देश में गरमी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है. 10 जून को दिल्ली में स्काईमेट ने पारा 48 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया और इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है. मुंबई में मॉनसून अपनी तयशुदा तारीख पर नहीं पहुंच पाया. अब तक, मुंबई में बारिश हुई है पर मॉनसून पूर्व बारिश इतनी नहीं हुई है कि उससे राहत मिल सके. शहर के कुछ इलाको में छिटफुट बरसात जरूर हुई है.
मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी स्काइमेट के मुताबिक, यह बरसात अरब सागर में मजबूत चक्रवात की वजह से हुई है. यह चक्रवात मुंबई तट से महज 300 किमी दूर है और उत्तर और पश्चिमोत्तर दिशा में पाकिस्तान की तरफ बढ़ रहा है. आगे बढ़ने पर यह चक्रवात मुंबई तट से 400 किमी तक दूर हो जाएगा.
स्काइमेट के मुताबिक, मॉनसून अभी पैटर्न पर तो है पर उतना मजबूत और असरदार नहीं है. मॉनसून तटरेखा के पास तो है पर वह अंदरूनी इलाकों तक नहीं पहुंच पाया है और अंदरूनी इलाकों तक पहुंचे बिना मॉनसून की बारिश मुमकिन नहीं है. अमूमन, 10 जून तक महाराष्ट्र में बारिश की वजह से तापमान अब तक काफी गिर जाता है पर मौजूदा स्थिति यह है कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है.
पर मॉनसून के आने से पहले प्री-मॉनसून गतिविधियां होती है. जिसकी अवधि करीबन दो दिन की होती है. उन दौरान तापमान गिरना चाहिए और बादल छाए रहने चाहिए पर अभी यह स्थिति तटीय इलाकों में तो दिख रही है पर अंदरूनी इलाकों में बादलों का नामोनिशान नहीं है.
मॉनसून का आगमन सिर्फ एक बिंदु पर नहीं होता न ही इसे तटीय इलाकों में भी सीमित करके नहीं देखा जा सकता है, पर अंदरूनी इलाकों में भी मॉनसून का पहुंचना उतना ही जरूरी है.
फिलहाल, मॉनसून रुका हुआ है और धीमी रफ्तार पर है.
अगले 24 घंटों में स्काइमेट का पूर्वानुमान है कि केरल, तटीय कर्नाटक, कोंकण और गोवा, अंडमान और निकोबार, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड में हल्की और मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है.
इसी तरह उत्तरी बंगाल के हिमालयी इलाके, दक्षिण कर्नाटक, पूर्वी बिहार, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में भी बरसात का पूर्वानुमान एजेंसी ने लगाया है.
दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ इलाकों में धूल भरी आंधी और गरज के साथ बौछारें पड़ सकती है.
चक्रवात वायु के असर में दक्षिणी तटीय गुजरात में बारिश होगी.
उधर, देश के 91 जलाशयों में मई महीने की आखिरी तारीख तक महज 20 फीसदी पानी ही बचा है. यह पिछले एक दशक में सबसे कम स्तर है. गौरतलब है कि जल संसाधन मंत्रालय ने इस बाबत आखिरी जानकारी 31 मई को दी है और हर हफ्ते दी जाने वाली यह जानकारी जून में अपडेट नहीं की गई है.
देश के पूर्वी इलाकों यानी झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में पानी की यह मात्रा 21 फीसदी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 24 फीसदी थी. देश के पश्चिमी इलाकों में कुळ क्षमता का महज 11 फीसदी और दक्षिणी हिस्से में भी 11 फीसदी ही बची है.
मॉनसून की देरी से महाराष्ट्र में स्थिति बदतर होती जा रही है.