लीबिया: 5000 से ज्यादा जानें लेने वाली बाढ़ की भयावह तस्वीरें

लीबिया में डेनियल तूफान ने सुनामी जैसी तबाही मचा दी है. डेर्ना शहर में दो डैम टूट गए जिसके बाद पूरा शहर अचानक ही बाढ़ में डूब गया. इस आपदा में अब तक 5300 से ज़्यादा लोगों की मौत होने का दावा है. क़रीब 20 हज़ार लोग गायब हैं. आशंका है कि मरने वालों की संख्या 10 हज़ार तक पहुंच सकती है.

10 सितंबर की रात भू-मध्य सागर में डेनियल तूफान उठा. लीबिया का पूर्वी हिस्सा भू-मध्य सागर से सटा हुआ है. इसी हिस्से में डेर्ना शहर बसा हुआ है. जो देश की सबसे ज़्यादा आबादी वाले शहरों में से एक है. मीडिया रपटों के मुताबिक़ सिर्फ डेर्ना शहर में ही 4 हज़ार लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.

अमेरिका, जर्मनी, ईरान, इटली, कतर और तुर्की जैसे देश लीबिया को मदद पहुंचा रहे हैं क्योंकि डेर्ना में लीबिया की सरकार और सेना पूरी तरह असहाय हो चुकी है. आलम ये है कि शहर में आवाजाही तक मुश्किल है. एयरपोर्ट्स बंद पड़े हैं. संसाधन पहुंचाने में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ऐसा नहीं है कि लीबिया में डेनियल तूफान अचानक आया. इसी तूफान ने बीते हफ़्ते में ग्रीस और तुर्किये में तबाही मचाई थी. इसके बाद ये आंशका जाहिर की जा रही थी कि डेनियल तूफान लीबिया पहुंचेगा. लेकिन देश में इस आपदा से निपटने के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं की गई थी.

इस आपदा को समझने के लिए लीबिया का भूगोल समझना बेहद ज़रूरी है. लीबिया भू-मध्य सागर के किनारे पर बसा एक देश है. इस देश के वो शहर जहां सबसे ज़्यादा आबादी रहती है, समुद्र से सटे हुए हैं. इसलिए डेनियल तूफान का असर घातक साबित हो रहा है और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हुई.

बाढ़ और तूफान ने बड़ी-बड़ी इमारतों को ध्वस्त कर दिया है. कुछ दिनों पहले तक चहल-पहल भरा शहर पूरी तरह उजड़ चुका है. लोगों की गाड़ियां बह गई हैं. घर भरभरा कर गिर चुके हैं. अपने-अपने परिवार के लोगों की तलाश की जा रही है. शवों को पहचाना जा रहा है.

लीबिया में ये संकट ज़्यादा बड़ा हो गया वहां की राजनीति की वजह से. लीबिया में एक साथ दो प्रधानमंत्री हैं. दरअसल देश की सरकार दो क्षेत्रों में बंटी है. त्रिपोली और बेंगाजी (पूर्वी क्षेत्र- डेर्ना शहर वाला). त्रिपोली में अब्दुल हामिद दबीबा प्रधानमंत्री हैं तो बेंगाजी में ओसामा हमद. हामिद और हमद एक-दूसरे के सियासी दुश्मन हैं. ये गुत्थी थोड़ी और उलझती है. क्योंकि पूर्वी क्षेत्र में सेना के प्रमुख और विद्रोही खलीफा हफ्तार खुद को प्रधानमंत्री मानते हैं. हफ्तार और हमद की भी आपसी लड़ाई है.

दो सरकारों और एक सैनिक विद्रोही की सियासी लड़ाई में लीबिया के लोग मदद को तरस रहे हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. लेकिन उस स्तर और तेज़ी के साथ नहीं, जिसकी ज़रूरत है. ऐसे में आंशका जताई जा रही है कि मौतों का आंकड़ा बढ़कर 10 हज़ार तक पहुंच सकता है.