बिहार म्यूजियम में सजी जी-20 देशों के कलाकारों की कलाकृतियां, देखें तस्वीरें

नेपाल के लोकचित्रकार ने 108 लोकेश्वरों की यह अनूठी कृति बनाई है. ये लोकेश्वर अवलोकितेश्वर और अमिताभ बुद्ध के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

(बाएं) तांबे और मिश्र धातु से बनी पार्वती की इस प्रतिमा का निर्माण नेपाल के कलाकार दीपेंद्र बीर शाक्य ने किया है. वे शक्ति और संतुलन के अवतार की प्रतीक हैं.
(दाएं) भैरव प्रतिमा नाम की इस कृति का निर्माण नेपाल के कलाकार सूरज शाक्य ने किया है. भगवान शिव के शक्तिशाली रूप भैरव की इस प्रतिमा का निर्माण उन्होंने अर्ध मूल्यवान पत्थर की जड़ाई, सोने की सजावट और तांबे के इस्तेमाल से किया है.

(बाएं) इस चित्र में अपने जमाने की तोप के साथ शेरशाह बने युवक हैं. बिहार वासी शेरशाह की गिनती देश के महान शासकों में होती है, जिन्होंने अपने अल्प शासन में कई बड़े काम किए.
(दाएं) गिरमिटिया के पोस्टर के सामने खड़े ये दो युवा भोजपुर की बिदेसिया संस्कृति के प्रतीक हैं.

(बाएं) श्वेत तारा नाम की यह कलाकृति नेपाल के कलाकार नवीन शाक्य की है. तांबे की बनी इस कृति पर सोने का पानी चढ़ाया गया है. इसमें उन्होंने श्वेत तारा को युवा एवं अत्यंत सुंदर महिला के रूप में चित्रित किया है.
(बीच में) नेपाल के कलाकार ईशान परियार ने यह अवलोकितेश्वर का अनूठा चित्र बनाया है. हिमालयी क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध बौद्ध देव अवलोकितेश्वर के इस चित्र के ग्यारह सिर, हजार भुजाएं और हजार आंखें हैं.
(दाएं) भारतीय कलाकार संजय कुमार की इस कृति का नाम है शांति की प्रतिमा. यह आकृति मानवता के विरुद्ध मानसिक बुराइयों और अत्याचारों का आत्मसमर्पण है.

(बाएं) मिथिला पेंटिंग के सामने खड़े दो युवा मिथिला के नर-नारी का अभिनय कर रहे हैं.
(दाएं) पटना के प्रसिद्ध शिल्पकाल सुबोध गुप्ता की यह कृति चीप राइस सामान्य साइकिल रिक्शे, पीतल के बरतन और धातु से बनी है. इसमें समृद्धि और गरीबी, उपभोग और महरूमी को एक साथ दिखाया गया है.

(बाएं) मॉरिशस के कलाकार धर्मदेव निर्मल हरि ने यह कृति तैयार की है. इसका नाम है, जीवन उर्जा के मूल नियम. इसमें उन्होंने प्राकृतिक और मानव निर्मित वस्तुओं का संयोजन किया है.
(बीच में) चीन के कलाकार वू वेशान ने शांति और अहिंसा के उत्कृष्ट व्यक्तित्व गांधी की यह प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्होंने चीनी शीयी मूर्तिकला तकनीक का इस्तेमाल किया है.
(दाएं) भारत की कलाकार आयशा सेठ सेन की इस कृति का नाम है ‘वसुधैव कुटुंबकम’. यह इमर्सिव आर्ट इंस्टॉलेशन उनके वैश्विक जुड़ाव के व्यक्तिगत दर्शन का प्रतीक है.

(बाएं) म्यूजियम की प्रागैतिहासिक दीर्घा में खड़ा यह युवक आदि मानव बना हुआ है.
(बीच में) यह भारतीय कलाकार सनातन डिंडा की कृति बोधिवृक्ष है. इसे उन्होंने ई-कचरे से तैयार किया है. इसका मकसद लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है.
(दाएं) इकोनारियो नामक यह कृति एक रोबोटिक पौधा है, जो नाजुक बीज की तरह चलता है. इसका निर्माण युनाइटेड किंगडम के कलाकार थिज्स बियरस्टेकर ने किया है.

यह मूर्ति बिहार की लोककला का प्रतीक है.

नेपाल के कलाकार प्रचंड मान शाक्य, तारिक बज्राचार्य और सोनम तमांग ने यह विशाल रंगोलीनुमा कृति बनायी है, जिसका नाम है, अष्टमंगला तल मंडल. यह आठ शुभ प्रतीकों का समूह है.