लीक तोड़कर पहचान बनाने वाले युवा | पढ़ें: युवा सर्वेक्षण

फ्रीडा पिंटो, 26 वर्ष, अभिनेत्री
हॉलीवुड में देसी हसीना
फिल्म तृष्णा में एक अमीर होटल मालिक के बहकावे में आने वाली एक राजस्थानी कृषक बाला की भूमिका में फ्रीडा पिंटो अपनी सजीव कामुकता से भारतीय दर्शकों को करारा झ्टका दे सकती हैं, लेकिन माइकल विंटरबॉटम की फिल्म में उनका अभिनय अभी तक का बेहद जोरदार है.

कृष्णा पाटील, 21 वर्ष, पर्वतारोही
चोटी पर जांबाजी
वे अभी महज 21 साल की हैं और पहले ही कई बेजोड़ उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं. 19 साल की उम्र में कृष्णा पाटील माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाली महाराष्ट्र की पहली पर्वतारोही बनीं और इसके बाद अगले दो सालों में दुनिया की छह सबसे ऊं ची चोटियों पर कदम रख चुकी हैं, हर महाद्वीप में एक चोटी पर. वे अंटाकर्टिका में माउंट विंसन पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं.

सचिन बंसल, 29 वर्ष, और
बिन्नी बंसल, 28 वर्ष, फ्लिपकार्ट के संस्थापक
दुनिया किताबों की
किताबों के वे शौकीन जो बुक स्टोर में जाकर किताब खरीदने की जहमत उठाने के बजाए इंटरनेट पर किताब खरीदना पसंद करते हैं, उनके लिए सचिन और बिन्नी बंसल (भार्ई नहीं हैं) ने flipkart.com बनाई है जो भारत का सबसे बड़ा ऑनलाइन बुकस्टोर है.

संदीप माहेश्वरी, 30 वर्ष, इमेजेस बाजार के संस्थापक
छवियों का रचयिता
2000 में जब उन्होंने अपना पहला कैमरा खरीदा था तो रिश्तेदारों ने यह कहकर उनका मजाक बनाया था कि वे ''शादी के फोटो खिंचने वाला या पासपोर्ट फोटो लेने वाला'' फोटोग्राफर बनाना चाहते हैं. आज एक दशक बाद, संदीप माहेश्वरी भारत की छवियों के सबसे बड़ा संग्रहकर्ता इमेजेस बाजार के सीईओ हैं.

वरुण तुली, 29 वर्ष, रेस्तरां मालिक
पूरब का स्वाद
अनलिमिटेड सुशी सिर्फ 400 रुपए से थोड़े ज्यादा में? आप या तो मजाक कर रहे होंगे या फिर दिल्ली के यम यम ट्री रेस्तरां के भीतर होंगे. वरुण तुली जिनके रेस्तरां का कारोबार 8.5 करोड़ रु. है, कहते हैं, ''लोग मुझे पागल और सनकी कहते हैं और कहते हैं कि हम जो दाम लेते हैं, उसमें मुनाफा नहीं हो सकता.

नाइस मेरुनो, 30 वर्ष, शास्त्रीय पियानोवादक
जनता के लिए प्रदर्शन
छह वर्ष की उम्र में नाइस मेरुनो ने पियानो को संभाल लिया था और एक धुन भी निकाल ली. शास्त्रीय संगीत तो उनके खून में समाया हैः उनकी परदादी को पियानो बजाना नगालैंड में अमेरिकी मिशनरियों ने सिखाया था, उनकी दादी आज भी कला प्रदर्शन करती हैं और उनके पिता शास्त्रीय गिटारवादक हैं.

अंकित फाडिया, 26 वर्ष, हैकर
उसूलों वाला हैकर
दसियों लाख प्रतियों की बिक्री और 11 भाषाओं में अनुवाद वाली बेस्टसेलर ऐसी उपलब्धि है, जो लंबे कॅरिअर के बाद हासिल होती है. लेकिन 14 वर्ष की उम्र में, जब उन्होंने हाथोहाथ बिक जाने वाली अपनी पुस्तक द अनऑफीशियल गाइड टू इथिकल हैकिंग प्रकाशित की, तो अंकित फाडिया रिटायर होने के लिए कतई राजी नहीं थे. वे कहते हैं, ''मैं 14 किताबें लिख चुका हूं, 25 देशों में 1,000 से ज्यादा बार भाषण दे चुका हूं, 45 पुरस्कार प्राप्त कर चुका हूं, भारत और चीन में 20,000 से ज्यादा लोगों को प्रशिाक्षित कर चुका हूं और मुंबई में मेरी अपनी सिक्यूरिटी कंसल्टिंग कंपनी है.''

सुचेता कडेथनकर, 33 वर्ष, ट्रैकर
पैरों में बसती है जान
सुचेता कडेथनकर 2011 में गोबी मरुस्थल पैदल पार करने वाली पहली भारतीय नागरिक थीं. पुरातत्व विज्ञान में अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लेने के बाद और ट्रैकिंग अभियानों के प्रति अपने जुनून का पता चलने के पहले वे एक मराठी समाचार पत्र में बतौर पत्रकार काम कर चुकी हैं. अपने कौशल को परखने के लिए उन्होंने अपने मित्रों के साथ सह्याद्रि और हिमालय की पहाड़ियों में ट्रैकिंग की.

आरुषि मुद्गल, 25 वर्ष,
ओडिसी नृत्यांगना
छुटपन से अदाकारा
ओडिसी नृत्यांगना आरुषि मुज्ल को 22 साल की उम्र में उनकी समकालीन नृत्यांगना पिना बॉश ने जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय टैंच फेस्टिवल में अपनी प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया. कठोर और अनुशासित प्रशिक्षण ने उन्हें एक खास लय दी है, जिस पर उनका नियंत्रण भी कमाल का है.

अमिताभ भट्टाचार्य, 35 वर्ष, गीतकार
सफलता के गीत
वे लखनऊ से मुंबई पार्श्व गायक बनने के लिए आए थे. लेकिन बन गए गीतकार. अमिताभ भट्टाचार्य ने बॉलीवुड के हाल ही में हिट हुए बेहद लोकप्रिय गीत लिखे हैं, जो नए युग के मिजाज के मुताबिक हैं.

व्योमेश शुक्ल, 31 वर्ष, कवि
बेहतरी के लिए कविता
वे अपने आप को ''कठिनाइयों का कवि'' कहते हैं. व्योमेश की कविताओं में क्रांतिकारी-सा जोश होता है जो उनके जुनून-सांप्रदायिक हिंसा और अपने गृह नगर वाराणसी में सांस्कृतिक पतन से लड़ाई, से समझा जा सकता है. वे 2007-08 मे तब परिदृश्य में आए जब उनकी कविताएं पहल और तद्भव जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं में छपी.

पुष्कर लेले, 32 वर्ष, शास्त्रीय गायक
स्वरलहरियों पर सवार
''मैं अपनी योग्यता के बल पर आगे बढ़ा हूं, मेरे पीछे कोई गॉड फादर या कोई संस्था नहीं थी,'' यह कहना है भारतीय शास्त्रीय गायक पुष्कर लेले का. संगीतकारों के वंशजों से भरी इस दुनिया में लेले एक खुशनुमा बदलाव की तरह हैं. महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग कर चुके लेले संगीत कार्यक्रमों में गायक, संगीतकार सहित क्युरेटर की भूमिका में होते हैं.

प्रिजा श्रीधरन, 29 वर्ष, एथलीट
पैरों में पंख
केरल के पहाड़ी जिले इडुक्की की कीचड़ भरी गलियों को पीछे छोड़ वे उन लंबी दूरियों को तय करने निकल पड़ीं जिनकी कल्पना तक उनके छोटे-से गांव ने नहीं की होगी. उस समय जब भारतीय एथलीट 400-600 मीटर दूरी की दौड़ों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे तब प्रिजा ने 5,000 और 10,000 मीटर की दौड़ों के लिए तैयारी की. अपने कोच पी.आर.राणेंद्रन और तंकचन मैथ्यू की मदद से वे जल्द ही भारत की लंबी दूरी की धाविकाओं में पहले पायदान पर आ गईं.

गगन नारंग, 28 वर्ष, निशानेबाज
निशाने के पक्के
गगन नारंग क्रिकेट के दीवाने इस देश में सुपर हीरो बनना चाहते हैं. वैसे उनकी यह महत्वाकांक्षा आधारहीन नहीं है खासतौर से यह देखते हुए कि नई दिल्ली में आयोजित हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की झेली उन्होंने चार स्वर्ण पदकों से भर दी थी. 2012 लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाइ करने वाले वे पहले भारतीय भी हैं और अबकी बार उनका लक्ष्य कहीं ज्यादा ऊंचा है.

जयेश सचदेव, 31 वर्ष,
और रिक्सी भाटिया, 30 वर्ष, उद्यमी
रंगों की बहार
सन् 2008 में जब दिल्ली में जयेश सचदेव और रिक्सी भाटिया की मुलाकात हुई, तब वे नहीं जानते थे कि उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी. उन्होंने मिलकर क्विर्क बॉक्स की शुरुआत की. एक स्टोर, जहां रंग-बिरंगी और तड़क-भडक़ वाली घरेलू इस्तेमाल की चीजें मिलती हैं.

जयंत तालुकदार, 25 वर्ष, तीरंदाज
लंदन का लक्ष्य
गुवाहाटी में जन्मे जयंत तालुकदार ने 2006 में क्रोएशिया के पोरेक में एफआइटीए मेटेकसन तीरंदाजी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. ऐसा कारनामा करने वाले वे पहले भारतीय बन गए थे. इस समय विश्व में आठवां स्थान रखने वाले जयंत भारत के अकेले पुरुष तीरंदाज हैं जिन्होंने लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ किया है.

द्रोणावल्ली हरिका, 20 वर्ष, शतरंज चैंपियन
रानी की चाल
वे कोनेरु हंपी के बाद जुलाई 2011 में ग्रांडमास्टर बनने वाली दूसरी भारतीय महिला और इस खिताब को हासिल करने वाली दुनिया की 25 महिलाओं में शुमार हैं. द्रोणावल्ली हरिका बचपन से ही प्रतिभाशाली हैं. वे 2003 में महिलाओं का इंटरनेशनल मास्टर खिताब जीतने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं.

मनीष शर्मा, 31 वर्ष, फिल्म निर्देशक
सूझबूझ की सफलता
बैंड बाजा बारात 2010 में बॉलीवुड की 'ताजातरीन' कहानियों में से एक थी. दिल्ली के मनीष शर्मा अपनी पहली ही फिल्म से हिट हो गए. सात साल तक रंगमंच के लिए काम करने के बाद शर्मा ने फिल्मों की ओर कदम रखने से पहले कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ द आर्ट्स से फाइन आर्ट्स में तीन साल का मास्टर प्रोग्राम किया.

रघु खन्ना 26 वर्ष, उद्यमी
चलता-फिरता इश्तहार
एक जाम में फंसे दिल्ली के रघु खन्ना को एहसास हुआ कि उनके इर्द-गिर्द एक-दूसरे से सटी गाड़ियां नहीं बल्कि मीलों तक विज्ञापन की जगह है. आइआइटी-गुवाहाटी के इस पूर्व छात्र ने 2008 में भारत की पहली ऑन व्हील विज्ञापन कंपनी कैशरड्राइव बनाई. इस कंपनी के पास अब 3,000 से ज्यादा पंजीकृत निजी वाहन हैं, जिनके मालिकों को विज्ञापन लगाने के एवज में पेट्रो कार्ड मिलता है.

माणिक थापर, 29 वर्ष, संस्थापक, इको वाइज
कचरे से कमाई
कई लोग कहेंगे कि माणिक थापर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं. उन्हें कचरे में काफी संभावना नजर आती है. कचरा प्रबंधन कंपनी इको वाइ.ज के संस्थापक थापर को एहसास हुआ कि हर भारतीय को अपने देश की दो चीजें कतई पसंद नहीं हैं-नौकरशाही और गंदगी.

फिरोज अहमद, 35 वर्ष, अभिजीत दास, 25 वर्ष,
वन्यजीव जीववैज्ञानिक
जंगल के जुझारू
एक स्वयंसेवी संगठन अरण्यक से जुड़े ये दोनों व्यक्ति पूर्वोत्तर में वन्यजीवों का डाटाबेस तैयार करने में जुटे हैं. फिरोज अहमद ने उस इलाके में न केवल बाघों की प्रजातियों को रिकॉर्ड किया है बल्कि तीन राष्ट्रीय अभयारण्यों-काजीरंगा, ओरांग और मानस-के सभी 130 बाघों की तस्वीर खींची है.

