दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने ऑर्गन की डिमांड और सप्लाई के बीच बढ़ते अंतर को दूर करने के लिए दिल्ली राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) के गठन का औपचारिक प्रस्ताव रखा है.
यह प्रस्ताव 3 अगस्त को राष्ट्रीय अंगदान दिवस से पहले आया है. सिंह ने कहा है कि यह अवसर परिवारों के लिए अंगदान को आसान बनाने वाली मज़बूत प्रणालियां बनाने की तात्कालिकता को दिखाता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखे एक पत्र में, सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दिल्ली – जहां प्रमुख विशेषज्ञ अस्पताल हैं और जो उत्तरी क्षेत्र के लिए एक रेफरल केंद्र है – को SOTTO की तत्काल आवश्यकता है. फिलहाल शहर में एक राज्य-स्तरीय प्रत्यारोपण समन्वय निकाय का अभाव है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रभावी अंग पुनर्प्राप्ति और आवंटन में बाधा डालता है, खासकर मृत दाताओं से.
हालांकि 2023 में दिल्ली में 4,400 से अधिक प्रत्यारोपण हुए, लेकिन उनमें से केवल एक छोटा सा अंश ही मृत दाताओं से था. एक समर्पित SOTTO से अंग रजिस्ट्री अपडेट में सुधार, अस्पताल समन्वय को मज़बूत करने और प्राप्तकर्ताओं के साथ अंगों के तेज़ी से मिलान की सुविधा मिलने की उम्मीद है.
सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के साथ मिलकर बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती के लिए पहले ही सक्रिय कदम उठा लिए हैं. उन्होंने नड्डा को लिखा, "यह प्रस्ताव मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA) के अनुसार प्रस्तुत किया गया था और हम उपयुक्त स्थान पर SOTTO को क्रियान्वित करने के लिए तैयार हैं."
मंत्री के मुताबिक SOTTO के माध्यम से प्रत्यारोपण को सुव्यवस्थित करने से देरी के कारण होने वाली रोकी जा सकने वाली मौतों में कमी आएगी.
पत्र में आगे कहा गया है कि यह पहल दिल्ली में अंगदान आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी और नैतिक, पारदर्शी प्रत्यारोपण सेवाओं में जनता और हितधारकों का विश्वास पैदा करेगी.
THOTA प्रकोष्ठ के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सत्यजीत कुमार ने कहा कि प्राथमिकता मृतक अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा, "एक मृतक दाता आठ लोगों को बचा सकता है. जीवित दान सीमित हैं, इसलिए हमें ब्रेन डेड की पहचान को मज़बूत करना होगा, अस्पताल कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना होगा, कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाना होगा और दाता परिवारों का सम्मान करना होगा. जन जागरूकता अभियान और बेहतर अस्पताल प्रणालियां, मृतक दान को एक स्थायी, जीवन रक्षक समाधान बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं."
भारत में अंगदान की दर अभी भी प्रति दस लाख जनसंख्या पर एक से भी कम है. इसका खुलासा 2 अगस्त को सरकारी आंकड़ों से हुआ. हालांकि भारत में प्रत्यारोपणों की संख्या 2013 में 4990 से बढ़कर 2023 में 18378 हो गई है और जनवरी से दिसंबर 2024 तक NOTTO को 18911 प्रत्यारोपणों की सूचना दी गई है, इसके बाद भी अंगदान की दर प्रति दस लाख जनसंख्या पर 1 से भी कम है. विश्व में सबसे अधिक स्पेन में प्रति दस लाख जनसंख्या पर लगभग 48 के लोग अंगदान करते हैं.