यूसुफ पठान से पहले ये भारतीय क्रिकेटर आजमा चुके हैं राजनीति में अपनी किस्मत

लोकसभा चुनाव के लिए केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी समेत दूसरे दल भी धीरे-धीरे अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रहे हैं. इसी क्रम में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी अपने 42 उम्मीदवारों की लिस्ट 11 मार्च को जारी की है. इसमें जो एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है वह है भारतीय टीम के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज यूसुफ पठान का. यूसुफ को टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से उतारा है. इस सीट से कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी सांसद हैं. हालांकि इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलने वाले कई सारे दिग्गज राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं.

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है गौतम गंभीर का. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज गौतम अपने 'गंभीर' स्वभाव के लिए जाने जाते रहे हैं. वन डे वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में उनकी मैच जिताऊ पारी आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा है. राजनीति की पिच पर गौतम ने साल 2019 में अपना डेब्यू किया और भाजपा की टिकट पर पूर्वी दिल्ली के सांसद भी बने. हालांकि अब गंभीर ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है. दरअसल भाजपा की लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची, जो 3 मार्च को आई, उससे पहले उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था, "मैंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी से मुझे अपने राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त करने का अनुरोध किया है. मैं माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी को लोगों की सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं."

पूर्व भारतीय कप्तान और बल्लेबाज मोहम्मद अजीहरुद्दीन ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज साल 2009 में किया था. तब उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. हालांकि साल 2014 में कांग्रेस ने अजहर को राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर से चुनावी मैदान में उतारा, पर इस मैच में उनको हार का सामना करना पड़ा. वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको टिकट ही नहीं दिया गया. लोकसभा चुनाव के अलावा अजहर तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. साल 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने उनको हैदराबाद की जुबली हिल्स सीट से उम्मीदवार बनाया था पर अजहर को बीआरएस के उम्मीदवार मगांथी गोपीनाथ के हाथों हार का सामना करना पड़ा. वहीं अगर साल 2024 के चुनाव की बात करें तो फिलहाल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है. हालांकि उस लिस्ट में अजहर का नाम नहीं है.

भारतीय टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू अपनी शायरी और ठहाकेदार हंसी के अलावा राजनीति के भी माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. सिद्धू साल 2024 में भाजपा में शामिल हुए और अमृतसर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. साल 2009 में उन्होंने दोबारा इसी सीट से जीत हासिल की. साल 2016 में सिद्धू को राज्यसभा भेजा गया. हालांकि 2017 में उन्होंने पाला बदलते हुए कांग्रेस का पंजा थामा और अमृतसर ईस्ट से विधानसभा पहुंचे. सिद्धू पंजाब की कांग्रेस सरकार में स्थानीय सरकार, पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं. सिद्धू फिलहाल कांग्रेस में ही हैं, लेकिन ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि वे दोबारा से भाजपा के पाले में जा सकते हैं.

मनोज तिवारी ने साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम के लिए अपना पहला वनडे इंटरनेशनल मुकाबला खेला था. हालांकि भारतीय टीम के लिए तिवारी का सफर काफी छोटा ही साबित हुआ. (कितने मैच खेले?) क्रिकेट को अलविदा कहने से पहले ही मनोज तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए और हावड़ा की शिबपुर सीट से जीत दर्ज करते हुए विधानसभा पहुंचे. ममता बनर्जी ने उनको अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए खेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी. मनोज तिवारी इकलौते ऐसे क्रिकेटर भी हैं, जिन्होंने 88 साल के इतिहास में किसी राज्य का खेलमंत्री रहते हुए रणजी मुकाबले में भाग लिया. फिलहाल मनोज तिवारी पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

90 के दशक में सचिन के अलावा एक और बल्लेबाज जिसकी खूब चर्चा होती थी, वे विनोद कांबली थे. भारत के लिए खेलते हुए टेस्ट की महज 14 पारियों में ही 1 हजार रन पूरे करने वाले इस बल्लेबाज ने साल 2000 में संन्यास लेने का ऐलान कर दिया. इसके बाद कांबली ने फिल्मों में भी अपनी किस्मत आजमाई पर वहां पर भी असफल रहने के बाद उन्होंने 2009 में राजनीति के मैदान में डेब्यू किया. कांबली ने साल 2009 में लोक भारती पार्टी की तरफ से विखरोली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा, हालांकि राजनीति में उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे चुनाव हार गए. इस हार के बाद कांबली ने राजनीति का रास्ता भी छोड़ दिया.

मोहम्मद कैफ का नाम कुछ उन चंद खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल है जिनको फील्डिंग की वजह से एक अलग पहचान मिली. कैफ के नेतृत्व में भारत अंडर-19 विश्व कप भी जीत चुका है. साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. पर उनको भाजपा प्रत्याशी केशव प्रसाद मौर्य के हाथों हार का सामना करना पड़ा. हालांकि इस हार के बाद मोहम्मद कैफ ने साल 2018 में ही राजनीति से भी दूरी बना ली थी.

साल 1983 की वनडे विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे कीर्ति आजाद उन चंद क्रिकेटरों की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने राजनीति के मैदान पर भी शानदार प्रदर्शन किया. कीर्ति के पिता भागवत झा आजाद खुद भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी थे और वे बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे. क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद आजाद ने राजनीति में कदम रखा और साल 1993 में बीजेपी की टिकट से दिल्ली के गोल मार्केट इलाके के विधायक चुने गए. इसके बाद वे साल 1999 में बिहार के दरभंगा से लोकसभा चुनाव जीतते हुए संसद पहुंचे. हालांकि भाजपा के बाद आजाद ने कांग्रेस का दामन थामा, लेकिन साल 2022 में उनका कांग्रेस से भी मोहभंग हुआ और वे टीएमसी में शामिल हो गए.

60 और 70 के दशक में सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग करने वाले चेतन चौहान भी राजनीति की दुनिया में सफल पारी को अंजाम दे चुके हैं. 80 और 90 के शुरुआती दशक में चौहान ने बीजेपी का दामन थामा. वे यूपी के अमरोहा से दो बार सांसद और यूपी सरकार में मंत्री का पद भी संभाल चुके थे. साल 2020 में चेतन चौहान का निधन हो गया.