कौसर ठाकुर पद्मसी, 33 वर्ष, रंगमंच की शख्सियत
खुला मंच
क्यूटीपी, यानी कौसर थिएटर प्रोडक्शंस, ने अपने वार्षिक युवा रंगमंच उत्सव, थेस्पो के जरिए एक दशक के दौरान भारत में हजारों युवकों को रंगमंच पर उतारा है. कौसर पद्मसी और उनके दोस्तों ने 1999 में क्यूटीपी का गठन किया था. इसने अभिनेताओं, निर्देशकों, निर्माताओं, पटकथा लेखकों, डिजाइनरों और टेक्निकल विशेषज्ञों की एक पूरी नई पीढ़ी तैयार कर दी है.

सुनील राव, 30 वर्ष, अनुराग केडियां, 34 वर्ष,
सौरभ गर्ग 31 वर्ष,
संस्थापक, द फोर फाउंटेंस स्पा
खिदमत की ख्वाहिश
सुनील राव, अनुराग केडिया और सौरभ गर्ग का उद्देश्य द फोर फाउंटेन्स स्पा के जरिए वाजिब कीमत में स्तरीय स्पा अनुभव दिलाना है. एक ओर जहां केडिया और गर्ग आइआइटी-बॉम्बे और आइआइएम-अहमदाबाद के एक ही मंच से थे, वहीं गर्ग और राव हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड में एक साथ थे. तीनों ने अपनी नौकरी छोड़ी और 2007 में द फोर फाउंटेंस स्पा शुरू करने के लिए एकजुट हो गए.

जयंत चौधरी, 32 वर्ष, राजनीतिक
लीक से हटकर
पहली बार सांसद बने जयंत चौधरी ने संसद में अक्सर बहुमत से अलग राय रखी है. लोकपाल विधेयक पर खींचतान के बारे में वे कहते हैं, ''सांसदों का यह कहना गलत है कि वे कानून बनाते वक्त सिविल सोसाइटी की नहीं सुनेंगे.'' लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रशिक्षित इस निवेश बैंकर ने मथुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर परिवार का अभिशाप खत्म किया, जहां उनकी दादी गायत्री देवी 1984 में और चाची ज्ञानवती सिंह 2004 में हारीं.

आतिश तासीर, 31 वर्ष, लेखक
खुद की पहचान
चार साल में चार किताबों के लिए काबिलियत की दरकार होती है. उन्हें विभिन्न शैलियों में तैयार करने के लिए समर्पण की जरूरत होती है. आतिश तासीर ने एक जोरदार लेकिन निजी नॉन-फिक्शन उपन्यास; सआदत हसन मंटो की कहानियों का अनुवाद जिसे खूब सराहा गया; अपनी पहली फिक्शन द टेंपल गोअर्स लिखी जिसे 2010 कोस्टा फर्स्ट नॉवल अवॉर्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया.

इशिता खन्ना, 34 वर्ष, संस्थापक, इकोस्फीयर
पहाड़ों की संगी
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से सोशल वर्क में मास्टर्स डिग्री हासिल कर चुकीं इशिता खन्ना अपनी शिक्षा का व्यावहारिक इस्तेमाल कर रही हैं. देहरादून में पली-बढ़ीं खन्ना का मानना है कि पहाड़ों से उनका खास रिश्ता है.

गौतम गंभीर, 29 वर्ष, क्रिकेटर
गंभीरता के गुण
वे बड़े मैच के खिलाड़ी हैं और उससे भी बड़ी बात यह है कि उनमें रन बनाने की ललक है. सन् 2007 में जोहानिसबर्ग में पहले ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में मैच जिताने वाले 75 रन बटोरना और मुंबई में 2011 आइसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल में 112 गेंदों पर 97 रन ठोकना उनके गंभीर खेल की पुष्टि करते हैं.

उमेश कुलकर्णी, 34 वर्ष, फिल्मकार
तकदीर ने बदली राह
मशहूर फिल्मकार बनने से पहले वे लगभग चार्टर्ड एकाउंटेंट बन गए थे. उमेश ने पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में पढ़ाई के दौरान ही 2005 में अपनी पहली डाक्युमेंटरी फिल्म गिरणी बनाई थी. इस फिल्म को चेक गणतंत्र में होने वाले यूरोप के प्रतिष्ठित कार्लोवी वैरी फिल्मोत्सव में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार मिला.

