माटी की पुकार सुनकर लौटे देशप्रेमी

प्रांजुल भंडारी, 30 वर्ष
अर्थशास्त्री, योजना आयोग, दिल्ली
कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट, हांगकांग में गोल्डमैन सैक्स में नौकरी कर रहा कोई इंसान छह अंकों का अपना वेतन छोड़कर उसकी आधी रकम में सरकारी नौकरी करने के लिए क्यों आएगा? प्रांजुल भंडारी भारत की विकास गाथा के साथ चलना और जीना चाहती हैं. अर्थशास्त्र और विकास के बीच की खाई को पाटने की उनकी इच्छा ने ही उन्हें योजना आयोग में एक भूमिका के लिए आवेदन करने को प्रेरित किया. उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया के स्पेशल असिस्टेंट की नौकरी मिली.

बालासाहेब दराडे, 28 वर्ष
जिला परिषद सदस्य, बुलढाणा, महाराष्ट्र
2005 में वे नासा के मार्स रोवर मिशन की डिजाइन टीम का हिस्सा थे. 2010 में उनकी आइटी कंपनी रिलेशंस ब्रिज इनोवेटर्स का पहले साल में ही कारोबार 25 करोड़ रु. रहा. आज बालासाहेब दराडे महाराष्ट्र के बुलढाणा की जिला परिषद के सदस्य हैं जो 22 गांवों का प्रतिनिधित्व करती है. वे कहते हैं, ''जब तक राजनीति में अच्छे लोग नहीं आएंगे, यह व्यवस्था नहीं बदल सकती.''

शंकर कृष्णन 44 वर्ष
दिव्या भल्ला 43 वर्ष, परामर्शदाता, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच ऐंड हियरिंग, तिरुअनंतपुरम
शंकर कृष्णन और दिव्या भल्ला की मुलाकात 1990 में आइआइएम-अहमदाबाद में हुई. शंकर तिरुअनंतपुरम से थे जबकि भल्ला पंजाबी थीं और कोलकाता में पली-बढ़ी थीं. 1992 में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने तुरंत शादी करने का फैसला किया. शंकर ने मैकिंजे जबकि भल्ला ने भारतीय स्टेट बैंक (मुंबई) में नौकरी कर ली. 2000 तक शंकर मैकिंजे इंडिया के पार्टनर और उसकी हेल्थकेअर इकाई के प्रमुख बन गए.

मनीष जैन, 42 वर्ष
उदयपुर के शिक्षांतर स्कूल के मालिक
उदयपुर के शिक्षांतर स्कूल में मनीष जैन बच्चों को 'व्यावहारिक शिक्षा' देने पर जोर देते हैं. इन्वेस्टमेंट बैंकर रह चुके जैन कहते हैं, ''मैं बच्चों में सामाजिक उद्यमिता विकसित कर रहा हूं.'' जैन इकोनॉमिक्स और इंटरनेशनल डेवलपमेंट में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन हार्वर्ड से किया है. भारत आने से पहले उन्होंने यूनेस्को और यूएसएड के साथ रूस और अफ्रीका में बतौर शिक्षाविद काम किया है.

अनीष ठक्कर 28 वर्ष
सीईओ, ग्रीनलाइट प्लेनेट इंक, मुंबई
एशिया और अफ्रीका के 22 देशों के 1.6 अरब लोगों के घरों तक सौर ऊर्जा से चलने वाली बिजली पहुंचाना चुनौतियों से भरा काम है. और इस काम को अंजाम देने वाली मुंबई की कंपनी ग्रीनलाइट प्लैनेट इंक के सीईओ अनीष ठक्कर कहते हैं, ''सौर ऊर्जा से चलने वाले लैंपों ने लोगों के जीवन को बेहतर बना दिया, इस तरह हमें शुरुआती संघर्ष का फल मिल गया.''

अश्मित कपूर 27 वर्ष
दिल्ली की ऑर्गेनिक फार्मिंग कंपनी आइ से ऑर्गेनिक के संस्थापक
कपूर ने कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया से 2008 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई है. इसके सालभर बाद उन्होंने अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी से उद्यमिता में मास्टर डिग्री ली. लेकिन 2010 में भारत लौट आए. फिर वे ग्रामीण इलाकों से जुड़े मुद्दों को करीब से देखने के लिए 18 दिन की रेल यात्रा पर निकल गए. कपूर ने कृषि और इससे संबंधित दीर्घकालिक विचारों पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि इससे भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों को फायदा होना था.

