कितना अंतर है दुनिया के सबसे बड़े वर्क स्पेस 'सूरत डायमंड बोर्स' और पेंटागन में, तस्वीरों में देखें

गुजरात के सूरत में 'डायमंड बोर्स' के बनने से यह अब दुनिया का सबसे बड़ा वर्क स्पेस बन गया है. इससे पहले यह रिकॉर्ड अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय 'पेंटागन' के नाम था, जिसे 14 जनवरी, 1943 को खोला गया था. लेकिन करीब 80 सालों तक दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग बने रहने के बाद पेंटागन अब दूसरे नंबर पर आ गया है.

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसी साल अगस्त में सूरत डायमंड बोर्स को दुनिया की सबसे बड़ी इमारत के रूप में मान्यता दी थी. इस बिल्डिंग में रेस्तरां, बैंक, कॉन्फ्रेंस हॉल, एग्जिबिशन सेंटर, कन्वेंशन सेंटर, ट्रेनिंग सेंटर, एंटरटेनमेंट एरिया और क्लब जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. यहां पार्किंग एरिया 20 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है. माना जा रहा है कि सूरत डायमंड बोर्स के बन जाने से हीरे-व्यापारियों को अब काफी सहूलियत होगी.

सूरत को भले ही 'हीरों का शहर' कहा जाता है, और यहां दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे तराशे जाते हैं. पर इसके कारोबार के सिलसिले में व्यापारियों को हमेशा मुंबई का चक्कर काटना पड़ता था. अब सूरत डायमंड बोर्स उनके लिए 'वन-स्टॉप डेस्टिनेशन' की तरह होगा, यहां वे अपना कारोबार सुचारू ढंग से चला पाएंगे. यहां 65000 से ज्यादा कर्मचारी एक साथ काम कर पाएंगे. पेंटागन की बात करें तो वहां 25000 से ज्यादा कर्मचारी एक साथ काम करते हैं.

अगर फैलाव के लिहाज से बात करें तो सूरत डायमंड बोर्स 71 लाख से भी ज्यादा वर्ग फुट में बना है और साढ़े 35 एकड़ में फैला हुआ है. संगमरमर के फर्श और चमकदार रोशनी वाले केंद्रीय कक्ष के साथ इस 15 मंजिला शानदार बिल्डिंग में हीरों को तराशने-काटने के लिए 4500 स्थान हैं. इसमें 131 लिफ्ट लगी हैं. इसे भारतीय कंपनी मॉर्फोजेनेसिस ने बनाया है. इसे बनाने में करीब 3200 करोड़ रुपये और चार साल का वक्त लगा है.

वहीं, पेंटागन की बात की जाए तो इसका ऑफिस स्पेस 65 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है. यह एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के फर्श का तीन गुना है. इसमें 7,754 खिड़कियां और गलियारे 28 किलोमीटर तक फैले हुए हैं. अमेरिकी रक्षा वेबसाइट के मुताबिक, इसमें स्पोक-एंड-रिंग डिजाइन निर्मित है जिसका मतलब है कि इमारत में सबसे दूर के दो बिंदुओं के बीच चलने में केवल 7 मिनट का वक्त लगता है.

सूरत डायमंड बोर्स में 175 देशों के 4200 व्यापारियों तक के रुकने की व्यवस्था है, जो पॉलिश्ड हीरे खरीदने के सिलसिले में सूरत आएंगे. इससे विभिन्न देशों के हीरा व्यापारियों को यहां एक वैश्विक मंच प्राप्त होगा. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस व्यापार सुविधा से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा.