धनुष जैसा वाद्य यंत्र, 5000 अमेरिकन हीरे का जेवर ... राम मंदिर को मिले कुछ खास उपहारों की तस्वीरें

राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों से कई उपहार अयोध्या भेजे जा रहे हैं. केरल के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ने 'ओनाविलु' भेंट किया है. ओनाविलु एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो छोटे धनुष के आकार का होता है. ओनाविलु के दोनों सिरों पर पौराणिक किरदार बने होते हैं. जिस पद्मनाभ स्वामी मंदिर से तोहफा आया है उसका इतिहास बहुत पुराना है और पुराणों में भी इसका जिक्र है. श्रीमद्भागवत के अनुसार बलराम भी इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहां के पवित्र सरोवर पद्मतीर्थम में स्नान भी किया था.

गुजरात के वड़ोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती अयोध्या भेजी गई है. 3610 किलोग्राम वजन वाली इस अगरबत्ती को 6 महीने में तैयार किया गया है. 376 किलोग्राम गुग्गुल, 376 किलोग्राम नारियल के गोले, 190 किलोग्राम घी, 1470 किलोग्राम गाय का गोबर, 420 किलोग्राम जड़ी-बूटियों को मिलाकर अगरबत्ती तैयार की गई है. दावा किया जा रहा है कि यह अगरबत्ती 3 महीने से ज्यादा वक्त तक जलती रहेगी.

गुजरात के वड़ोदरा के किसान अरविंदभाई मंगलभाई पटेल ने 1100 किलोग्राम का दीपक बनवाया है. इसे राम दीप का नाम दिया गया है. दीपक की ऊंचाई साढे 9 फीट और चौड़ाई 8 फीट है. पंचधातु (सोना, चांदी, तांबा, जिंक और लोहा) से बने इस दीपक में 851 किलोग्राम घी/तेल एक बार में डाला जा सकता है.

सूरत के एक हीरा व्यापारी ने राम मंदिर की थीम पर नेकलेस बनाया है. ख़ास बात ये है कि इसे बनाने के लिए 5000 अमेरिकन हीरे और दो किलोग्राम चांदी का इस्तेमाल किया गया है. 40 कारीगरों ने 35 दिनों में इसकी डिजाइन तैयार की. गुजरात के रसेश ज्वेल्स ने यह उपहार राम मंदिर के लिए भेजा है.

घंटी उद्योग की नगरी एटा के जलेसर से उपहार में 2400 किलोग्राम का घंटा आया है. 2 साल में आठ धातुओं को मिलाकर (अष्टधातु) इसे तैयार किया है. 75 कारीगरों ने 3 महीने में इसका सांचा तैयार किया. इसके बाद 70 कारीगरों ने मिलकर 25 मिनट में इसकी ढलाई की. पहले तय किया गया था कि 2100 किलोग्राम का घंटा बनाया जाएगा, लेकिन बनते-बनते इसका वज़न 2400 किलोग्राम पहुंच गया. इस काम में करीब 25 लाख रुपए का खर्च आया है. इसके अलावा 50-50 किलोग्राम के 7 अन्य घंटे भी अयोध्या भेजे गए हैं.

अपने ताले के लिए देश भर में प्रसिद्ध अलीगढ़ से राम मंदिर के लिए ताला-चाबी गिफ्ट मिला है. यहां के सत्यप्रकाश शर्मा ने 400 किलोग्राम का ताला-चाबी बनाया है. इसका इस्तेमाल मंदिर में प्रतीकात्मक ताले के तौर पर किया जाएगा. इसकी ऊंचाई है 10 फीट. ताले को बनाने में 2 लाख रुपए खर्च हुए हैं. सिर्फ चाबी का वज़न ही 30 किलोग्राम है. सत्यप्रकाश शर्मा के साथ इस काम में उनकी पत्नी रुक्मिणी भी जुटी थीं.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सीता की जन्मभूमि नेपाल का जनकपुर है. नेपाल में परंपरा है कि वधु पक्ष से वर पक्ष को भार या सनेश भेजा जाता है, जिसमें खाने के सामान और कई अन्य चीज़ें होती हैं. अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर जनकपुर से सनेश आया है, जिसमें करीब 3000 तोहफे हैं. इनमें ड्राई फ्रूट, पकवान, चांदी के बर्तन और सोने के जेवर तक हैं. रामायण में सीता स्वंयवर में राम द्वारा शिव के धनुष पिनाक को तोड़ने का जिक्र मिलता है. सनेश में चांदी के सांकेतिक पिनाक भी शामिल है. करीब 500 लोगों की टोली ये भार लेकर पहुंची है.