पहले गगनयान से दूसरे मंगलयान तक, तस्वीरों से जानें-समझें इसरो का 2024 का प्लान

24 अगस्त 2023 को देश के बड़े अखबारों की एक जैसी ही हेडलाइन थी. बोल्ड अक्षरों में लिखा था - 'द मून इस इंडियन'. ये सब तब हो रहा था जब इसरो का बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट चंद्रयान - 3 एक दिन पहले चांद की सतह को चूम चुका था. देश के प्रधानमंत्री समेत तमाम देशवासियों ने इतिहास में दर्ज होने वाले इस लम्हे को लाइव देखा था. चंद्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो की पूरी दुनिया में वाहवाही हो रही थी और हर तरफ एक ही सवाल था - अब आगे क्या? इसी सवाल का जवाब आपको इस रिपोर्ट में मिलेगा जहां हम 2024 में इसरो क्या-क्या करने वाला है, इसकी चर्चा करेंगे.
निसार
2024 में इसरो की लिस्ट में जो शुरुआती प्रोजेक्ट में से एक है, वो है निसार. 'जां निसार' वाला निसार नहीं बल्कि नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार, शॉर्ट में NISAR. इस सैटेलाइट को नासा के साथ मिलकर इसरो लॉन्च करेगा जिसका काम होगा 12 दिन में पूरी पृथ्वी का चक्कर काटना और डेटा कलेक्ट करना. इस सैटेलाइट का उद्देश्य रिमोट सेंसिंग तरीके से डेटा इकठ्ठा करना होगा. रिमोट सेंसिंग का मोटा-माटी वही अर्थ है जो आप समझ रहे हैं - बिना किसी फिजिकल कॉन्टैक्ट के किसी चीज का डेटा इकठ्ठा करना और उसको एनालाइज करना.
ये सैटेलाइट हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की लगभग सारी जमीनी और बर्फ के इलाके को स्कैन करेगा. इसके साथ ही यह भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी की गतिविधियों का निरीक्षण करने के अलावा जंगलों, वेटलैंड्स और खेती के लिए उपयोग में लाई जाने वाली जमीन में आ रहे बदलावों को ट्रैक करने में सक्षम होगा. निसार को इसरो जनवरी 2024 में लॉन्च करने की योजना बना रहा है.

इनसैट 3डीएस
इसरो की इनसैट सीरीज का अगला प्रोजेक्ट इनसेट 3डीएस भी लॉन्चिंग के लिए तैयार है. इसे GSLV-MK-II रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. इनसैट 3डीएस को लॉन्च करने का उद्देश्य है कि ये धरती के मौसम की समझ विकसित करे, और आपदा प्रबंधन के प्रयासों को अपने डेटा से और पुख्ता बनाए. इस सैटेलाइट की मदद से मौसम के पूर्वानुमानों को भी और सटीक तरीके से पेश करने में मदद मिलेगी. इनसेट 3डीएस भी जनवरी 2024 में लॉन्च किया जा सकता है.

गगनयान 1
पहली बार क्रू मेंबर्स के साथ स्पेस में जाने का सपना इस साल इसरो पूरा कर सकता है. इंडिया के पहले मानव युक्त स्पेस मिशन की तैयारी जांचने के लिए गगनयान 2024 में उड़ान भरने को तैयार है. इसे हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर इसरो ने बनाया है. ये तीन दिनों का मिशन होगा जिसमें 3 क्रू मेंबर्स को स्पेस के ऑर्बिट में भेजकर वापस धरती पर लाना होगा. अगर ये सफल रहता है तो इसरो आगे के मानव सहित स्पेस मिशन भेजने की ओर अपने कदम बढ़ाएगा.

मंगलयान 2
मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी मंगलयान 1 की सफलता के बाद अब मंगलयान 2 की भी 2024 में लॉन्चिंग हो सकती है. मंगलयान 1 को केवल 6 महीने के लिए मंगल की ओर भेजा गया था मगर पूरे 8 साल तक इसरो से उसका संपर्क रहा. आखिरकार अप्रैल 2022 में जाकर उससे संपर्क टूटा और इसरो ने मंगलयान 2 की तैयारी शुरू कर दी. मंगलयान 2 इसके पहले मिशन से ज्यादा उन्नत होगा और इस बार यह मंगल की सतह और उसके मैग्नेटिक फील्ड की जांच करेगा.

एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट
इसरो का एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट या एक्सपोसैट भी 2024 की जनवरी में ही लॉन्च होने वाला है. इसका लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले सोर्सेज का अध्ययन करना है, जिनमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनरीज, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, न्यूट्रॉन सितारे और नॉन-थर्मल सुपरनोवा के अवशेष शामिल हैं. इस इस सैटेलाइट को 500-700 किमी की पृथ्वी की गोलाकार निचली ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, जिसका मिशन कम से कम पांच साल का होगा.

शुक्रयान-1
आदित्य एल 1 की लॉन्च के बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने घोषणा की थी कि शुक्र मिशन, जिसे अक्सर अनौपचारिक रूप से शुक्रयान-1 कहा जाता है, पर काम चल रहा है. अब खबर है कि दिसंबर 2024 में इसे भी लॉन्च किया जा सकता है. ये स्पेसक्राफ्ट शुक्र की पांच साल तक परिक्रमा करेगा और उस ग्रह से जुड़ी जानकारियां पृथ्वी पर भेजेगा.