मधुरा जोशी, 26 वर्ष
रिसर्च एसोसिएट, द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, दिल्ली
लंदन स्कू ल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट लोगों में से 60 प्रतिशत से अधिक अपने ग्रेजुएशन के बाद के पहले साल में बैंकों, कंसल्टेंसी या निजी कंपनियों में काम करना पसंद करते हैं. लेकिन मधुरा जोशी ने पूरी तरह अलग मकसद से 2009 में अंतरराष्ट्रीय राजनैतिक अर्थव्यवस्था में एमएससी कोर्स में दाखिला लिया. वे कहती हैं, ''मैं राजनैतिक कंसल्टेंसी के पीछे नहीं भाग रही थी. इसकी बजाए, मेरी रुचि एनर्जी की राजनैतिक अर्थव्यवस्था में रिसर्च करने की थी. आज वास्तव में एनर्जी ही दुनिया को चलाती है और मैं इस चीज के बारे में अपनी समझ को बढ़ाना चाहती थी.''

मल्लिका आहलूवालिया, 29 वर्ष
सलाहकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, दिल्ली
मल्लिका आहलूवालिया कहती हैं, ''दिल्ली में पली-बढ़ी होने के नाते, मैंने अपने चारों ओर गरीबी देखी है. बचपन में भी मैं जिम्मेदार नागरिक होने की जरूरत महसूस करती थी.'' अपने दादा से प्रेरित और एक सामाजिक प्रभाव छोड़ने की इच्छा से निर्देशित अहलूवालिया फरवरी, 2012 में ग्रामीण विकास मंत्रालय में एक सलाहकार की हैसियत से शामिल हुईं. उनके दादा सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी हैं.

वैभव गुप्ता, 30 वर्ष
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट के ओएसडी, दिल्ली
सचिन पायलट के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) होने के नाते वैभव गुप्ता की बात भारत के सबसे युवा और ऊर्जावान मंत्री सुनते हैं. किसी सामान्य दिन वे मेमो लिखने; विभिन्न मुद्दों की जानकारी मंत्री को देने; बैठकों के लिए जानकारी जुटाने; तमाम संबंधित लोगों से मंत्री की ओर से बातचीत करने और उन्हें मीडिया और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के साथ बातचीत के लिए तैयार करने में व्यस्त रहते हैं.

महेश वी., 31 वर्ष
सीईओ, कृषि ग्राम विकास केंद्र, रांची
तीन साल पहले महेश वी. अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी से अक्षय ऊर्जा में मास्टर डिग्री लेकर और तीन साल के अनुभव के बाद भारत लौट आए. इसमें से कुछ समय उन्होंने अमेरिकी ऊर्जा विभाग में भी काम किया था. लेकिन अमेरिकी कंसल्टिंग फ र्म कॉर्पोरेट एक्जिक्यूटिव बोर्ड के गुड़गांव ऑफि स में दो साल तक काम करने के बाद महेश को ऊब होने लगी. गुड़गांव की साइबर सिटी की स्टील और ग्लास की इमारतों में हर आदमी एक ही तरह चलता था और एक ही बोली बोलता था. 2009 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के दूर-दराज के इलाकों का दौरा किया.

संजना जनार्दनन, 25 वर्ष
अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक, बंगलुरू
संजना जनार्दनन के मुताबिक, किसी और की भावना से जुड़ने के लिए जरूरी नहीं है कि आप वैसा ही बन जाएं. वे कहती हैं, ''इसके मायने खुद को दुनिया के लिए खोलना और दुनिया के साथ संवाद करना है.'' इस तरह की अनुभूति के लिए उनका उत्साह असीमित है, वे सिर्फ मुद्दों का हल चाहती हैं, राह चाहे कोई भी सुझाए.
उनका पहला प्रोजेक्ट तब हाथ में आया जब उन्होंने 2007 में मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में प्रवेश लिया. यह मुंबई के धारावी में तमिल प्रवासियों को एचआइवी-एड्स के बारे में शिक्षित करने पर था.


आनंद रावल, 28 वर्ष
प्रोजेक्ट मैनेजर, ग्रामश्री, शिल्पकारों के काम को प्रोत्साहित करने वाला एनजीओ, अहमदाबाद
''आज मुझे ग्रामश्री के काम से जो संतुष्टि मिल रही है, वह किसी कॉर्पोरेट नौकरी से नहीं मिल सकती थी.''
आनंद रावल 2010 में ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर कॉलेज से मैनेजमेंट की डिग्री लेकर भारत लौटे. इसी दौरान वे अहमदाबाद में 41 वर्षीय अनार पटेल से मिले. पटेल ने रावल के सामने यह तर्क रखा कि सामाजिक क्षेत्र में उनके टेलैंट का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है. रावल तुरंत ही ग्रामश्री से जुड़ गए. पटेल इस एनजीओ के को-ऑर्डिनेटर हैं. पिछले दो साल में ग्रामश्री के क्राफ्ट्सरूट्स कार्यक्रम, ई-कॉमर्स वेबसाइट शुरू करने और शिल्पियों के उत्पाद खरीदने के लिए एक ऑनलाइन खरीद सुविधा मुहैया कराने का रावल मुख्य आधार रहे हैं.
