पावर लिस्ट 2014: राजनीति के दस रसूखदार

नरेंद्र मोदी, 64 वर्ष, प्रधानमंत्री
उन्होंने राजनैतिक पंडितों को गलत साबित करके देश के इतिहास में पहली बार बीजेपी को अप्रत्याशित जीत दिलाई और इस तरह देश के राजनैतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया.

अरुण जेटली, 61 वर्ष, वित्त एवं सूचना-प्रसारण मंत्री
वे दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी और विश्वसनीय सहयोगी हैं. मोदी जानते हैं कि वे दिल्ली में राजनैतिक, कूटनीतिक, कानूनी, व्यवसाय और मीडिया जगत की हर शख्सियत से वाकिफ हैं.

अमित शाह, 51 वर्ष, बीजेपी अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव में राजनैतिक चतुराई और संगठन कौशल का प्रदर्शन कर उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित जीत दिलवाई, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी उसे दोहराया. संघ परिवार में नरेंद्र मोदी जैसा राजनैतिक विजन और चतुराई रखने वाले वे इकलौते नेता हैं.

मोहन भागवत, 64 वर्ष, आरएसएस प्रमुख
वे सत्तारूढ़ बीजेपी के पितृ संगठन आरएसएस के मुखिया हैं, जिन्होंने काडरों को 2014 के चुनाव में यूपीए सरकार के खिलाफ जनमत जुटाने का आह्वान किया. सत्ता बिरादरी के बीच आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए दबाव डालने का नैतिक अधिकार उन्हें ही है.

राजनाथ सिंह, 63 वर्ष, गृह मंत्रालय
वे नरेंद्र मोदी सरकार में नंबर 2 हैं. और उनकी अनुपस्थिति में कैबिनेट बैठकों की अध्यक्षता करते हैं. वे आरएसएस के करीबी हैं और अपने राजनैतिक अनुभव के कारण नरेंद्र मोदी सरकार में अलग रुतबा रखते हैं.

मनोहर पर्रीकर, 59 वर्ष, रक्षा मंत्रालय
क्योंकि आइआइटी, बॉम्बे के इस ग्रेजुएट की प्रसिद्धि स्वच्छ राजनैतिक, कुशल प्रशासक और तुरंत फैसले लेने वाले नेता की है. रक्षा उत्पादन क्षेत्र में मोदी के ‘‘मेक इन इंडिया’’ विजन को लागू करने में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

सोनिया गांधी, 59 वर्ष, कांग्रेस अध्यक्ष
2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बावजूद वे कांग्रेस की सबसे स्वीकार्य और निर्विवाद नेता बनी हुई हैं. नौ राज्यों के मुख्यमंत्री अब भी सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करते हैं.

सुरेश प्रभु, 60 वर्ष, रेल मंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने को इतने आतुर थे कि मंत्रिमंडल विस्तार की सुबह ही उनसे शिवसेना छोड़ बीजेपी में शामिल होने का अनुरोध किया.

राम माधव, 49 वर्ष, बीजेपी महासचिव
आरएसएस ने 2014 में केंद्र सरकार के गठन के बाद बीजेपी का एजेंडा तैयार करने में मदद के लिए उन्हें भेजा. उन पर यह दायित्व है कि आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों का सरकार से अच्छा रिश्ता बना रहे और हर स्तर पर तालमेल बना रहे.

शरद पवार, 73 वर्ष, एनसीपी प्रमुख
वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों के फौरन बाद बीजेपी के बारे में अपनी सेकुलर आपत्तियों को दरकिनार कर उसे बिना शर्त समर्थन देने लगे. इससे एनसीपी की सियासी वनवास की आशंका टूटी और शिवसेना की मोलतोल की ताकत घट गई.