कैसे गिरफ्तार हुआ था सद्दाम हुसैन जिसकी फांसी के बाद अमेरिकी सैनिक भी रोए थे?

जिसके नाम का मतलब ही - कभी पीठ ना दिखाने वाला योद्धा - हो, उस सद्दाम हुसैन को 13 दिसंबर, 2003 को अमेरिकी सैनिकों ने इराक के टिकरित के नजदीक अदटॉर से कस्बे से गिरफ्तार कर लिया था. उनकी तलाश करीब 8 महीने से अमेरिकी सरकार कर रही थी. सद्दाम हुसैन पर 'क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी' यानी मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगे थे. वो व्यक्ति जिसने दो दशक तक इराक की सत्ता पर राज किया, सैकड़ों हत्याएं करवाईं, जिसने अपने जिस्म से 27 लीटर खून निकलवाकर कुरान लिखवाई, उस सद्दाम हुसैन को कैप्चर करने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

8 महीने से तलाश में जुटी अमेरिकी सेना को जब सद्दाम के टिकरित में होने की खबर मिली तब कुछ ही समय में 600 सैनिकों ने टिगरिस नदी किनारे स्थित दो फार्महाउस को घेर लिया. जब वहां कुछ नहीं मिला तो सैनिक पास में ही एक झोपड़ी में घुसे जिसके आंगन में जूठे बर्तन पड़े थे. जब सैनिकों ने वहां आसपास की मिट्टी को बुहारना शुरू किया तब उन्हें एक ढक्कन दिखा जिसे हटाने पर एक गहरा गड्ढा दिखा. इससे पहले कि सैनिक कुछ करते, उस गड्ढे से दो हाथ ऊपर उठे और एक बूढ़े आदमी की आवाज आई,
"मैं सद्दाम हुसैन हूं, इराक का राष्ट्रपति. मैं वार्ता के लिए तैयार हूं."
इस पर एक अमेरिकी सैनिक मुस्कुराया और उसने सद्दाम से कहा,
"प्रेसिडेंट बुश ने आपको अभिवादन भेजा है."

इस गिरफ्तारी के बाद उधर वाइट हाउस में जश्न की तैयारियां शुरू हो गई थीं. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश अब अपने अगले टर्म को लेकर थोड़ा आश्वस्त हो सकते थे. इससे पहले वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुए 9/11 अटैक्स से उनका नाम काफी खराब हुआ था. अब सद्दाम हुसैन के पकड़े जाने के बाद उन्हें थोड़ी राहत की सांस मिली. एक तरह से उनकी डूबती हुई सत्ता को तिनके का सहारा मिल गया था. वैसे इस खबर की अंतिम पुष्टि तब हुई जब अगली सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बुश को खुशनुमा खबर के साथ नींद से जगाया था.

सद्दाम हुसैन की गिरफ्तारी का बोलबाला ऐसा था कि अर्थव्यवस्था में भयंकर उछाल आया, और स्टॉक मार्केट रॉकेट की तरह ऊपर जाने लगा. इधर भारत सरकार ने इस मामले में बीच का रास्ता अपनाया था. तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने सिर्फ इतना कहा था कि हमने सद्दाम की गिरफ्तारी पर गौर किया है. इसके बाद अमेरिका के तत्कालीन रक्षामंत्री कॉलिन पॉवेल ने भी यशवंत सिन्हा को फोन किया था जिसपर तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री ने उम्मीद जाहिर की थी कि इससे इराक में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. सद्दाम हुसैन की गिरफ्तारी पर भारत सरकार के ऐसे रवैए के पीछे वजह ये थी कि इराक के इस पूर्व तानाशाह के भारत के साथ अच्छे संबंध थे.

सद्दाम पर जब अमेरिका में अदालती कार्रवाई चलने लगी, तब के क्लिप्स आज भी काफी वायरल होते हैं कि कैसे बिना डरे सद्दाम हुसैन भरी अदालत अमेरिका के खिलाफ बोलता था. अदालत के बाहर सद्दाम की सुरक्षा में 12 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते थे जिन्हें 'सुपर ट्वेल्व' भी कहा जाता था. इनके बारे में लेखक विलियम बार्डेनवर्पर ने अपनी किताब 'द प्रिजनर इन हिज पैलेस' में लिखा कि जब सद्दाम को फांसी दी गई तो इन सैनिकों की आंखें नम हो गई थीं.