फणिंद्र सामा, 31 वर्ष, सीईओ, रेडबस
सबको जोड़ा
बस ऑपरेटरों और ट्रैवल एजेंटों ने फणिंद्र सामा को ऊंची सड़क पकड़ने के लिए मजबूर कर दिया. दरअसल ऐसा ही हुआ. उन्होंने 2007 में केंद्रीकृत डाटाबेस वाली एक बस टिकटिंग कंपनी रेडबस.इन शुरू की, जो ऑनलाइन बुकिंग और ऑफलाइन डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क की पेशकश करती है.

राहुल कंवल, 30 वर्ष, पत्रकार
कच्ची उम्र, पक्की समझ
मात्र 27 साल की उम्र में हेडलाइंस टुडे के एक्जीक्यूटिव एडीटर पद पर आसीन राहुल कंवल को भारत में किसी समाचार चैनल के सबसे कमउम्र प्रमुख होने का गौरव हासिल है. सैनिक परिवार में पैदा हुए कंवल का बचपन लगातार बदलाव से लबरेज रहा, जिसने उन्हें, बकौल उनके, ''समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ मेलजोल बनाने की काबिलियत दी और इस खूबी ने एक पत्रकार के तौर पर मुझे बेहतर स्थिति में रखा.''

पल्लवी फोले, 33 वर्ष, आभूषण डिजाइनर
डिजाइनों की कहानी
धागे में कु छ भी पिरो देने पर वह माला बन जाती है. लेकिन पल्लवी फोले ने माला को नए तरह से डिजाइन करते हुए इसे त्रिकोणीय आकार दिया है. उनके '3 स्पेस' कलेक्शन को 2010 में लास वेगास में सौल बेल डिजाइन पुरस्कार प्रतियोगिता में दूसरा स्थान मिला था.

नील चौधरी, 30 वर्ष, नाटककार और निर्देशक
नाटक ही ओढ़ना-बिछौना
सत्यजीत रे की लघु कथा पोटोल बाबू फिल्मस्टार पर आधारित उनके सबसे चर्चित नाटक तारामंडल से लेकर इच बिन फासबाइंडर तक नील चौधरी के नाटक अधूरे सपनों, अतृप्त इच्छाओं और आम आदमी पर आधारित कहानियों के बारे में होते हैं.

रंजनी शेट्टर, 34 वर्ष, विजुअल आर्टिस्ट
बेमिसाल आकार
रंजनी शेट्टर की अत्यंत गूढ़ शिल्पकारी कला की प्रदर्शनियां विश्व भर में ज्यादा से ज्यादा देखी जा रही हैं. 2009 में सैन फ्रांसिस्को म्युजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में प्रदर्शित उनकी नई कृतियों को कला वेब पोर्टल आर्टनेट डॉट कॉम ने अमेरिका में लगाई गई 20 सर्वश्रेष्ठ कला प्रदर्शनियों की सूची में रखा है.

वीर सरन दास, 32 वर्ष, स्टैंड-अप हास्य अभिनेता
हंसी का वायरल बुखार
उन्होंने भारत में कॉमेडी को संतृप्त कर दिया, न सिर्फ देश में स्टैंड-अप अभिनयों का स्तर उठाकर बल्कि कॉमेडियनों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करके भी. उन्होंने अपने नाम के द्विअर्थी शब्द निकालने की भी आदत डाल ली है, भले ही वह हर बार मजेदार न हो. आमिर खान की फिल्म डेल्ही बेली के साथ बड़े पैमाने पर कामयाब होने के पहले तक वीर दास लाफ्टर क्लब के पसंदीदा पोस्टर ब्वॉय थे.

मौसम नूर, 32 वर्ष, राजनीतिक
पूरब की बेटी
मार्च 2011 में पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हुई कांटे की टक्कर में अरिंदम भट्टाचार्य को हराकर दिवंगत कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री ए.बी.ए. गनी खां चौधरी की भतीजी मौसम बेनजीर नूर अपने पूरे शबाब में आ गई हैं.