यतीत किए थे और इसके साथ ही कौशाम्बी और संकिसा भी महत्वपूर्ण स्थल हैं.” श्रीलंका, थाईलैंड, कंबोडिया, जापान, सिंगापुर आदि दुनिया के तमाम देश एयर कनेक्टिविटी के माध्यम से कुशीनगर के साथ जुड़ना चाहते थे, लेकिन व्यवस्थित सुविधा न हो पाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 6 सितंबर को कुशीनगर में केन्द्रीय नागरिक विमानन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी के साथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के सम्बन्ध में बैठक की थी. कुशीनगर एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के मानक के अनुरूप ही विकसित किया जा रहा है. काफी काम हो चुका है. सरकार की मंशा है कि यहां से जल्दी से जल्दी उड़ान शुरू कराई जाए. इसके लिए भी तैयारी की जा रही है. इसके बाद दुनिया भर के पर्यटक सीधे बौद्ध सर्किट की सैर कर सकेंगे.
एयरपोर्ट के साथ क्षेत्रीय विकास
वाराणसी और लखनऊ में एयरपोर्ट के विस्तार की योजना है. वाराणसी में अतिरिक्त 350 एकड़ भूमि एयरपोर्ट के विस्तार के लिए क्रय की जा रही है. इसी प्रकार से लखनऊ एयरपोर्ट के विस्तार के लिए प्रदेश सरकार ने 76 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं. एयरपोर्ट के साथ ही क्षेत्रीय विकास पर भी जोर दिया जा रहा है. एयरपोर्ट तक फोरलेन सड़कों का निर्माण करवाया जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से एयरपोर्ट की बाउंड्रीवॉल की मरम्मत के साथ-साथ उन पर कंटीले तार भी लगाए जा रहे हैं.
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