पावर लिस्ट 2014: सर्वाधिक प्रभावशाली 10 पदाधिकारी

एच.एल. दत्तू, 63 वर्ष, देश के मुख्य न्यायाधीश
इस साल सितंबर में उन्हें मुख्य न्यायाधीश की शपथ दिलाई गई थी. उनका कार्यकाल 14 महीने का है जो सामान्य से कहीं ज्यादा लंबा है. इसके चलते उनके पास मौका है कि वे अदालत में लंबित पड़े कई मुकदमों की दिशा तय कर सकेंगे.

रघुराम राजन, 51 वर्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर
कठोर मौद्रिक उपायों से उन्होंने मुद्रास्फीति पर लगाम कसी, जिसके चलते खुदरा मूल्य में महंगाई दर 6.46 फीसदी पर आ गई और थोक मूल्य सूचकांक पांच साल के न्यूनतम स्तर 2.38 फीसदी पर सितंबर 2014 में पहुंच गया.

अजित डोभाल, 69 वर्ष, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
नई सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर निर्विरोध चयन के बाद उन्होंने खुफिया ब्यूरो को पूरी तरह अपने हाथों में ले लिया है. पाकिस्तान के मामले में उनकी कठोर लाइन मोदी सरकार को पसंद आ रही है और इस पर अमल करने की उन्हें खुली छूट मिली हुई है.

पी.के. मिश्र, 65 वर्ष, अतिरिक्त प्रमुख सचिव
उन्हें मोदी का सबसे भरोसेमंद वरिष्ठ नौरकशाह माना जाता है और उनका काम सही काम के लिए सही आदमी चुनना है. वे कैबिनेट की नियुक्ति समिति के मामलों को निबटाते हैं.

अजित सेठ, 62 वर्ष, कैबिनेट सचिव
वे इकलौते वरिष्ठ नौकरशाह हैं जो बड़े आराम से यूपीए सरकार के जाने के बाद नई सरकार का हिस्सा बन चुके हैं. इसकी वजह एक तथ्य यह है कि वे उत्तर प्रदेश काडर से हैं, जिसका आइएएस बिरादरी में वर्चस्व है.

ए.के. शर्मा, 52 वर्ष, संयुक्त सचिव पीएमओ
पीएमओ में बैठकर वे सभी अहम आर्थिक मंत्रालयों का काम देखते हैं और साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और पर्यावरण के मामले भी देखते हैं.

मुकुल रोहतगी, 59 वर्ष, अटॉर्नी जनरल
उन्हें वित्त मंत्री अरुण जेटली का करीबी माना जाता है. जेटली के साथ सुबह टहलने वालों के समूह में वे शामिल हैं. गुजरात में 2002 के दंगों के बाद मुकदमों में उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार का पक्ष रखा था.

अमिताभ कांत, 58 वर्ष, डीआइपीपी सचिव
उन्होंने ही ‘‘मेक इन इंडिया’’ के विचार को असल आकार दिया और मोदी से उनका करीबी रिश्ता कायम हुआ. माना जाता है कि मोदी से उनके अच्छे रिश्ते हैं जिनके साथ वे मजबूत ब्रांड निर्माण की धारणा को साझा करते हैं.

अनिल स्वरूप, 56 वर्ष, कोयला सचिव
कैबिनेट सचिवालय में स्पेशल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ग्रुप (पीएमजी) के प्रमुख होने के नाते उन्होंने जून 2013 से अक्तूबर 2014 के बीच विभिन्न सरकारी और निजी परियोजनाओं को हरी झंडी दिलवाने का काम किया है.

आर.के. माथुर, 61 वर्ष, रक्षा सचिव
रक्षा मंत्रालय में अपने अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड की बदौलत उन्हें नई सरकार में खपने में कोई दिक्कत नहीं आई. उन्हें ए.के. एंटनी इस पद पर लेकर आए थे लेकिन आज वे नई सरकार के लिए इतने अहम बन चुके हैं कि पिछले पांच महीनों के दौरान जब जेटली नॉर्थ और साउथ ब्लाॅक के बीच तालमेल बिठाए हुए थे, अकेले उन्होंने ही रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला था.