आखिर क्यों आई मुंबई में इतनी भयानक धूल भरी आंधी, जिसमें गई 14 लोगों की जान

मुंबई में 13 मई को अचानक से आए तेज आंधी-तूफान की वजह से देश की 'आर्थिक राजधानी' में अफरातफरी जैसा माहौल हो गया है. इस तेज आंधी में अभी तक 14 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी वहीं 74 से भी ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. यह भयानक हादसा शहर के घाटकोपर इलाके में एक बड़ी सी होर्डिंग के गिरने की वजह से हुआ.

मौसम विभाग के मुताबिक तूफान के दौरान हवा की गति लगभग 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक थी. हालांकि मौसम विभाग ने इस तेज आंधी से पहले गरज और बिजली के साथ तूफान का अलर्ट जारी किया था. वहीं आंधी की वजह से मुंबई एयरपोर्ट से कई सारी उड़ानों को डायवर्ट और कैंसल करना पड़ा. शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली मुंबई लोकल की सेवाएं बाधित होने से स्टेशनों पर भी अफरातफरी का माहौल देखने को मिला.

साईजिंक डॉट कॉम वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक इस तरह की आंधियों में तेज हवाओं के साथ धूल के कण और मलबे भारी मात्रा में शामिल होते हैं. अक्सर ये अचानक ही शुरू होती हैं. इस तरह की आंधियों के कारण विजिबिलिटी भी काफी कम हो जाती है. इस तरह की घटनाएं ज्यादातर पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं.

मुंबई में धूल भरी आंधी के दौरान दोपहर 3 बजे करीब ऐसा नजारा हो गया था जैसे रात हो गई हो. यहां तक कि जो तस्वीरें सामने आईं उनमें भी आस-पास के इलाकों और यहां तक कि आसमान में धूल की एक मोटी परत देखने को मिली. नेशनल ज्यॉग्राफिक से मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका में इस तरह की आंधियों के चलते पिछले 10 साल में सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं.

'द वीक' के मुताबिक जलवायु परिवर्तन, भूमि कटाव और कम बारिश की वजह से धूल भरी आंधियों का आना काफी तेजी से बढ़ा है. इस तरह की आंधियों की वजह से फसलों और पशुओं को भी काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. इन आंधियों की वजह से वातावरण का तापमान काफी बढ़ जाता है और उस वजह से जलवायु पर भी काफी नकारात्मक असर पड़ता है. द वीक के मुताबिक वातावरण में जितनी ज्यादा गर्मी बढ़ेगी उतनी ही इस तरह की घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक फिलहाल मुंबई में एक से दो दिनों तक ऐसी स्थिति देखने को मिलेगी. उसके बाद मौसम के हालात सामान्य होने के आसार हैं.